Sunday, September 2, 2007
तेरी खामोशी को मैं एक शब्द देना चाहता हूँ
तेरी खामोशी को मैं एक शब्द देना चाहता हूँ
तुझे हसंता और चहकता देखना चाहता हूँ
ज़ालिम जमाने से तुझे महफूज रखना चाहता हूँ
तेरी खामोशी से मुझे आज भी डर लगता
बस तू अपनी खामोशी को एक शब्द देगे
1 comment:
Anonymous
September 3, 2007 at 10:43 PM
bahut khoob
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bahut khoob
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