तेरे शहर से होकर गंगा
जब मेरे शहर को आती थी
जब मेरे शहर को आती थी
अपने साथ तेरे होने का
अहसास लाती थी
इन्हीं अहसासो ने
मुझे जीने की प्रेरणा दी
लेकिन अब गंगा तेरे शहर से
लेकिन अब गंगा तेरे शहर से
मेरे शहर में नहीं आती
फिर हम एक न हो सके तो क्या
तेरे अहसास को
मैने हमेशा अपना बना कर रखा
मुझे विश्वास है हम मिलेंगे फिर से
लेकिन रिश्तों मे शायद वो पहली सी बात न हो
लेकिन मै महसूस करूंगा
उस हर पल को जो मैने तेरे साथ बिताए हैं
kalam se dard ki syahee tapak rahi hai bhai.
ReplyDeleteसही है.
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