Friday, May 17, 2013

हेलीकॉप्टर डील : खेल के खिलाड़ी


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इटली से हुए 3600 करोड़ रुपए के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में 362 करोड़ रुपए की दलाली  के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और वह संसद में हर मुद्दे पर बहस कराने को तैयार हैं। गौरतलब है कि इटली की अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद में रिश्वतखोरी के मुद्दे को विपक्ष संसद के सत्र में जोरशोर से उठाने की तैयारी कर रहा है। दूसरी ओर रक्षा मंत्री एके एंटनी भी विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देने के लिए पूरा होमवर्क करने में जुटे हैं। वहीं एके एंटनी पर मुख्य आरोप यह है कि इटली में हेलीकॉप्टर कंपनी के प्रमुख के गिरफ्तार होने के बाद सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

3,546 करोड़ रुपए के हेलीकॉप्टर सौदे में दलाली का मामला उजागर होने के बाद इस रक्षा खरीद समझौते की जांच में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी का नाम आया है। इस घोटाले के तार दुनिया के कई देशों तक पहुंच रहे हैं। दलाली के इस पूरे खेल में शामिल प्रमुख खिलाडिय़ों पर एक नजर:

गियुसिपी ओरसी : फिनमैकेनिका कंपनी का सीईओ और चेयरमैन था इसे इटली में गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोप है कि उसने 12 अगस्त को वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों की डील हासिल करने के लिए बिचौलियों की मदद ली और इसके लिए उनको 51 मिलियन यूरो (करीब 350 करोड़ रुपए) दिए।

गुइडो राल्फ हाशके : भारत में दलाली पहुंचाने के मामले में मुख्य सूत्रधार है। इस मामले में पिछले साल गिरफ्तार हुआ था। हाशके के पास स्विट्जरलैंड के अलावा अमेरिका की भी नागरिकता है। भारतीय रक्षा बिजनेस सर्किल में उसकी जबरदस्त पकड़ है। वह निर्बाध रूप से भारत आता रहता था और यहां के रक्षा सेक्टर की कार्यशैली से भलीभांति वाकिफ है। सेबी रिकॉर्ड के अनुसार वह 2009 तक एमजीएफ एमार के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी शामिल था।

कार्लो गेरोसा : हाशके का बिजनेस पार्टनर है। हेलीकॉप्टर डील के बारे में हाशके और पार्टनर कार्लो गेरोसा की बातचीत को गुप्त तरीके से रिकॉर्ड किया गया है।

क्रिस्टीन माइकल : ब्रिटेन का नागरिक है। भारत में शक्तिशाली राजनीतिक संपर्क हैं। कई बड़े नेताओं तक पहुंच। पिता वोल्फगांग रिचर्ड मैक्स माइकल के भी जबरदस्त भारतीय संपर्क हैं। माइकल, गियुसिपी ओरसी का विश्वासपात्र है। फिनमैकेनिका ने उसको 31 मिलियन यूरो की दलाली पहुंचाने का जिम्मा सौंपा। उसने रकम को इटली के राजनीतिज्ञों और यूरोप में अन्य लोगों तक पहुंचाया। स्विट्जरलैंड में जारी गिरफ्तारी वारंट से बचने के लिए दुबई में है।

गौतम खेतान : दिल्ली का वकील है और हाशके का बिजनेस पार्टनर है। हाशके और गेरोसा का कानूनी सलाहकार है। वह और हाशके चंडीगढ़ स्थित फर्म ऐरोमेट्रिक्स के प्रमोटर हैं। हाशके और गेरोसा की बातचीत में इसका नाम बार-बार आया है।

त्यागी बंधु : संजीव (जूली), डोक्सा और संदीप त्यागी पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी के करीबी रिश्तेदार हैं। पेशे से बिजनेसमैन हैं। नई दिल्ली के बाहरी इलाके में इनका फार्म हाउस है। पूर्व वायु सेना प्रमुख से हाशके की मुलाकात इन्हीं लोगों ने कराई।

एसपी त्यागी : 2005-07 के दौरान वायुसेना प्रमुख रहे। हाशके ने कहा है कि एडब्ल्यू 101 हेलीकॉप्टर के तकनीकी पहलुओं पर उसने त्यागी से विस्तृत बातचीत की थी। उसी आधार पर अगस्ता वेस्टलैंड ने एक तकनीकी रूप से मजबूत बेहतरीन दस्तावेज तैयार किया। जो कि होड़ में मौजूद प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर था। त्यागी ने उस दस्तावेज का बारीकी से विश्लेषण करने के बाद अगस्ता वेस्टलैंड को वापस देते हुए कहा कि इसको आधिकारिक रूप से भारतीय वायु सेना के पास भेज दो। त्यागी ने माना है कि उनकी बिचौलिए हाशके से मुलाकात हुई थी, लेकिन भ्रष्टाचार के किसी भी मामले का उन्होंने खंडन किया है।

दलाली
हाशके ने इटली अधिकारियों के सामने स्वीकार किया है कि उसने एसपी त्यागी से छह-सात बार मुलाकात की थी। उस दौरान उसने हेलीकॉप्टर के तकनीकी पहलुओं पर बातचीत की थी।
  • नवंबर, 2012 में अपने बयान में उसने स्वीकार किया है कि दलाली के रूप में उसको सौदे का 3.5 प्रतिशत यानी 20 मिलियन यूरो (144 करोड़ रुपए) मिले थे।
  • इसका 60 प्रतिशत यानी करीब 12 मिलियन यूरो उसने त्यागी बंधुओं को पहुंचा दिया।
  • बाकी बचे आठ मिलियन यूरो हाशके और कार्लो गेरोसा ने आपस में बांट लिए।
  • किसी भी जांच एजेंसी की निगाह से बचने के लिए भारत में वह रकम सॉफ्टवेयर निर्यात के फर्जी इंजीनियरिंग कॉन्ट्रेक्ट के जरिए ट्यूनीशिया के रास्ते भारत पहुंचाई गई।
लेन-देन में शामिल लोग
  • क्रिस्टीन
  • हाशके
  • हाशके कार्लो
  • त्यागी बंधु
समझौता

  • प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत वीवीआईपी लोगों के इस्तेमाल के लिए फरवरी, 2010 में 12 अगस्त को वेस्टलैंड 101 हेलीकॉप्टर का समझौता सरकार और इटली की दिग्गज रक्षा कंपनी फिनमैकेनिका के बीच हुआ था।
  • फिनमैकेनिका की ब्रिटेन स्थित सहयोगी हेलीकॉप्टर निर्माता कंपनी का नाम अगस्त को वेस्टलैंड है। इस कंपनी पर भारत में सौदा हथियाने के लिए दलाली देने का आरोप है।

रक्षा घोटाले जिनसे हिली दुनिया..
रूस, चीन, इजरायल, इटली, फ्रांस जैसे हथियार बनाने वाले प्रमुख देशों के साथ-साथ दुनिया के दो तिहाई देशों में रक्षा सौदे में दलाली और भ्रष्टाचार आम बात है। बड़े रक्षा सौदों के ठेके हासिल करने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लेना कंपनियों की आदत-सी बन गई है। पूरी दुनिया में इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो चुके हैं, जिनमें कुछ में से कुछ में तो आरोपी पर कार्रवाई भी हुई। पिछले कुछ सालों में दुनिया के विभिन्न देशों में हुए रक्षा घोटाले और उसमें हुई कार्रवाई पर डालते हैं एक नजर :
  1. रूस ने रक्षा मंत्री को हटाया : वैसे तो रक्षा घोटाले में अधिकारियों पर कार्रवाई आम बात मानी जाती है, लेकिन रूस में तो घोटाले में रक्षा मंत्री को ही अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। दुनिया के प्रमुख हथियार डीलर वाले देशों में शुमार रूस में कुछ महीने पहले राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल नवंबर में रक्षा मंत्री अनातोली सेरद्युकोव को विभाग में 95 मिलियन डॉलर के घोटाले के आरोप में पद से हटा दिया था। उन पर आरोप था कि रक्षा मंत्रालय की संपत्तियों को तीन अरब रूबल के घाटे में उन्होंने एक व्यावसायिक फर्म को बेचा। इस कदम से पुतिन ने यह संदेश देने की कोशिश की कि रक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  2. कनाडा में लड़ाकू विमान का घोटाला : हाल में अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमानों की खरीद पर कनाडा में खूब हंगामा मचा। अप्रैल 2012 में कनाडा के ऑडिटर जनरल ने भी खरीद पर सवाल खड़े किए। इस रक्षा सौदे को देश के आर्थिक हितों के खिलाफ बताया गया। कनाडा के मीडिया की सुर्खियों में रहे इस सौदे को पूरी तरह से गलत करार दिया गया।
  3. फ्रांस का पनडुब्बी घोटाला : पनडुब्बी और लड़ाकू जहाज बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डीएनएसएस और मलेशिया सरकार के बीच दो स्कॉर्पियन पनडुब्बी को लेकर समझौता हुआ। लेकिन समझौते पर उंगली उठने के बाद 2010 में फ्रांस सरकार ने मामले की जांच का आदेश दिया। बाद में खुलासा हुआ कि इस सौदे में मलेशिया के तत्कालीन रक्षा मंत्री के दोस्त की कंपनी ने भूमिका निभाई और उसने फ्रांस और मलेशिया के कई अधिकारियों को रिश्वत दी।
  4. ताइवान का युद्धपोत घोटाला : फ्रांस की कंपनी थेल्स और ताइवान के बीच युद्धपोत के लिए समझौता हुआ। इस सौदे को लेकर आरोप लगा कि थेल्स ने इस ठेके को हासिल करने के लिए पांच लाख डॉलर से ज्यादा की रिश्वत दोनों देशों के अधिकारियों को दी, जबकि ये युद्धपोत ताइवान की जरूरतों के लिए भी फिट नही बैठते थे। बाद में जब जांच शुरू हुई तो सौदों में शामिल रहे आठ अधिकारियों की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। जांच के दौरान स्विस बैंक के 60 खातों में जमा साढ़े सात करोड़ डॉलर से ज्याद की रकम को सीज कर लिया गया। जून 2007 में इस रकम में से 34 लाख डॉलर की रकम स्विस बैंक ने ताइवान को लौटा दी, जबकि फ्रांस की अदालत ने थेल्स कंपनी पर जून 2011 में छह करोड़ तीस लाख यूरो का जुर्माना लगाया।
  5. श्रीलंका में घोटाला : श्रीलंका के पूर्व सेनाध्यक्ष सरत फोंसेका को हथियार सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर कोर्ट मार्शल किया गया, जिसमें उन्हें तीन साल की सजा की सिफारिश की गई। इसके साथ ही उनका दर्जा, पेंशन और पदक वापस लेने के आदेश दिए गए थे। फोंसेका पर आरोप था कि सेनाध्यक्ष रहते हुए हथियार सौदों में अपने दामाद कंपनी का उन्होंने पक्ष लिया था।
  6. इराक में रक्षा सौदा घोटाला : इराक और रूस के बीच अक्टूबर 2009 में 4.2 अरब डॉलर से अधिक का हथियार सप्लाई का सौदा हुआ था। लेकिन इस सौदे को लेकर मीडिया रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी के बेटे तथा कुछ सांसद इस डील के पीछे थे और इसमें उन्होंने रिश्वत भी ली। इसकी जांच जारी है।

अरबों रुपए के घोटाले
यूपीए सरकार में लगातार सामने आ रहे घोटाले उसके लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। इनकी वजह से देश की साख को भी बट्टा लगा है। टूजी घोटाला हो या सीडब्ल्यूजी घोटाला या फिर कोयला घोटाला, सभी का आंकड़ा लाख करोड़ तक पहुंच जाता है। विपक्ष का आरोप है कि संप्रग सरकार के यदि सभी घोटालों को मिला लिया जाए किसी संपन्न देश के सालाना बजट से ज्यादा के तो यहां घोटाले ही हुए हैं।

2जी घोटाला संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल में ही हुआ था, लेकिन वह सामने आया दूसरे कार्यकाल में। किसानों की कर्ज माफी योजना में घोटाला तो नजर भी आने लगा है। संप्रग सरकार की बदनामी का कारण बनने वाले कुछ प्रमुख घोटाले इस प्रकार हैं :
  • 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला : 2008 में जारी कैग की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा के मनमाने रवैये और नीतियों के चलते 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से देश को 1.76 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। बोली प्रक्रिया की जगह पहले आओ पहले पाओ नीति पर अमल किया गया। यह घोटाला 1.76 लाख करोड़ रुपए का निकला।
  • राष्ट्रमंडल खेल घोटाला : 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान कई प्रोजेक्टों में धांधली पाई गई। निविदाओं से लेकर मनमाने तरीके से ऊंचे दामों पर सामानों को खरीदा गया। कई ऐसी कंपनियों को भुगतान किया गया जो अस्तित्व में ही नहीं थीं। यह घोटाला करीब 70 हजार करोड़ रुपए का है।
  • कोयला घोटाला : 2009-2012 के बीच सरकार द्वारा निजी कंपनियों को आवेदन के आधार पर कोयले के 57 ब्लॉक आवंटित करने से इन कंपनियों को लाभ हुआ। बोली की प्रक्रिया से खजाने को नुकसान नहीं होता। कैग ने इस घोटाले में 1.86 लाख करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन किया है।
बिजनेस का अनिवार्य हिस्सा है रिश्वत : बर्लुस्कोनी
इटली के पूर्व प्रधानमंत्री सिलवियो बर्लुस्कोनी ने रिश्वत मामले में जेल में बंद फिनमेकानिका एसपीए के पूर्व मुखिया ग्यूसेप ओर्सी का बचाव करते हुए गुरुवार को कहा है कि रिश्वत दुनिया भर में कारोबार का अनिवार्य हिस्सा है। भारत व इटली के बीच वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले पर बर्लुस्कोनी के इस बयान से विवाद पैदा हो गया है।

तीन बार इटली के प्रधानमंत्री रहे बलरुस्कोनी ने एक टेलीविजन को दिए अपने साक्षात्कार के दौरान कहा, रिश्वत सच्चाई है जो मौजूद है और इस तरह की अनिवार्य हालात से इनकार करने का कोई मतलब नहीं है। बर्लुस्कोनी ने कहा कि यह कोई अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि हम उस देश में किसी को कमीशन के भुगतान के बारे में बात कर रहे हैं क्योंकि उस देश में इस तरह के नियम हैं।

Wednesday, May 15, 2013

The IM Story


आतंकवाद के साप ने एक बार फिर भारत पर अपना जहर उगला है और हैदराबाद को दूसरी बार इसका शिकार बनाया है। हैदराबाद में हुए आतंकी धमाके की सुगबुगाहट कुछ महीने पहले से ही दिखने लगी थी। दरअसल, मुंबई और पुणे धमाकों में शामिल इंडियन मुजाहिदीन के तीन संदिग्ध आतंकी मुंबई के आसपास पिछले दो साल से भेष बदलकर घूम रहे थे। एटीएस के मुताबिक ये आतंकी बड़ी आतंकी योजना को अंजाम देने की फिराक में थे। एटीएस ने संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें जारी कर खबर देने वाले को 10 लाख रुपए इनाम देने का एलान भी किया था।

महाराष्ट्र एटीएस ने मुताबिक चारों मुंबई, पुणे के गुनहगार हैं और अब ये महाराष्ट्र में फिर कोई बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देने का प्लान बना रहे हैं। यासीन भटकल उर्फ अहमद उर्फ जर्रार उर्फ सिद्धीबाबा उर्फ इमरान उर्फ शाहरुख, तहसीन उर्फ वसीम उर्फ मोनू उर्फ हसन, असदुल्लाह उर्फ जावेद उर्फ हड्डी उर्फ तबरेज उर्फ शाकिर उर्फ दानियाल और वकस उर्फ अहमद। महाराष्ट्र एटीएस के मुताबिक इन चारों ने 13 जुलाई 2011 को मुंबई और एक अगस्त 2012 को पुणे में हुए सीरियल बम धमाकों को अंजाम दिया। एटीएस के मुताबिक यासीन भटकल जो कि इंडियन मुजाहिदीन का मोस्ट वांटेड आतंकी है वो मुंबई और पुणे के अलावा कई और धमाकों में वांटेड है। बाकी तीनों भी न सिर्फ धमाकों की साजिश में शामिल थे बल्कि ये सभी धमाकों के प्लांटर्स भी हैं, यानि इन्होंने उन धमाकों को अंजाम देने के लिए बमों को उनकी जगहों पर रखा था।

महाराष्ट्र एटीएस के मुताबिक इनमें से तीन यासीन भटकल, तहसीन और असदुल्लाह पिछले दो सालों से मुंबई और उसके आसपास रह रहे हैं। उन्हें फिलहाल वकस उर्फ अहमद के बारे में ज्यादा पुख्ता जानकारी नहीं है। उसके मुताबिक शायद वो देश से बाहर निकल गया है। एटीएस की मानें तो ये सभी भेष बदलने में माहिर हैं और पिछले 2 साल से ये सभी मुंबई के आसपास कभी छात्र बनकर हॉस्टल में रह रहे हैं। कभी आईटी कंपनी के कर्मचारी बनकर रह रहे हैं तो कभी कॉल सेंटर के कर्मचारी बनकर रह रहे हैं। एटीएस कई बार इनके करीब पहुंची लेकिन ये इतने शातिर हैं कि इन्होंने एटीएस के पहुंचने से पहले ही अपना ठिकाना बार-बार बदल लिया। आखिरकार दो साल की तलाश में नाकाम रहने के बाद अब एटीएस ने इन्हें पकडऩे के लिए इनकी तस्वीर जारी की है। साथ ही इनके बारे में खबर देने वाले को 10 लाख रुपए के इनाम का भी एलान किया है।

आतंकियों के नापाक मंसूबों को रोकने के लिए एंटी टेरर सेल यानी एटीसी की नजर हॉस्टल और कॉल सेंटरों पर खास तौर से है। यही नहीं एटीएस ने देश के सभी पुलिस थानों और खुफिया विभागों को भी इन आतंकियो की तस्वीरें भेज दी हैं। एटीएस की सबसे बडी उम्मीद अब लोगों से हैं क्योंकि आंतकियों के चेहरे से छात्र का नकाब हटाने में आम आदमी ही अहम भूमिका निभा सकता है।

एक नजर डालते हैं दहशतगर्दों की हालिया करतूतों पर :

  • दिल्ली, सात सितंबर 2011 : सुबह दिल्ली हाईकोर्ट के गेट नंबर पांच के बाहर बम धमाका। नौ की मौत और 50 घायल।
  • मुंबई, 13 जुलाई, 2011 : शाम को हुए तीन बम धमाके से 17 की मौत और 131 लोग घायल।
  • दिल्ली, 19 सितंबर, 2010 : मोटरसाइकिल पर सवार अज्ञात बंदूकधारियों ने दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों से पहले जामा मस्जिद के बाहर विदेशी पर्यटकों की एक बस को निशाना बनाया और दो ताईवानी नागरिकों को घायल कर दिया।
  • बेंगलुरू, अप्रैल 17,2010 : बेंगलुरू के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुए दो बम धमाकों में 15 लोग घायल।
  • पुणे, फरवरी 10, 2010 : पुणे में जर्मन बेकरी में हुए धमाके में पांच महिलाओं और कुछ विदेशियों समेत नौ लोग मारे गए और 45 घायल हुए।
मुंबई हमले
  • मुंबई, नवंबर 26-29, 2008 : मुंबई के तीन स्थानों: ताज होटल, ओबेरॉय होटल और विक्टोरिया टर्मिनस पर हुए हमले तीन दिन तक चले और इनमें लगभग 170 लोग मारे गए और 200 अन्य घायल हो गए।
  • असम, अक्टूबर 30, 2008 : असम में एक साथ 18 जगहों पर हुए बम धमाकों में 70 से अधिक लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हो गए।
  • इम्फाल, अक्टूबर 21, 2008 : मणिपुर पुलिस कमांडो परिसर पर हुए हमले में 17 लोग मारे गए
  • मालेगांव, सितंबर 29, 2008 : महाराष्ट्र के मालेगांव में एक वाहन में बम धमाके के कारण पांच लोगों की मौत।
  • मोडासा, सितंबर 29, 2008 : गुजरात के मोडासा में एक मस्जिद के पास हुए धमाके में एक व्यक्ति की जान चली गई।
दिल्ली में धमाका
  • दिल्ली, सितंबर 27, 2008 : दिल्ली में महरौली के बाजार में फेंके गए एक देसी बम के कारण तीन लोग मारे गए।
  • दिल्ली, सितंबर 13, 2008 : दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर हुए बम धमाकों में कम के कम 26 लोग मारे गए और अनेक घायल हुए।
  • अहमदाबाद, जुलाई 26, 2008 : दो घंटे के भीतर 20 बम विस्फोट होने से 50 से अधिक लोग मारे गए।
  • जयपुर, मई 13, 2008 : शहर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 68 लोग मारे गए और अनेक घायल हुए।
  • रामपुर, जनवरी 1, 2008 : उत्तर प्रदेश के रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कैंप पर हुए हमले में आठ लोगों की मौत।
  • लखनऊ, फैजाबाद, वाराणसी, नवंबर 23, 2007 : उत्तर प्रदेश के तीन शहरों में हुए धमाकों में 13 मारे गए कई घायल हुए।
  • अजमेर, अक्टूबर 11, 2007 : राजस्थान के अजमेर शरीफ में हुए धमाके में दो मारे गए।
हैदराबाद में धमाके
  • हैदराबाद, अगस्त 25, 2007 : आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुए धमाके में 35 लोगों की जान गई।
  • हैदराबाद, मई 18, 2007 : जयदराबाद में मक्का मस्जिद धमाके में 13 लोग मारे गए।
  • समझौता एक्सप्रेस, फरवरी 19, 2007 : भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस में हरियाणा में धमाके, 66 यात्री मारे गए।
  • मालेगांव, सितंबर 8, 2006 : महाराष्ट्र के मालेगांव में तीन धमाकों में 32 लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए।
  • मुंबई, जुलाई 11, 2006 : मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 170 लोग मारे गए और 200 घायल हो गए।
ब्लास्ट के बाद किसने क्या कहा?
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने बम धमाकों को 'कायराना हमला' करार दिया है तो बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इसकी गंभीरता से जांच कराने की मांग की है। वहीं, कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की काबिलियत पर ही सवाल उठा दिया है।

हमले बर्दाश्त नहीं
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि इस तरह की कायरतापूर्ण हरकतें शांति और सौहाद्र्र में खलल डालने वाली हैं। ऐसे हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। हम लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं।

कायराना हमला
पीएमओ की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने बम विस्फोटों की कड़ी निंदा की है। साथ ही लोगों से धैर्य और शांति बनाए रखने की अपील की है।

गंभीरता से हो जांच
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने विस्फोट में शिकार हुए लोगों के लिए दुख प्रकट करते हुए ईश्वर से मृतकों के परिजनों को इस गम से लडऩे की शक्ति प्रदान करने की कामना की। उन्होंने सरकार से इस मामले की गंभीरता से जांच कराने की मांग की।

दुख का सामना करने की जरूरत
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि यह वाकई में बेहद ही निंदनीय काम है। इस घटना पर मुझे गहरा दुख है। भगवान इस घटना में मारे गए लोगों की आत्मा को शांति दें और उनके घर वालों को इससे लडऩे की शक्ति प्रदान करें। देशवासियों को इस समय संगठित होकर इस दुख का सामना करने की जरूरत है।

काबिलियत पर सवाल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे की काबिलियत पर ही सवाल उठा दिया है। उन्होंने कहा है कि जब गृह मंत्री का प्रमोशन उनकी कार्यक्षमता के बजाए वफादारी पर हुआ है तो ऐसे में उनसे क्या अपेक्षा की जा सकती है?

चार दिन पहले काटे थे सीसीटीवी के तार
दिलसुख नगर में लगे सीसीटीवी कैमरों के तार चार दिन पहले ही काट दिए गए थे। जबकि इससे पहले बताया जा रहा था कि उस इलाके के सीसीटीवी कैमरे खराब थे। आतंकी हमले की सूचना और एलर्ट के बाद भी हैदराबाद में सुरक्षा लचर रही, इस खुलासे से पुलिस की तैयारियों और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं।

ऐसे दिया गया हैदराबाद ब्लास्ट को अंजाम!

पुणे माड्यूल तर्ज पर ब्लास्ट
सूत्रों के मुताबिक लश्कर ने इस प्लानिंग का पूरा खाका यासीन भटकल और उसके साथियों को भी समझा दिया था। धमाकों का शक इंडियन मुजाहिदीन के पुणे मॉड्यूल पर है, क्योंकि ये हैदराबाद के धमाके पुणे के धमाकों से पूरी तरह मेल खा रहे हैं। अभी तक की जांच में धमाकों में इस्तेमाल किए गए सामान का पता चला है। आईईडी बनाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट, सल्फ्यूरिक एसिड और कुछ ज्वलनशील पदार्थों का इस्तेमाल किया गया।

मोबाइल बना हथियार
सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि धमाकों के लिए मोबाइल फोन को हथियार बनाया गया। मोबाइल ट्रिगर के जरिए ही हैदराबाद में दोनों धमाके किए गए। यही वजह है कि अब पुलिस दिलसुख नगर में किए गए सारे मोबाइल कॉल्स की डिटेल्स को खंगाल रही है। जांच एजेंसियां धमाके से आधे घंटे पहले और आधे घंटे बाद किए गए सारे कॉल की डिटेल्स निकालने में जुटी हैं। दिलसुख नगर में इस दौरान कुल 42,379 कॉल्स किए गए। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि इन्हीं कॉल्स में धमाकों का राज छिपा है।

धमाके के बाद कश्मीर से आई 8 संदिग्ध कॉल 
हैदराबाद सीरियल बम धमाके में जांच एजेंसियों को सुराग मिलने लगीं हैं। सूत्रों के मुताबिक धमाके के बाद हैदराबाद के शाहिन बाग में जम्मू कश्मीर से कॉल आई। करीब आठ कॉल आई। फिलहाल जांच एजेंसियां इस बारे में ज्यादा खुलासा नहीं करना चाहती है। महाराष्ट्र के नांदेड़ और अहमद नगर में महाराष्ट्र एटीएस की टीम छापेमारी कर रही है। जांच एजेंसियों का कहना है कि महाराष्ट्र के नांदेड़ और अहमद नगर में छापेमारी से कुछ लीड मिल सकते हैं। लेकिन कोई ठोस लीड की बात करें तो जांच एजेंसियों का कहना है कि इस बाबत उनके पास कुछ भी ठोस नहीं है। फिलहाल एनआईए, एनएसजी और महाराष्ट्र एटीएस की टीम हैदराबाद में ब्लास्ट स्थल पर मौजूद हैं। फॉरेंसिक साक्ष्य उठाए जा रहे हैं। जांच एजेंसियां जानकारी के आधार पर स्केच बना रही है।

ऑनलाइन बैंकिंग और शॉपिंग का बढ़ता बाजार


टैप, क्लिक और स्वाइप... ये तीन वह शब्द हैं, जो मौजूदा समय में शॉपिंग और फंड ट्रांसफर के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल ने शॉपिंग और बैंकिंग को पहले से कहीं ज्यादा आसान और पहुंच वाला बना दिया है। तकनीक की बदौलत बैंक के दस्तावेजों ने कम्प्यूटर फाइल्स का रूप ले लिया है और कैश काउंटर पर बैठने वाले की जगह एटीएम मशीनों ने ले ली है। पहले बैंकों में रोजाना होने वाले आर्थिक लेनदेनों को रजिस्टर में लिखकर रखा जाता था, जिसे दिन का काम खत्म होने के बाद अपडेट किया जाता था। अब यह काम कम्यूटरीकृत हो गया है, जिसका फायदा बैंक के आम ग्राहकों को मिल रहा है।

लगभग डेढ़ दशक पहले तक बैंक की शाखाएं बैंक और ग्राहक के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी हुआ करती थीं। लेकिन अब परिदृश्य बदल चुका है। अब ग्राहकों को बैंकिंग के लिए घड़ी देखकर नहीं जाना पड़ता है। चाहे रुपए निकालने की बात हो या फिर जमा करने की। यहां तक कि फंड ट्रांसफर का काम भी बिना बैंक गए ही होने लगा है। बैंक आपके टेलीफोन, मोबाइल और कम्प्यूटर पर उपलब्ध है।

अल्टरनेटिव बैंकिंग
आईसीआईसीआई बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच वर्षों के दौरान बैंकिंग से जुड़े उनके कई काम ऑनलाइन हो चुके हैं। जिसमें फंड ट्रांसफर, बचत खाता खोलना, चेकबुक मंगाना और डिमांड ड्राफ्ट के लिए बैंक की शाखा के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं। साथ ही रोजमर्रा के बिल जिनमें बिजली, पानी, टेलीफोन और मोबाइल के बिल शामिल हैं, को भी बैंक की मदद से बिना शाखा जाए ही जमा किया जा सकता है। बैंकों ने अपनी इन सेवाओं को अल्टरनेटिव बैंकिंग का नाम दिया है। वर्तमान बैंकिंग परिदृश्य में लगभग सभी बैंकों के 40 प्रतिशत ग्राहक अल्टरनेटिव बैंकिंग का उपयोग कर रहे हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

जल्द ही अल्टरनेटिव बैंकिंग उपयोग करने वालों की संख्या 80 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। बैंक के ऐसे ग्राहकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो बिना ब्रांच में गए अपनी बैंकिंग के काम पूरा कर लेते हैं। इस समय केवल 15 प्रतिशत ग्राहक ही बैंक की शाखाओं में पहुंच रहे हैं।

एटीएम सबसे पुराना और लोकप्रिय
भारतीय बैंकिंग के आधुनिकीकरण में एटीएम -ऑटोमेटेड टेलर मशीन- का रोल काफी महत्वपूर्ण साबित हुआ है। यह अल्टरनेटिव बैंकिंग का सबसे पुराना, सफल और मौजूदा माध्यम है। एटीएम मशीनों ने भारतीय बैंकिंग की दिशा बदलने में जबरदस्त रोल निभाया है। यही वजह है कि बड़े और सरकारी बैंकों के अलावा छोटे तथा को-ऑपरेटिव बैंक भी अपनी एटीएम यूनिट स्थापित करने लगे हैं। पिछले तीन वर्षों में पूरे देश में एटीएम मशीनों की संख्या दोगुनी से ज्यादा होकर एक लाख का आंकड़ा पार कर चुकी हैं।

इनमें से 70 प्रतिशत मशीनें शहरी इलाकों में लगी हैं। बाकी मशीनें कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की गई हैं। अंतरराष्ट्रीय सर्वे एजेंसी सेलेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2016 तक एटीएम मशीनों की संख्या दोगुनी हो जाएगी, जिनमें से 50 फीसदी छोटे शहरों में लगाई जाएंगी।

कैश से कहीं ज्यादा उपयोग
वर्तमान समय में एटीएम का उपयोग केवल नगद निकासी के लिए नहीं रह गया है। इसका उपयोग डिमांड ड्राफ्ट ऑर्डर, चेकबुक ऑर्डर के साथ ही फिक्स डिपॉजिट करने के लिए भी किया जा रहा है।

रिजर्व बैंक की पहल
बैंकिंग में बदलावों के लिए भारतीय रिवर्ज बैंक ने भी खासा काम किया है। कार्ड से होने वाले भुगतान और ऑनलाइन लेन-देन की प्रक्रिया को सुगम बनाकर उसने इसका सीधा फायदा आम बैंक उपभोक्ताओं को पहुंचाया है। आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध एक रिपोर्ट के मुताबिक 2011-12 के दौरान देश में ऑनलाइन ट्रांजेक्शंस की संख्या 71 फीसदी बढ़ी है। इसी दौरान चेक से होने वाले ट्रांजेक्शंस का प्रतिशत लगातार गिरता गया। 2007-08 से 2011-12 के दौरान पेपर बेस्ड पेमेंट में 8.4 प्रतिशत की कमी देखी गई।

मोबाइल का दौर
पिछले पांच वर्षों के दौरान मोबाइल से होने वाले भुगतानों का प्रतिशत बढ़ा है। मोबाइल मनी सुविधा शुरू होने के बाद इसमें और अधिक इजाफा हुआ है। हालांकि इसके उपयोगकर्ताओं का प्रतिशत अभी काफी कम है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें बढ़ोतरी होगी। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक जी. पद्मनाभन के मुताबिक मोबाइल बैंकिंग तकनीक का भविष्य उज्जवल है और इस दिशा में लगातार काम हो रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा भारतीय अर्थव्यवस्था में केवल दो प्रतिशत लेनदेन ही इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट के जरिए किया जा रहा है। अभी भी देश में ऐसे स्थानों की संख्या बहुत कम है, जहां कार्ड के जरिए भुगतान लिया जाता है।

  • देश के 10 मिलियन से ज्यादा रिटेलर्स में से केवल 0.6 प्रतिशत ही कार्ड से भुगतान स्वीकार करते हैं।