Friday, May 17, 2013

हेलीकॉप्टर डील : खेल के खिलाड़ी


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इटली से हुए 3600 करोड़ रुपए के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में 362 करोड़ रुपए की दलाली  के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और वह संसद में हर मुद्दे पर बहस कराने को तैयार हैं। गौरतलब है कि इटली की अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद में रिश्वतखोरी के मुद्दे को विपक्ष संसद के सत्र में जोरशोर से उठाने की तैयारी कर रहा है। दूसरी ओर रक्षा मंत्री एके एंटनी भी विपक्ष के तीखे सवालों का जवाब देने के लिए पूरा होमवर्क करने में जुटे हैं। वहीं एके एंटनी पर मुख्य आरोप यह है कि इटली में हेलीकॉप्टर कंपनी के प्रमुख के गिरफ्तार होने के बाद सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।

3,546 करोड़ रुपए के हेलीकॉप्टर सौदे में दलाली का मामला उजागर होने के बाद इस रक्षा खरीद समझौते की जांच में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी का नाम आया है। इस घोटाले के तार दुनिया के कई देशों तक पहुंच रहे हैं। दलाली के इस पूरे खेल में शामिल प्रमुख खिलाडिय़ों पर एक नजर:

गियुसिपी ओरसी : फिनमैकेनिका कंपनी का सीईओ और चेयरमैन था इसे इटली में गिरफ्तार किया जा चुका है। आरोप है कि उसने 12 अगस्त को वेस्टलैंड हेलीकॉप्टरों की डील हासिल करने के लिए बिचौलियों की मदद ली और इसके लिए उनको 51 मिलियन यूरो (करीब 350 करोड़ रुपए) दिए।

गुइडो राल्फ हाशके : भारत में दलाली पहुंचाने के मामले में मुख्य सूत्रधार है। इस मामले में पिछले साल गिरफ्तार हुआ था। हाशके के पास स्विट्जरलैंड के अलावा अमेरिका की भी नागरिकता है। भारतीय रक्षा बिजनेस सर्किल में उसकी जबरदस्त पकड़ है। वह निर्बाध रूप से भारत आता रहता था और यहां के रक्षा सेक्टर की कार्यशैली से भलीभांति वाकिफ है। सेबी रिकॉर्ड के अनुसार वह 2009 तक एमजीएफ एमार के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में भी शामिल था।

कार्लो गेरोसा : हाशके का बिजनेस पार्टनर है। हेलीकॉप्टर डील के बारे में हाशके और पार्टनर कार्लो गेरोसा की बातचीत को गुप्त तरीके से रिकॉर्ड किया गया है।

क्रिस्टीन माइकल : ब्रिटेन का नागरिक है। भारत में शक्तिशाली राजनीतिक संपर्क हैं। कई बड़े नेताओं तक पहुंच। पिता वोल्फगांग रिचर्ड मैक्स माइकल के भी जबरदस्त भारतीय संपर्क हैं। माइकल, गियुसिपी ओरसी का विश्वासपात्र है। फिनमैकेनिका ने उसको 31 मिलियन यूरो की दलाली पहुंचाने का जिम्मा सौंपा। उसने रकम को इटली के राजनीतिज्ञों और यूरोप में अन्य लोगों तक पहुंचाया। स्विट्जरलैंड में जारी गिरफ्तारी वारंट से बचने के लिए दुबई में है।

गौतम खेतान : दिल्ली का वकील है और हाशके का बिजनेस पार्टनर है। हाशके और गेरोसा का कानूनी सलाहकार है। वह और हाशके चंडीगढ़ स्थित फर्म ऐरोमेट्रिक्स के प्रमोटर हैं। हाशके और गेरोसा की बातचीत में इसका नाम बार-बार आया है।

त्यागी बंधु : संजीव (जूली), डोक्सा और संदीप त्यागी पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी के करीबी रिश्तेदार हैं। पेशे से बिजनेसमैन हैं। नई दिल्ली के बाहरी इलाके में इनका फार्म हाउस है। पूर्व वायु सेना प्रमुख से हाशके की मुलाकात इन्हीं लोगों ने कराई।

एसपी त्यागी : 2005-07 के दौरान वायुसेना प्रमुख रहे। हाशके ने कहा है कि एडब्ल्यू 101 हेलीकॉप्टर के तकनीकी पहलुओं पर उसने त्यागी से विस्तृत बातचीत की थी। उसी आधार पर अगस्ता वेस्टलैंड ने एक तकनीकी रूप से मजबूत बेहतरीन दस्तावेज तैयार किया। जो कि होड़ में मौजूद प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर था। त्यागी ने उस दस्तावेज का बारीकी से विश्लेषण करने के बाद अगस्ता वेस्टलैंड को वापस देते हुए कहा कि इसको आधिकारिक रूप से भारतीय वायु सेना के पास भेज दो। त्यागी ने माना है कि उनकी बिचौलिए हाशके से मुलाकात हुई थी, लेकिन भ्रष्टाचार के किसी भी मामले का उन्होंने खंडन किया है।

दलाली
हाशके ने इटली अधिकारियों के सामने स्वीकार किया है कि उसने एसपी त्यागी से छह-सात बार मुलाकात की थी। उस दौरान उसने हेलीकॉप्टर के तकनीकी पहलुओं पर बातचीत की थी।
  • नवंबर, 2012 में अपने बयान में उसने स्वीकार किया है कि दलाली के रूप में उसको सौदे का 3.5 प्रतिशत यानी 20 मिलियन यूरो (144 करोड़ रुपए) मिले थे।
  • इसका 60 प्रतिशत यानी करीब 12 मिलियन यूरो उसने त्यागी बंधुओं को पहुंचा दिया।
  • बाकी बचे आठ मिलियन यूरो हाशके और कार्लो गेरोसा ने आपस में बांट लिए।
  • किसी भी जांच एजेंसी की निगाह से बचने के लिए भारत में वह रकम सॉफ्टवेयर निर्यात के फर्जी इंजीनियरिंग कॉन्ट्रेक्ट के जरिए ट्यूनीशिया के रास्ते भारत पहुंचाई गई।
लेन-देन में शामिल लोग
  • क्रिस्टीन
  • हाशके
  • हाशके कार्लो
  • त्यागी बंधु
समझौता

  • प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति समेत वीवीआईपी लोगों के इस्तेमाल के लिए फरवरी, 2010 में 12 अगस्त को वेस्टलैंड 101 हेलीकॉप्टर का समझौता सरकार और इटली की दिग्गज रक्षा कंपनी फिनमैकेनिका के बीच हुआ था।
  • फिनमैकेनिका की ब्रिटेन स्थित सहयोगी हेलीकॉप्टर निर्माता कंपनी का नाम अगस्त को वेस्टलैंड है। इस कंपनी पर भारत में सौदा हथियाने के लिए दलाली देने का आरोप है।

रक्षा घोटाले जिनसे हिली दुनिया..
रूस, चीन, इजरायल, इटली, फ्रांस जैसे हथियार बनाने वाले प्रमुख देशों के साथ-साथ दुनिया के दो तिहाई देशों में रक्षा सौदे में दलाली और भ्रष्टाचार आम बात है। बड़े रक्षा सौदों के ठेके हासिल करने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लेना कंपनियों की आदत-सी बन गई है। पूरी दुनिया में इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो चुके हैं, जिनमें कुछ में से कुछ में तो आरोपी पर कार्रवाई भी हुई। पिछले कुछ सालों में दुनिया के विभिन्न देशों में हुए रक्षा घोटाले और उसमें हुई कार्रवाई पर डालते हैं एक नजर :
  1. रूस ने रक्षा मंत्री को हटाया : वैसे तो रक्षा घोटाले में अधिकारियों पर कार्रवाई आम बात मानी जाती है, लेकिन रूस में तो घोटाले में रक्षा मंत्री को ही अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। दुनिया के प्रमुख हथियार डीलर वाले देशों में शुमार रूस में कुछ महीने पहले राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल नवंबर में रक्षा मंत्री अनातोली सेरद्युकोव को विभाग में 95 मिलियन डॉलर के घोटाले के आरोप में पद से हटा दिया था। उन पर आरोप था कि रक्षा मंत्रालय की संपत्तियों को तीन अरब रूबल के घाटे में उन्होंने एक व्यावसायिक फर्म को बेचा। इस कदम से पुतिन ने यह संदेश देने की कोशिश की कि रक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  2. कनाडा में लड़ाकू विमान का घोटाला : हाल में अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमानों की खरीद पर कनाडा में खूब हंगामा मचा। अप्रैल 2012 में कनाडा के ऑडिटर जनरल ने भी खरीद पर सवाल खड़े किए। इस रक्षा सौदे को देश के आर्थिक हितों के खिलाफ बताया गया। कनाडा के मीडिया की सुर्खियों में रहे इस सौदे को पूरी तरह से गलत करार दिया गया।
  3. फ्रांस का पनडुब्बी घोटाला : पनडुब्बी और लड़ाकू जहाज बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डीएनएसएस और मलेशिया सरकार के बीच दो स्कॉर्पियन पनडुब्बी को लेकर समझौता हुआ। लेकिन समझौते पर उंगली उठने के बाद 2010 में फ्रांस सरकार ने मामले की जांच का आदेश दिया। बाद में खुलासा हुआ कि इस सौदे में मलेशिया के तत्कालीन रक्षा मंत्री के दोस्त की कंपनी ने भूमिका निभाई और उसने फ्रांस और मलेशिया के कई अधिकारियों को रिश्वत दी।
  4. ताइवान का युद्धपोत घोटाला : फ्रांस की कंपनी थेल्स और ताइवान के बीच युद्धपोत के लिए समझौता हुआ। इस सौदे को लेकर आरोप लगा कि थेल्स ने इस ठेके को हासिल करने के लिए पांच लाख डॉलर से ज्यादा की रिश्वत दोनों देशों के अधिकारियों को दी, जबकि ये युद्धपोत ताइवान की जरूरतों के लिए भी फिट नही बैठते थे। बाद में जब जांच शुरू हुई तो सौदों में शामिल रहे आठ अधिकारियों की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। जांच के दौरान स्विस बैंक के 60 खातों में जमा साढ़े सात करोड़ डॉलर से ज्याद की रकम को सीज कर लिया गया। जून 2007 में इस रकम में से 34 लाख डॉलर की रकम स्विस बैंक ने ताइवान को लौटा दी, जबकि फ्रांस की अदालत ने थेल्स कंपनी पर जून 2011 में छह करोड़ तीस लाख यूरो का जुर्माना लगाया।
  5. श्रीलंका में घोटाला : श्रीलंका के पूर्व सेनाध्यक्ष सरत फोंसेका को हथियार सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर कोर्ट मार्शल किया गया, जिसमें उन्हें तीन साल की सजा की सिफारिश की गई। इसके साथ ही उनका दर्जा, पेंशन और पदक वापस लेने के आदेश दिए गए थे। फोंसेका पर आरोप था कि सेनाध्यक्ष रहते हुए हथियार सौदों में अपने दामाद कंपनी का उन्होंने पक्ष लिया था।
  6. इराक में रक्षा सौदा घोटाला : इराक और रूस के बीच अक्टूबर 2009 में 4.2 अरब डॉलर से अधिक का हथियार सप्लाई का सौदा हुआ था। लेकिन इस सौदे को लेकर मीडिया रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी के बेटे तथा कुछ सांसद इस डील के पीछे थे और इसमें उन्होंने रिश्वत भी ली। इसकी जांच जारी है।

अरबों रुपए के घोटाले
यूपीए सरकार में लगातार सामने आ रहे घोटाले उसके लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। इनकी वजह से देश की साख को भी बट्टा लगा है। टूजी घोटाला हो या सीडब्ल्यूजी घोटाला या फिर कोयला घोटाला, सभी का आंकड़ा लाख करोड़ तक पहुंच जाता है। विपक्ष का आरोप है कि संप्रग सरकार के यदि सभी घोटालों को मिला लिया जाए किसी संपन्न देश के सालाना बजट से ज्यादा के तो यहां घोटाले ही हुए हैं।

2जी घोटाला संप्रग सरकार के पहले कार्यकाल में ही हुआ था, लेकिन वह सामने आया दूसरे कार्यकाल में। किसानों की कर्ज माफी योजना में घोटाला तो नजर भी आने लगा है। संप्रग सरकार की बदनामी का कारण बनने वाले कुछ प्रमुख घोटाले इस प्रकार हैं :
  • 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला : 2008 में जारी कैग की रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा के मनमाने रवैये और नीतियों के चलते 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन से देश को 1.76 लाख करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। बोली प्रक्रिया की जगह पहले आओ पहले पाओ नीति पर अमल किया गया। यह घोटाला 1.76 लाख करोड़ रुपए का निकला।
  • राष्ट्रमंडल खेल घोटाला : 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान कई प्रोजेक्टों में धांधली पाई गई। निविदाओं से लेकर मनमाने तरीके से ऊंचे दामों पर सामानों को खरीदा गया। कई ऐसी कंपनियों को भुगतान किया गया जो अस्तित्व में ही नहीं थीं। यह घोटाला करीब 70 हजार करोड़ रुपए का है।
  • कोयला घोटाला : 2009-2012 के बीच सरकार द्वारा निजी कंपनियों को आवेदन के आधार पर कोयले के 57 ब्लॉक आवंटित करने से इन कंपनियों को लाभ हुआ। बोली की प्रक्रिया से खजाने को नुकसान नहीं होता। कैग ने इस घोटाले में 1.86 लाख करोड़ रुपए के नुकसान का आकलन किया है।
बिजनेस का अनिवार्य हिस्सा है रिश्वत : बर्लुस्कोनी
इटली के पूर्व प्रधानमंत्री सिलवियो बर्लुस्कोनी ने रिश्वत मामले में जेल में बंद फिनमेकानिका एसपीए के पूर्व मुखिया ग्यूसेप ओर्सी का बचाव करते हुए गुरुवार को कहा है कि रिश्वत दुनिया भर में कारोबार का अनिवार्य हिस्सा है। भारत व इटली के बीच वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले पर बर्लुस्कोनी के इस बयान से विवाद पैदा हो गया है।

तीन बार इटली के प्रधानमंत्री रहे बलरुस्कोनी ने एक टेलीविजन को दिए अपने साक्षात्कार के दौरान कहा, रिश्वत सच्चाई है जो मौजूद है और इस तरह की अनिवार्य हालात से इनकार करने का कोई मतलब नहीं है। बर्लुस्कोनी ने कहा कि यह कोई अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि हम उस देश में किसी को कमीशन के भुगतान के बारे में बात कर रहे हैं क्योंकि उस देश में इस तरह के नियम हैं।

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