Friday, November 7, 2008

मजा लीजिए भाई उडनतस्तरी की इस गजल का...

रात भर दबा के पी, खुल्लम खुल्ला बार में,
सारा दिन गुजार दिया बस उसी खुमार में,

गम गलत हुआ जरा तो इश्क जागने लगा,
रोज धोखे खा रहे हैं जबकि हम तो प्यार में,

कैश जितना जेब में था, वो तो देकर आ गये,
बाकी जितनी पी गये, वो लिख गई उधार में,

यों चढ़ा नशा कि होश, होश को गंवा गया,
और नींद पी गई उसे बची जो जार में,

वो दिखे तो साथ में लिये थे अपने भाई को,
गुठलियाँ भी साथ आईं, आम के अचार में,

याद की गली से दूर, नींद आये रात भर,
सो गया मैं चैन से चादर बिछा मजार में,

हुआ ज़फ़र के चार दिन की उम्र का हिसाब यूँ,
कटा है एक इश्क में, कटेंगे तीन बार में,

होश की दवाओं में, बहक गये "लेले" भी,
फूल की तलाश थी, अटक गये हैं खार में....

मजा लीजिए भाई उडनतस्तरी की इस गजल का...

रात भर दबा के पी, खुल्लम खुल्ला बार में,
सारा दिन गुजार दिया बस उसी खुमार में,

गम गलत हुआ जरा तो इश्क जागने लगा,
रोज धोखे खा रहे हैं जबकि हम तो प्यार में,

कैश जितना जेब में था, वो तो देकर आ गये,
बाकी जितनी पी गये, वो लिख गई उधार में,

यों चढ़ा नशा कि होश, होश को गंवा गया,
और नींद पी गई उसे बची जो जार में,

वो दिखे तो साथ में लिये थे अपने भाई को,
गुठलियाँ भी साथ आईं, आम के अचार में,

याद की गली से दूर, नींद आये रात भर,
सो गया मैं चैन से चादर बिछा मजार में,

हुआ ज़फ़र के चार दिन की उम्र का हिसाब यूँ,
कटा है एक इश्क में, कटेंगे तीन बार में,

होश की दवाओं में, बहक गये "लेले" भी,
फूल की तलाश थी, अटक गये हैं खार में....

Friday, October 10, 2008

कहीं भरमार तो कहीं बदलाव

पीपुल्स में संपादकों की भरमार

राजधानी भोपाल से जल्द ही प्रकाशित होने पीपुल्स समूह के अखबार में नईदुनिया इंदौर व दैनिक जागरण सहित कई अखबारों के संपादक रहे ओमप्रकाश ने भी ज्वाइन कर लिया है। इससे पहले यहां महेश श्रीवास्तव, विनोद तिवारी , नईदुनिया इंदौर छोड़कर आए राजेश पांडेय, नवभारत भोपाल के बाद पीपुल्स ज्वाइन करने वाले पंकज पाठक और हिंदू के ललित शास्त्री पहले से ही हैं।

पत्रिका छोंड़ेंगे

इंदौर में दस दिनों पहले शुरू हुए में पत्रिका में भास्कर ने सेंध लगा दी है। क्राइम रिपोर्टर पवनसिंह राठौड़ सहित दस पत्रकार जल्द ही भास्कर ज्वाइन कर रहे हैं। सुना है कि पत्रिका की अंदरूनी राजनीति एवं मैनेजमेंट के बचकानेपन के फैसलों की वजह से यह स्थिति निर्मित हुई है।

Thursday, October 9, 2008

पत्रिका में वापस..

न्यूज टुडे इंदौर से वेबदुनिया गए अरविंद दुबे ने एक माह में ही पत्रिका में वापसी कर ली है। उन्होंने पत्रिका इंदौर की सेंट्रल डेस्क ज्वाइन की है।

Wednesday, October 8, 2008

जॉब स्विचिंग..

दैनिक भास्कर इंदौर की सिटी डेस्क से राजेंद्र गुप्ता ने और क्राइम रिपोर्टर संतोष सितोले ने पत्रिका इंदौर ज्वाइन कर लिया है।

Friday, September 26, 2008

इंदौरी हलचल

* पत्रिका के जल्द शुरु होने वाले इंदौर संस्करण में सभी महत्पूर्ण पदों पर न्यूज टुडे की टीम से भेजे गए लोगों को बिठाया जा रहा है। हालांकि इस वजह से कुछ सीनियर्स आहत भी हुए हैं। खबर है कि पत्रिका इंदौर का संपादक पद भी न्यूज टुडे के खाते में ही जाने वाला है।

* नईदुनिया इंदौर के स्थानीय संपादक श्रीराजेश पांडेय ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे भोपाल से शुरु होने वाले पीपुल्स ग्रुप के अखबार को ज्वाइन कर रहे हैं। उनके स्थान पर भोपाल से किसी को संपादक बनाकर भेजे जाने की खबरें चल रही हैं।

* न्यूज टुडे इंदौर की सेंट्रल डेस्क पर कार्यरत ईशान अवस्थी का ट्रांसफर कोटा पत्रिका कर दिया गया है।

Monday, September 8, 2008

दैनिक भास्कर कोटा से पलायन..

* दैनिक भास्कर के एडीशन से इन दिनों पलायन का दौर जारी है। वहां कार्यरत उपसंपादक कन्हैया शर्मा और दीपक शर्मा ने संस्थान से इस्तीफा देकर कोटा पत्रिका ज्वाइन कर लिया है। धर्मेंद्र यादव भी संस्थान को बाय बोल चुके हैं।

* दो महीने पहले ही पत्रिका ज्वाइन कर चुके जग्गो सिंह धाकड़ का तबादला भी पत्रिका के कोटा संस्करण में कर दिया गया है।

* सुशील झा पहले ही संस्थान छोड़ चुके हैं।

* कोटा दैनिक भास्कर में रिपोर्टर रह चुकीं प्रीति जोशी ने भी पत्रिका के अखबार डेली न्यूज को ज्वाइन कर लिया है। कुल मिलाकर आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने संस्थान छोड़कर अन्यत्र नौकरियां खोज ली हैं।

Saturday, September 6, 2008

पंजाब केसरी का एक और विकेट गिरा

पंजाब केसरी के जालंधर संस्करण में उपसंपादक पवन रंजन ने वहां से इस्तीफा देकर दैनिक भास्कर के जल्द शुरु होने जा रहे रतलाम संस्करण को ज्वाइन किया है। उन्हें नई शुरुआत पर बधाईयां।

अधीर सक्सेना महामीडिया के संपादक

भोपाल के अखबार नवभारत के अंग्रेजी न्यूज पेपर क्रॉनिकल में सिटी चीफ और फ्री-प्रेस भोपाल के ब्यूरो में काम कर चुके अधीर सक्सेना ने महर्षि महेश योगी संस्थान की न्यूज एजेंसी महामाया को बतौर संपादक ज्वाइन किया है।

अरविंद वेबदुनिया में..

न्यूज टुडे इंदौर के अरविंद दुबे ने संस्थान को बाय कहते हुए वेबदुनिया डॉट कॉम (webdunia.com) ज्वाइन कर लिया है। नए क्षेत्र में नई शुरुआत करने पर उन्हें बधाई।

Monday, September 1, 2008

आवश्यक सूचना

कथा महोत्सव-2008

अभिव्यक्ति, भारतीय साहित्य संग्रह तथा वैभव प्रकाशन द्वारा आयोजित

  • कथा महोत्सव-2008 अभिव्यक्ति, भारतीय साहित्य संग्रह तथा वैभव प्रकाशन द्वारा आयोजित अभिव्यक्ति, भारतीय साहित्य संग्रह तथा वैभव प्रकाशन की ओर से कथा महोत्सव 2008 के लिए हिन्दी कहानियाँ आमंत्रित की जाती हैं।
  • दस चुनी हुई कहानियों को एक संकलन के रूप में में वैभव प्रकाशन, रायपुर द्वारा प्रकाशित किया जाएगा और भारतीय साहित्य संग्रह से http://www.pustak.org/ पर ख़रीदा जा सकेगा।
  • इन चुनी हुई कहानियों के लेखकों को 5 हज़ार रुपये नकद तथा प्रमाणपत्र सम्मान के रूप में प्रदान किए जाएँगे। प्रमाणपत्र विश्व में कहीं भी भेजे जा सकते हैं लेकिन नकद राशि केवल भारत में ही भेजी जा सकेगी।
  • महोत्सव में भाग लेने के लिए कहानी को ईमेल अथवा डाक से भेजा जा सकता है। ईमेल द्वारा कहानी भेजने का पता है- teamabhi@abhivyakti-hindi.org डाक द्वारा कहानियाँ भेजने का पता है- रश्मि आशीष, संयोजक- अभिव्यक्ति कथा महोत्सव-2008, ए - 367 इंदिरा नगर, लखनऊ- 226016, भारत
  • महोत्सव के लिए भेजी जाने वाली कहानियाँ स्वरचित व अप्रकाशित होनी चाहिए तथा इन्हें महोत्सव का निर्णय आने से पहले कहीं भी प्रकाशित नहीं होना चाहिए।
  • कहानी के साथ लेखक का प्रमाण पत्र संलग्न होना चाहिए कि यह रचना स्वरचित व अप्रकाशित है।
  • प्रमाण पत्र में लेखक का नाम, डाक का पता, फ़ोन नम्बर ईमेल का पता व भेजने की तिथि होना चाहिए।
  • कहानी के साथ लेखक का रंगीन पासपोर्ट आकार का चित्र व संक्षिप्त परिचय होना चाहिए।
  • कहानियाँ लिखने के लिए A4 आकार के काग़ज़ का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • ई मेल से भेजी जाने वाली कहानियाँ एम एस वर्ड में भेजी जानी चाहिए। प्रमाण पत्र तथा परिचय इसी फ़ाइल के पहले दो पृष्ठों पर होना चाहिए। फ़ोटो जेपीजी फॉरमैट में अलग से भेजी जा सकती है। लेकिन इसी मेल में संलग्न होनी चाहिए। फोटो का आकार 200 x 300 पिक्सेल से कम नहीं होना चाहिए। कहानी यूनिकोड में टाइप की गई हो तो अच्छा है लेकिन उसे कृति, चाणक्य या सुशा फॉन्ट में भी टाइप किया जा सकता है।
  • कहानी का आकार 2500 शब्दों से 3500 शब्दों के बीच होना चाहिए।
  • कहानी का विषय लेखक की इच्छा के अनुसार कुछ भी हो सकता है लेकिन उसमें मानवीय मूल्यों के प्रति आस्था होना ज़रूरी है।
  • इस महोत्सव में नए, पुराने, भारतीय, प्रवासी, सभी सभी देशों के निवासी तथा सभी आयु-वर्ग के लेखक भाग ले सकते हैं।
  • देश अथवा विदेश में हिन्दी की लोकप्रियता तथा प्रचार प्रसार के लिए चुनी गई कहानियों को आवश्यकतानुसार प्रकाशित प्रसारित करने का अधिकार अभिव्यक्ति के पास सुरक्षित रहेगा। लेकिन निर्णय आने के बाद अपना कहानी संग्रह बनाने या अपने व्यक्तिगत ब्लॉग पर इन कहानियों को प्रकाशित करने के लिए लेखक स्वतंत्र रहेंगे।
  • चुनी हुई कहानियों के विषय में अभिव्यक्ति के निर्णायक मंडल का निर्णय अंतिम व मान्य होगा।
  • कहानियाँ भेजने की अंतिम तिथि 15 नवंबर 2008 है।
  • यह विवरण http://www.abhivyakti-hindi.org/kahaniyan/2008/kathamahotsav2008.htm पर वेब पर भी देखा जा सकता है।

Sunday, August 31, 2008

गर्माता मीडिया बाजार..

* पीपुल्स ग्रुप का समाचार पत्र जल्द

पीपुल्स ग्रुप का दैनिक अखबार भोपाल में एक अक्टूबर से लांच होने जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव इसके प्रधान संपादक हैं। कई अखबारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ललित शास्त्री इसके स्थानीय संपादक होंगे।

* पीपुल्स न्यूज एजेंसी में भंडारी

यूएनआई में कई वर्षों तक काम कर चुके श्री एके भंडारी पीपुल्स ग्रुप द्वारा शुरु की जा रही समाचार एजेंसी पीपुल्स न्यूज एजेंसी के सर्वेसर्वा होंगे।

* सांध्य यश भारत भोपाल से

जबलपुर का प्रसिद्ध इवनिंगर अखबार यश भारत जल्द ही भोपाल संस्करण शुरु करने जा रहा है

* हरिभूमि जबलपुर से

हरिभूमि अखबार जल्द ही जबलपुर संस्करण शुरु करने जा रहा है। इसका अपकंट्री एडीशन 14 सितंबर से शुरु होने की उम्मीद है। सीनियर जर्नलिस्ट निशांत शर्मा इसके एडीटर होंगे।।

* पत्रिका भी जल्द हो सकता है शुरु

ऐसी खबरें हैं कि राजस्थान पत्रिका भोपाल के बाद अपना इंदौर संस्करण भी इसी महीने शुरु कर सकता है। सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक 15 सितंबर से एडीशन शुरु किया जा सकता है।

गर्माता मीडिया बाजार..

* पीपुल्स ग्रुप का समाचार पत्र जल्द

पीपुल्स ग्रुप का दैनिक अखबार भोपाल में एक अक्टूबर से लांच होने जा रहा है। वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव इसके प्रधान संपादक हैं। कई अखबारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ललित शास्त्री इसके स्थानीय संपादक होंगे।

* पीपुल्स न्यूज एजेंसी में भंडारी

यूएनआई में कई वर्षों तक काम कर चुके श्री एके भंडारी पीपुल्स ग्रुप द्वारा शुरु की जा रही समाचार एजेंसी पीपुल्स न्यूज एजेंसी के सर्वेसर्वा होंगे।

* सांध्य यश भारत भोपाल से

जबलपुर का प्रसिद्ध इवनिंगर अखबार यश भारत जल्द ही भोपाल संस्करण शुरु करने जा रहा है

* हरिभूमि जबलपुर से

हरिभूमि अखबार जल्द ही जबलपुर संस्करण शुरु करने जा रहा है। इसका अपकंट्री एडीशन 14 सितंबर से शुरु होने की उम्मीद है। सीनियर जर्नलिस्ट निशांत शर्मा इसके एडीटर होंगे।।

* पत्रिका भी जल्द हो सकता है शुरु

ऐसी खबरें हैं कि राजस्थान पत्रिका भोपाल के बाद अपना इंदौर संस्करण भी इसी महीने शुरु कर सकता है। सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक 15 सितंबर से एडीशन शुरु किया जा सकता है।

Friday, August 29, 2008

हिंदी का बेहतर भविष्य: मार्क टली

ब्रिटिश मूल के वरिष्ठ पत्रकार मार्क टली ने कहा कि सरकारी अनुदान और सरकारी माध्यमों के दायरे से बाहर निकल कर हिंदी का बेहतर भविष्य है। टली जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हिंदी का भविष्य भविष्य की हिंदी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह कहा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के विरोध में आंदोलन से बेहतर होता कि हिंदी को मजबूत करने का आंदोलन किया जाता। टली ने कहा कि हिंदी को स्वत: विकसित होने देना चाहिए। इससे यह शक्तिशाली होगी। इसके अधिक से अधिक विकास के लिए हिंदी तथा अन्य भाषाओं में अधिक से अधिक अंतरभाषिक अनुवाद कार्य होने चाहिए।

हिंदी का बेहतर भविष्य: मार्क टली

ब्रिटिश मूल के वरिष्ठ पत्रकार मार्क टली ने कहा कि सरकारी अनुदान और सरकारी माध्यमों के दायरे से बाहर निकल कर हिंदी का बेहतर भविष्य है। टली जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हिंदी का भविष्य भविष्य की हिंदी के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए यह कहा। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के विरोध में आंदोलन से बेहतर होता कि हिंदी को मजबूत करने का आंदोलन किया जाता। टली ने कहा कि हिंदी को स्वत: विकसित होने देना चाहिए। इससे यह शक्तिशाली होगी। इसके अधिक से अधिक विकास के लिए हिंदी तथा अन्य भाषाओं में अधिक से अधिक अंतरभाषिक अनुवाद कार्य होने चाहिए।

Thursday, August 21, 2008

आजाद है भारत..

आजाद है भारत,

आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।

पर आजाद नहीं जन भारत के,

फिर से छेड़ें संग्रामजन की आजादी लाएँ।

देशभक्ति से ऒतप्रोत यह रचना है श्रीमान दिनेशराय द्विवेदी की।

आजाद है भारत..

आजाद है भारत,

आजादी के पर्व की शुभकामनाएँ।

पर आजाद नहीं जन भारत के,

फिर से छेड़ें संग्रामजन की आजादी लाएँ।

देशभक्ति से ऒतप्रोत यह रचना है श्रीमान दिनेशराय द्विवेदी की।

भारतीय तिरंगे का इतिहास..

"सभी राष्‍ट्रों के लिए एक ध्‍वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्‍यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्‍ट करना पाप होगा। ध्‍वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्‍व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिकों के लिए ध्‍वज पर बने सितारे और पट्टियों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्‍लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्‍द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आहवान करता है। "

"हमारे लिए यह अनिवार्य होगा कि हम भारतीय मुस्लिम, ईसाई, ज्‍यूस, पारसी और अन्‍य सभी, जिनके लिए भारत एक घर है, एक ही ध्‍वज को मान्‍यता दें और इसके लिए मर मिटें।"

- महात्‍मा गांधी

प्रत्‍येक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का अपना एक ध्‍वज होता है। यह एक स्‍वतंत्र देश होने का संकेत है। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज की अभिकल्‍पना पिंगली वैंकैयानन्‍द ने की थी और इसे इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया और इसके पश्‍चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में ‘’तिरंगे’’ का अर्थ भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज है।

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्‍वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्‍य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
तिरंगे का विकास
यह जानना अत्‍यंत रोचक है कि हमारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज अपने आरंभ से किन-किन परिवर्तनों से गुजरा। इसे हमारे स्‍वतंत्रता के राष्‍ट्रीय संग्राम के दौरान खोजा गया या मान्‍यता दी गई। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा। एक रूप से यह राष्‍ट्र में राजनैतिक विकास को दर्शाता है। हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं :-
* प्रथम राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
* द्वितीय ध्‍वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था (कुछ के अनुसार 1905 में)। यह भी पहले ध्‍वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे सप्‍तऋषि को दर्शाते हैं। यह ध्‍वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्‍मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
* तृतीय ध्‍वज 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड लिया। डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया। इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
* अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान जो 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया यहां आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्‍दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।
* वर्ष 1931 ध्‍वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है। तिरंगे ध्‍वज को हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्‍ताव पारित किया गया । यह ध्‍वज जो वर्तमान स्‍वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्‍य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। तथापि यह स्‍पष्‍ट रूप से बताया गया इसका कोई साम्‍प्रदायिक महत्‍व नहीं था और इसकी व्‍याख्‍या इस प्रकार की जानी थी।
* 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्‍त भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया। स्‍वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्‍व बना रहा। केवल ध्‍वज में चलते हुए चरखे के स्‍थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्‍वज अंतत: स्‍वतंत्र भारत का तिरंगा ध्‍वज बना।
ध्‍वज के रंग: भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
चक्र: इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है।
भारतीय राष्ट्रीय पोर्टल से साभार

भारतीय तिरंगे का इतिहास..

"सभी राष्‍ट्रों के लिए एक ध्‍वज होना अनिवार्य है। लाखों लोगों ने इस पर अपनी जान न्‍यौछावर की है। यह एक प्रकार की पूजा है, जिसे नष्‍ट करना पाप होगा। ध्‍वज एक आदर्श का प्रतिनिधित्‍व करता है। यूनियन जैक अंग्रेजों के मन में भावनाएं जगाता है जिसकी शक्ति को मापना कठिन है। अमेरिकी नागरिकों के लिए ध्‍वज पर बने सितारे और पट्टियों का अर्थ उनकी दुनिया है। इस्‍लाम धर्म में सितारे और अर्ध चन्‍द्र का होना सर्वोत्तम वीरता का आहवान करता है। "

"हमारे लिए यह अनिवार्य होगा कि हम भारतीय मुस्लिम, ईसाई, ज्‍यूस, पारसी और अन्‍य सभी, जिनके लिए भारत एक घर है, एक ही ध्‍वज को मान्‍यता दें और इसके लिए मर मिटें।"

- महात्‍मा गांधी

प्रत्‍येक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का अपना एक ध्‍वज होता है। यह एक स्‍वतंत्र देश होने का संकेत है। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज की अभिकल्‍पना पिंगली वैंकैयानन्‍द ने की थी और इसे इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया और इसके पश्‍चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में ‘’तिरंगे’’ का अर्थ भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज है।

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्‍वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्‍य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
तिरंगे का विकास
यह जानना अत्‍यंत रोचक है कि हमारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज अपने आरंभ से किन-किन परिवर्तनों से गुजरा। इसे हमारे स्‍वतंत्रता के राष्‍ट्रीय संग्राम के दौरान खोजा गया या मान्‍यता दी गई। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज का विकास आज के इस रूप में पहुंचने के लिए अनेक दौरों में से गुजरा। एक रूप से यह राष्‍ट्र में राजनैतिक विकास को दर्शाता है। हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के विकास में कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार हैं :-
* प्रथम राष्‍ट्रीय ध्‍वज 7 अगस्‍त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता में फहराया गया था जिसे अब कोलकाता कहते हैं। इस ध्‍वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था।
* द्वितीय ध्‍वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था (कुछ के अनुसार 1905 में)। यह भी पहले ध्‍वज के समान था सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था किंतु सात तारे सप्‍तऋषि को दर्शाते हैं। यह ध्‍वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्‍मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।
* तृतीय ध्‍वज 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड लिया। डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्‍य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया। इस ध्‍वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्‍तऋषि के अभिविन्‍यास में इस पर बने सात सितारे थे। बांयी और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।
* अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान जो 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया यहां आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्‍दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्‍व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्‍ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।
* वर्ष 1931 ध्‍वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है। तिरंगे ध्‍वज को हमारे राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्‍ताव पारित किया गया । यह ध्‍वज जो वर्तमान स्‍वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्‍य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। तथापि यह स्‍पष्‍ट रूप से बताया गया इसका कोई साम्‍प्रदायिक महत्‍व नहीं था और इसकी व्‍याख्‍या इस प्रकार की जानी थी।
* 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्‍त भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया। स्‍वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्‍व बना रहा। केवल ध्‍वज में चलते हुए चरखे के स्‍थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्‍वज अंतत: स्‍वतंत्र भारत का तिरंगा ध्‍वज बना।
ध्‍वज के रंग: भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।
चक्र: इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है।
भारतीय राष्ट्रीय पोर्टल से साभार

पंकज पाराशर भास्कर में..

एचटी मीडिया लिमिटेड की मैगजीन कादम्बिनी में वरिष्ठ उप संपादक पंकज पाराशर ने वहां से इस्तीफा देकर दैनिक भास्कर भोपाल बतौर न्यूज एडीटर ज्वाइन कर रहे हैं। वो नईदुनिया अखबार में भी नियमित रूप से लिखते रहे हैं।

Thursday, August 14, 2008

भारत दोबारा अपनी पहचान बनाएगा


रात 12 बजे जब दुनिया सो रही होगी तब भारत जीवन और स्‍वतंत्रता पाने के लिए जागेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में दुर्लभ है, जब हम पुराने युग से नए युग की ओर कदम बढ़ाएंगे. . . भारत दोबारा अपनी पहचान बनाएगा।"

पंडित जवाहरलाल नेह‍रू

(भारतीय स्‍वतंत्रता दिवस, 1947 के अवसर पर)


हमारी शानदार आजादी की 61वीं वर्षगांठ

यह एक देश भक्ति से भरा हुआ हृदय था, जिसमें आजादी के लिए प्‍यार और हमारी प्‍यारी मातृभूमि के लिए अमर समर्पण था जो 200 साल तक अंग्रेजों के राज के अधीन रहने के पर भी बना रहा और हमें अंग्रेजों से आजादी मिली।


महत्‍वपूर्ण
15 अगस्‍त 1947, वह दिन था जब भारत को ब्रिटिश राज से आजादी मिली और इस प्रकार एक नए युग की शुरूआत हुई जब भारत के मुक्‍त राष्‍ट्र के रूप में उठा। स्‍वतंत्रता दिवस के दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत के जन्‍म का आयोजन किया जाता है और भारतीय इतिहास में इस दिन का अत्‍यंत महत्‍व है।


भारतीय स्‍वतंत्रता के संघर्ष में अनेक अध्‍याय जुड़े हैं जो 1857 की क्रांति से लेकर जलियांवाला बाग नरसंहार, असहयोग आंदोलन से लेकर नमक सत्‍याग्रह तक अनेक हैं। भारत ने एक लंबी यात्रा तय की है जिसमें अनेक राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय अभियान हुए और इसमें उपयोग किए गए दो प्रमुख अस्‍त्र थे सत्‍य और अहिंसा।


हमारी स्‍वतंत्रता के संघर्ष में भारत के राजनैतिक संगठनों के व्‍यापक रंग, उनकी दर्शन धारा और आंदोलन शामिल हैं जो एक महान कारण के लिए एक साथ मिलकर चले और ब्रिटिश उप निवेश साम्राज्‍य का अंत हुआ और एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का जन्‍म हुआ। यह दिन हमारी आजादी का जश्‍न मनाने और उस सभी शहीदों को श्रंद्धाजलि देने का अवसर जिन्‍होंने इस महान कारण के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। स्‍वतंत्रता दिवस पर प्रत्‍येक भारतीय के मन में राष्‍ट्रीयता, भाई चारे और निष्‍ठा की भावना भर जाती है।

भारतीय राष्‍ट्रीय पोर्टल से साभार

भारत दोबारा अपनी पहचान बनाएगा


रात 12 बजे जब दुनिया सो रही होगी तब भारत जीवन और स्‍वतंत्रता पाने के लिए जागेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में दुर्लभ है, जब हम पुराने युग से नए युग की ओर कदम बढ़ाएंगे. . . भारत दोबारा अपनी पहचान बनाएगा।"

पंडित जवाहरलाल नेह‍रू

(भारतीय स्‍वतंत्रता दिवस, 1947 के अवसर पर)


हमारी शानदार आजादी की 61वीं वर्षगांठ

यह एक देश भक्ति से भरा हुआ हृदय था, जिसमें आजादी के लिए प्‍यार और हमारी प्‍यारी मातृभूमि के लिए अमर समर्पण था जो 200 साल तक अंग्रेजों के राज के अधीन रहने के पर भी बना रहा और हमें अंग्रेजों से आजादी मिली।


महत्‍वपूर्ण
15 अगस्‍त 1947, वह दिन था जब भारत को ब्रिटिश राज से आजादी मिली और इस प्रकार एक नए युग की शुरूआत हुई जब भारत के मुक्‍त राष्‍ट्र के रूप में उठा। स्‍वतंत्रता दिवस के दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत के जन्‍म का आयोजन किया जाता है और भारतीय इतिहास में इस दिन का अत्‍यंत महत्‍व है।


भारतीय स्‍वतंत्रता के संघर्ष में अनेक अध्‍याय जुड़े हैं जो 1857 की क्रांति से लेकर जलियांवाला बाग नरसंहार, असहयोग आंदोलन से लेकर नमक सत्‍याग्रह तक अनेक हैं। भारत ने एक लंबी यात्रा तय की है जिसमें अनेक राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय अभियान हुए और इसमें उपयोग किए गए दो प्रमुख अस्‍त्र थे सत्‍य और अहिंसा।


हमारी स्‍वतंत्रता के संघर्ष में भारत के राजनैतिक संगठनों के व्‍यापक रंग, उनकी दर्शन धारा और आंदोलन शामिल हैं जो एक महान कारण के लिए एक साथ मिलकर चले और ब्रिटिश उप निवेश साम्राज्‍य का अंत हुआ और एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का जन्‍म हुआ। यह दिन हमारी आजादी का जश्‍न मनाने और उस सभी शहीदों को श्रंद्धाजलि देने का अवसर जिन्‍होंने इस महान कारण के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। स्‍वतंत्रता दिवस पर प्रत्‍येक भारतीय के मन में राष्‍ट्रीयता, भाई चारे और निष्‍ठा की भावना भर जाती है।

भारतीय राष्‍ट्रीय पोर्टल से साभार

Wednesday, August 13, 2008

कोटा से अलीगढ़..

दैनिक भास्कर कोटा के सेंट्रल डेस्क इंचार्ज सुशील झा ने संस्थान से इस्तीफा देकर दैनिक जागरण अलीगढ़ ज्वाइन कर लिया है। वे पिछले नौ वर्षों से दैनिक भास्कर में कार्यरत थे। नई शुरुआत के लिए उन्हें बधाई।

Monday, August 4, 2008

पत्रिका डॉट कॉम

राजस्थान पत्रिका ने अपनी वेबसाइट को नए नाम के साथ रीलांच किया है। इसके तहत आमूल-चूल बदलाव किए गए हैं। साइट डॉट नेट तकनीक के साथ यूनीकोड स्क्रिप्ट में बनाई गई है। इसमें पत्रिका से सभी संस्करणों की खबरों के अलावा वीडियो और ऑडियो न्यूज भी उपलब्ध है। फिलहाल साइट का बीटा वर्जन लांच किया गया है। हालांकि ई-पेपर पर भी पत्रिका को ध्यान देना चाहिए था। पहले भी उनकी यह सेवा संतोषजनक नहीं थी और इस बार तो उसे साइट से हटा ही दिया गया है। इसका लिंक हैः www.patrika.com

Sunday, July 27, 2008

जैसे पड़ोसी मुल्क में हुए हो धमाके..

शुक्रवार और शनिवार को हमारे देश के दो बड़े शहर बैंगलुरु और अहमदाबाद बम धमाकों से गूंज गए। दोनों ही दिन प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने धमाकों की निंदा कर दी। उनके बयान से ऐसा लगा मानो धमाके भारत में नहीं किसी बल्कि किसी दूसरे मुल्क में हुए हों। न जाने हमारी खुफिया एजेंसियों को भी क्या हो गया है। आतंकवादियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि वो हमला करके साफ निकलते जा रहे हैं और हमारी पुलिस व खुफिया एजेंसियां सिर्फ जांच का भरोसा ही दिला रही हैं। रविवार को गृहमंत्री ने कहा कि सरकार संघीय जांच एजेंसी बनाने पर विचार कर रही है। अगर अब भी सरकार विचार ही करेगी तब तो जनता का कल्याण हो चुका। जिस समय पूरा देश महंगाई की आग में झुलस रहा था उस समय सत्तापक्ष उससे निपटने के बजाय कुर्सी की जोड़-तोड़ में लगा रहा। मई में जयपुर में धमाके हुए तब से अब तक जांच की जा रही है जो लगता है, अगले कुछ वर्षों के पहले पूरी नहीं हो पाएगी। फिर आईटी राजधानी बैंगलुरु में धमाके वह भी तब जबकि एक साल से लगातार ऐसी खबरें आ रही थीं कि बैंगलुरु आतंकियों के निशाने पर है। अब यदि इस पर भी सुरक्षा तंत्र कुछ न कर सके तो किसको दोष दें। रही बात पुलिस की तो उससे किसी भी प्रकार की उम्मीद करना बेमानी होगा। पुलिस तो पूरी तरह से राजनेताऒं की परछाई बन चुकी है। यदि उनके सामने भी आतंकी बम लगा रहे हों तो वे तब तक कार्रवाई नहीं करेंगे जब तक उनकी जेब गरम नहीं कर दी जाती या फिर किसी से आदेश न दिलवा दिया जाए।

यह कहना गलत न होगा कि राजनेताऒं की आपसी खींचतान का नतीजा आम जनता को हर बार भुगतना पड़ता है। कई बार मांग उठी कि केंद्रीय एजेंसियों को स्वतंत्र कर दिया जाए पर राजनैतिक लाभ के चलते किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया। आप सोच सकते हैं कि हमारा देश किस ऒर जा रहा है। देश की सर्वोच्च अदालत ने जिस आतंकी को फांसी की सजा सुना दी उसकी सजा को आज तक टाल के रखा गया है। इसी तरह की दरियादिली का नतीजा था, कि काठमांडू से इंडियन एअरलाइंस की फ्लाइट को हाईजैक कर कंधार ले जाया गया और यात्रियों को छोड़ने के बदले एक खूंखार आतंकवादी को छुड़ा लिया गया। जिस देश का नेतृत्व कड़े फैसले नहीं ले सकेगा और कुर्सी के मोह में पड़ा रहेगा वहां इससे बदतर और क्या हो सकता है। आतंकियों का जब मन चाहता है, जहां मन चाहता है वहां विस्फोट कर देते हैं। लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं और नेताऒं को इन सब पर ठोस कदम उठाने के बजाय भाषण का एक मुद्दा मिल जाता है।

महंगाई पर मूर्ख बनायाः यदि आप सबको याद हो तो लगभग डेढ़ महीने पहले प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने दंभ भरते हुए कहा था कि चार से छह हफ्तों में महंगाई काबू में आ जाएगी और इसकी दर भी घटकर छह फीसदी पर वापस आ जाएगी। लेकिन आंकड़ा कम होने के बढ़ते हुए 12 प्रतिशत को पार कर गया। इन सबसे यह तो सिद्ध हो गया है कि नेताऒं को फायदेमंद लगता है वे वही करते हैं और रही जनता तो उसे तो मूर्खों की श्रेणी में रखा जाता है जिसकी याद सिर्फ चुनावों के वक्त आती है।

जैसे पड़ोसी मुल्क में हुए हो धमाके..

शुक्रवार और शनिवार को हमारे देश के दो बड़े शहर बैंगलुरु और अहमदाबाद बम धमाकों से गूंज गए। दोनों ही दिन प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने धमाकों की निंदा कर दी। उनके बयान से ऐसा लगा मानो धमाके भारत में नहीं किसी बल्कि किसी दूसरे मुल्क में हुए हों। न जाने हमारी खुफिया एजेंसियों को भी क्या हो गया है। आतंकवादियों की हिम्मत इतनी बढ़ गई है कि वो हमला करके साफ निकलते जा रहे हैं और हमारी पुलिस व खुफिया एजेंसियां सिर्फ जांच का भरोसा ही दिला रही हैं। रविवार को गृहमंत्री ने कहा कि सरकार संघीय जांच एजेंसी बनाने पर विचार कर रही है। अगर अब भी सरकार विचार ही करेगी तब तो जनता का कल्याण हो चुका। जिस समय पूरा देश महंगाई की आग में झुलस रहा था उस समय सत्तापक्ष उससे निपटने के बजाय कुर्सी की जोड़-तोड़ में लगा रहा। मई में जयपुर में धमाके हुए तब से अब तक जांच की जा रही है जो लगता है, अगले कुछ वर्षों के पहले पूरी नहीं हो पाएगी। फिर आईटी राजधानी बैंगलुरु में धमाके वह भी तब जबकि एक साल से लगातार ऐसी खबरें आ रही थीं कि बैंगलुरु आतंकियों के निशाने पर है। अब यदि इस पर भी सुरक्षा तंत्र कुछ न कर सके तो किसको दोष दें। रही बात पुलिस की तो उससे किसी भी प्रकार की उम्मीद करना बेमानी होगा। पुलिस तो पूरी तरह से राजनेताऒं की परछाई बन चुकी है। यदि उनके सामने भी आतंकी बम लगा रहे हों तो वे तब तक कार्रवाई नहीं करेंगे जब तक उनकी जेब गरम नहीं कर दी जाती या फिर किसी से आदेश न दिलवा दिया जाए।

यह कहना गलत न होगा कि राजनेताऒं की आपसी खींचतान का नतीजा आम जनता को हर बार भुगतना पड़ता है। कई बार मांग उठी कि केंद्रीय एजेंसियों को स्वतंत्र कर दिया जाए पर राजनैतिक लाभ के चलते किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया। आप सोच सकते हैं कि हमारा देश किस ऒर जा रहा है। देश की सर्वोच्च अदालत ने जिस आतंकी को फांसी की सजा सुना दी उसकी सजा को आज तक टाल के रखा गया है। इसी तरह की दरियादिली का नतीजा था, कि काठमांडू से इंडियन एअरलाइंस की फ्लाइट को हाईजैक कर कंधार ले जाया गया और यात्रियों को छोड़ने के बदले एक खूंखार आतंकवादी को छुड़ा लिया गया। जिस देश का नेतृत्व कड़े फैसले नहीं ले सकेगा और कुर्सी के मोह में पड़ा रहेगा वहां इससे बदतर और क्या हो सकता है। आतंकियों का जब मन चाहता है, जहां मन चाहता है वहां विस्फोट कर देते हैं। लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं और नेताऒं को इन सब पर ठोस कदम उठाने के बजाय भाषण का एक मुद्दा मिल जाता है।

महंगाई पर मूर्ख बनायाः यदि आप सबको याद हो तो लगभग डेढ़ महीने पहले प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने दंभ भरते हुए कहा था कि चार से छह हफ्तों में महंगाई काबू में आ जाएगी और इसकी दर भी घटकर छह फीसदी पर वापस आ जाएगी। लेकिन आंकड़ा कम होने के बढ़ते हुए 12 प्रतिशत को पार कर गया। इन सबसे यह तो सिद्ध हो गया है कि नेताऒं को फायदेमंद लगता है वे वही करते हैं और रही जनता तो उसे तो मूर्खों की श्रेणी में रखा जाता है जिसकी याद सिर्फ चुनावों के वक्त आती है।

Friday, July 25, 2008

जग्गो पत्रिका में..

दैनिक भास्कर जयपुर में सीनियर सब एडीटर जग्गो सिंह धाकड़ ने संस्थान से इस्तीफा देकर राजस्थान पत्रिका ज्वाइन कर लिया है। जग्गो जी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं। उन्होंने भास्कर पत्रकारिता अकादमी से भी कोर्स किया है। जग्गो जी ने नवभारत भोपाल में भी काम किया है। इसके बाद वे जयपुर भास्कर में उपसंपादक के पद पर काम किया। लगभग एक वर्ष तक वे कोटा शहर में रिपोर्टिंग भी कर चुके हैं। पिछले वर्ष ही वे वापस जयपुर स्थानांनतरित हुए थे।

दिव्य भास्कर नए स्वरुप में..


दैनिक भास्कर समूह ने अपने गुजराती अखबार दिव्यभास्कर डॉट कॉम की वेबसाइट को रीलांच करने की तैयारी शुरु कर दी है। फिलहाल वेबसाइट की बीटा टेस्टिंग शुरु कर दी गई है। इसके लिए वर्तमान वेबसाइट में एक फ्लैश लिंक भी दिया गया है। गुजराती लोगों के बीच यह साइट काफी पसंद की जाती है। साइट को देखने के लिए आप दिव्यभास्कर डॉट कॉम पर जा सकते हैं या फिर http://itspindore.com/ पर जाकर भी इसे देखा जा सकता है।

अधिक जानकारी के लिए http://divyabhaskar.co.in/ पर विजिट करें।

Thursday, July 24, 2008

नई जिम्मेदारियां..

* अविनाश दास ने एनडीटीवी छोड़कर दैनिक भास्कर ज्वाइन कर लिया है। उन्हें डीबी स्टार का कार्यकारी संपादक बनाया गया है। वहीं अब तक डीबी स्टार भोपाल के कार्यकारी संपादक अवनीश जैन को इंदौर डीबी स्टार का कार्यकारी संपादक बनाया गया है।

* इंदौर दैनिक भास्कर की रीजनल डेस्क के प्रभारी महेंद्र कुशवाह को जल्द शुरु होने वाले रतलाम एडीशन का संपादकीय प्रभारी नियुक्त किया गया है।

Saturday, July 19, 2008

नमित जी न्यूज में

नमित शुक्ला ने दैनिक भास्कर बिलासपुर के राजगढ़ ब्यूरो से इस इस्तीफा देकर जल्द शुरु होने वाले चैनल जी न्यूज २४ घंटे में बतौर रिपोर्टर ज्वाइन कर लिया है। नमित इसके पहले बिलासपुर संस्करण और जांजगीर ब्यूरो में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे अमर उजाला गाजियाबाद में भी रह चुके हैं। नई शुरुआत पर उन्हें बधाई।

Wednesday, July 16, 2008

ताजा खबर...

* न्यूज टुडे इंदौर के सीनियर पेज डिजाइनर कैलाश सानप ने पत्रिका से इस्तीफा देकर टाइम्स ऑफ इंडिया बैंगलोर ज्वाइन कर लिया है।

* दैनिक भास्कर इंदौर की वुमन भास्कर डेस्क की नूपुर दीक्षित ने संस्थान से इस्तीफा देकर पत्रिका इंदौर ज्वाइन कर लिया है।

* हरिभूमि रायपुर के उपसंपादक मनीष शेंडे ने छत्तीसगढ़ में शुरु होने जा रहे जीन्यूज चैनल को ज्वाइन किया है।

* दैनिक भास्कर इंदौर के पेजमेकर उमेश शर्मा ने संस्थान से इस्तीफा देकर जल्द ही शुरु होने वाले अखबार पत्रिका को ज्वाइन कर लिया है।

Sunday, July 13, 2008

ऒझा जी आजतक में..

दैनिक भास्कर इंदौर के सेंट्रल डेस्क प्रभारी रविकांत ऒझा जी ने दिल्ली में बतौर प्रोड्यूसर आजतक चैनल ज्वाइन कर लिया है। ऒझा जी इंदौर भास्कर के पहले पानीपत भास्कर की सेंट्रल डेस्क में थे। वे दैनिक भास्कर से पहले झारखंड के कई हिंदी अखबारों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। नई शुरुआत के लिए उन्हें शुभकामनाएं।

Friday, July 11, 2008

नीलाभ मिश्रा बने आउटलुक हिंदी के संपादक

आउटलुक हिंदी के एसोसिएट एडीटर श्री नीलाभ मिश्रा 16 जुलाई से आउटलुक हिंदी के संपादक नियुक्त हो रहे हैं। श्री मिश्रा आलोक मेहता का स्थान लेंगे। श्री आलोक मेहता नईदुनिया के दिल्ली संस्करण में प्रबंध संपादक बन गए हैं। श्री नीलाभ मिश्रा मूलतः बिहार के बेतिया जिले के रहने वाले हैं और आउटलुक हिंदी से पहले वो जयपुर में कई प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्रों में काम कर चुके हैं।

बोलहल्ला से साभार

Tuesday, July 8, 2008

इधर से उधर गए

* अक्षेष दिव्यभास्कर डॉट कॉम में..
वेबदुनिया गुजराती टीम के लीडर अक्षेष सावलिया ने इस्तीफा देकर दिव्यभास्कर डॉट कॉम अहमदाबाद ज्वाइन कर लिया है। अक्षेष को इंदौर से अपने गृह राज्य जाने पर बधाईयां।

* पंकज नवदुनिया में..
भास्कर डॉट कॉम मुंबई से पंकज भारती ने इस्तीफा देकर नईदुनिया का भोपाल संस्करण नवदुनिया ज्वाइन कर लिया है। उन्हें यहां बिजनेस रिपोर्टिंग की जिम्मेदारी दी गई है। भास्कर वेब से पहले पंकज टीवी१८ समूह की साइट कमोडिटीज कंट्रोल डॉट कॉम में कर चुके हैं।

* रिचिक डेली न्यूज में..
डीएलए इंगलिश के आगरा संस्करण से रिचिक मिश्रा ने इस्तीफा देकर जयपुर में राजस्थान पत्रिका के अखबार डेली न्यूज को ज्वाइन किया है।

बीटीवी से राजटीवी

राज एक्सप्रेस जल्द ही जयपुर और रायपुर से अपने संस्करण निकालने की तैयारी कर रहा है। जयपुर में उन्होंने राज टीवी के लांचिंग की तैयारियां की जाने लगी हैं। बीटीवी जयपुर से इस्तीफा दे चुके अनिल लोढ़ा और उनके दो रिपोर्टर साथियों ने राजटीवी ज्वाइन कर लिया है। लोढ़ा जयपुर में राजटीवी के प्रमुख होंगे।

Thursday, July 3, 2008

नितिन शर्मा पत्रिका इंदौर में

दैनिक भास्कर और दैनिक जागरण में कर चुके नितिन शर्मा ने राजस्थान पत्रिका के इंदौर से शुरु हो रहे संस्करण पत्रिका में बतौर करेस्पांडेंट ज्वाइन किया है। भोपाल के बाद पत्रिका समूह इंदौर में जल्द से जल्द अपना अखबार लांच करने की तैयारियों में जुटा हुआ है। अगले दो महीनों में अखबार के मार्केट में आने की संभावना है। भोपाल की तरह इंदौर में भी पत्रिका गुपचुप लांचिंग की रणनीति बनाए हुए है। इंदौर में पत्रिका सांध्यकालीन अखबार न्यूज टुडे पहले से ही बाजार में है। इसके चलते पत्रिका ग्रुप इस शहर के लिए नया नहीं है।

पत्रिका इंदौर के लिए अभी कोई संपादक तय नहीं हुआ है। फिलहाल न्यूज टुडे के कार्यकारी संपादक और भोपाल पत्रिका के समाचार संपादक दिनेश रामावत ही नई टीम के गठन की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। अगले कुछ दिनों में इंदौर के दूसरे अखबारों में कार्यरत कई पत्रकार और ऑपरेटर पत्रिका ज्वाइन कर सकते हैं।

Sunday, June 29, 2008

ग्वालियर और इंदौर पहुंचेगा मेगामार्ट

अरविंद मिल्स देश भर में अपने रिटेल स्टोर का विस्तार करने में जुटी है। भोपाल में अपने स्टोर की शुरुआत के बाद अरविंद मिल्स ग्वालियर और इंदौर में भी रिटेल स्टोर मेगामार्ट खोलने की तैयारी में है। 2000 से 6000 वर्गफीट जगह वाले ये स्टोर देश के मैट्रो शहरों के अलावा उभरते शहरों में भी खोले जाएंगे। भोपाल के एमपी नगर में स्थित मेगामार्ट स्टोर 3500 वर्गफीट जगह में स्थित और ग्वालियर और इंदौर के स्टोर भी इसी तर्ज पर खोले जाने की तैयारियां चल रही हैं। मेगामार्ट स्टोर एक छत के नीचे देश विदेश के नामी ब्रांड के कपड़े मुहैया कराने की रणनीति पर काम कर रहा है।

भविष्य की योजनाओं के बार में बताते हुए मेगामार्ट के सीओओ केई वैंकटाचलापथी ने कहा कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर और इंदौर जैसे शहर व्यवसायिक गतिविधियांे के बड़े कंेद्र बन रहे हैं और उच्च `ालिटी प्रोड्क्ट्स और सेवाओं की काफी मांग है। मेगामार्ट के नए स्टोर न सिर्फ मुनासिब दाम में बेहतर उत्पाद देंगे बल्कि स्टोर का इंटीरियर और ग्राहक सेवाएं भी लोगों का बेहतर अनुभव देंगी। मेगामार्ट के नए ब्रांड को लंदन के महशूर डिजाइन हाउस जेएचपी ने तैयार किया है। इस साल मार्च में स्टोर और ब्रांड कम्यूनिकेशन के नए डिजायन तय करने के बाद अब इसे लागू करने का दौर चल रहा है।

मेगामार्ट ने विस्तार के लिए करीब 400 करोड़ रुपये की योजना बनाई है। बड़े शहरों में मौजूदगी बनाने के बाद कंपनी दक्षिण भारत के विजयवाड़ा, मैसूर, गुंटूर, सलेम जैसे शहरों का रूख करेगी। फिलहाल मेगामार्ट के देश के 33 शहरों में 89 स्टोर हैं। 1700 से 4000 वर्गफीट जगह वाले मेगामार्ट के दिल्ली में भी तीन स्टोर खुल चुके हैं। इसके अलावा गाजियाबाद में कंपनी का फैक्ट्री आउटलेट भी है।

निर्यात पर निर्भर रहने वाली टेक्सटाइल कंपनियां अन्तर्राष्ट्रीय मंदी के दौर में घरलू रिटेल बाजार पर दांव खेल रही हैं। अरविंद मिल, आलोक इंडस्ट्रीज और वेल्सपन जैसी कंपनियांे ने देश भर में अपने रिटेल स्टोर की तादाद बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।

कुल करोबार के करीब 50 फीसदी तक निर्यात के जरिए कमाने वाली कंपनी जैसे अरविंद मिल्स इस साल के आखिर तक देश भर में 40 से ज्यादा रिटेल स्टोर खोलेगी। आलोक इंडस्ट्रीज भी 40 करोड़ के निवेश से 100 और रिटेल स्टोर खोलने जा रही है। इसी तरह वेल्सपन भी इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक देश भर अपने 400 से च्यादा रिटेल स्टोर लाने की तैयारी में है।
(बिजनेस भास्कर से साभार)

बिजनेस भास्कर जल्द ही इंदौर से

दैनिक भास्कर का वाणिज्यिक अखबार बिजनेस भास्कर जल्द ही इंदौर से भी शुरु होने जा रहा है। इस बावत तैयारियां पूरी कर ली गईं है। अखबार का संपादकीय कार्यालय नई दिल्ली ही रहेगा। शीघ्र ही इसका प्रकाशन दैनिक भास्कर के सभी प्रकाशन केंद्रों के अलावा उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, दिल्ली एवं मुंबई से भी किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए लिंक पर क्लिक करें।

Thursday, June 19, 2008

जुलाई के पहले हफ्ते में

राजस्थान पत्रिका समूह का बहुप्रतिक्षित अखबार पत्रिका इंदौर संस्करण शुरु करने के अंतिम दौर में पहुंच चुका है। ऐसी खबरें हैं कि जुलाई के पहले हफ्ते में अखबार को बाजार में उतारा जा सकता है। फिलहाल कॉपी बुक करने का काम जारी है और बिना किसी एडवांस राशि के सब्सक्रिप्शन के कॉपियां बुक की जा रही हैं।

सागर घर पहुंचे

भोपाल के निवासी सागर पाटील आखिरकार भोपाल लौट ही आए। उन्होंने अमर उजाला देहरादून से इस्तीफा दे दिया है। कुछ ही महीनों पहले सागर का ट्रांसफर देहरादून के लिए किया गया था इसके पहले वे कानपुर अमर उजाला में काम्पेक्ट देख रहे थे। भोपाल में उन्होंने दैनिक भास्कर में सिटी भास्कर डेस्क ज्वाइन की है।

Tuesday, June 17, 2008

हलचल शुरु

इंदौर में पत्रिका की तैयारी लगभग अंतिम दौर में है। मैनेजमेंट ने दैनिक भास्कर से एकदम सटी हुई बिल्डिंग में अपना दफ्तर बनाया है। यह भवन इंदौर समाचार पत्र का है और पिछले कुछ वर्षों से यहां एक कोचिंग संस्थान संचालित हो रहा था। सर्वे जैसा काम यहां पूरा हो चुका है और सर्कुलेशन के लिए गिफ्ट बांटने का दौर भी अंतिम दौर में है। शहर बैनरों से पटा है। पत्रिका के बैनर कैंपेन से राज एक्सप्रेस ने सीख लेते हुए उसी टेस्ट की एड-सीरिज शुरु कर दी है। यहां तक की इंदौर की आवाज उठाने का दावा करते हुए राज की आवाज भी शुरु कर दी है। इसके जरिए वो शहर की समस्याऒं को उठाने की कोशिश करेंगे। शहर में शोर है कि पत्रिका भोपाल की ही तरह इंदौर में भी बिना किसी पूर्व सूचना के बाजार में उतरने की योजना बना रहा है। खैर इससे उन पत्रकारों को ज्यादा फायदा होगा जो जागरण से ठोकर खाकर बैठे हैं। वैसे पत्रिका की ऒर से कई पत्रकारों से संपर्क शुरु कर दिया गया है।

Friday, June 13, 2008

धोनी बने दैनिक भास्कर के ब्रांड एंबेसेडर

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भारत के सबसे तेज बढ़ते मीडिया समूह दैनिक भास्कर का ब्रांड एंबेसेडर बनाया गया है। बकौल धोनी उन्हें इस बात की खुशी है कि उनको दैनिक भास्कर के जुड़ने का मौका मिला है।

Monday, June 9, 2008

राज एक्सप्रेस की वेबसाइट

राज एक्सप्रेस अखबार भी जल्दी ही अपनी वेबसाइट लांच करने की तैयारी में है। साइट का निर्माण पूरा हो चुका है और पिछले तीन महीनों से उसकी टेस्टिंग चल रही है। हालांकि इस बीच साइट को रेगुलर अपडेट नहीं किया जा रहा है। वेबसाइट पर इस समय सिर्फ भोपाल और इंदौर के संस्करण का लिंक दिया गया है साथ ही इन्हीं संस्करणों के पेजों की पीडीएफ भी उपलब्ध कराई गई है। पुराने अंक देखने की सुविधा भी पाठकों को उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है।एक बात काबिले गौर है कि साइट किसी भी एंगल से आकर्षक नहीं है। हालांकि साइट की लांचिंग की फिलहाल कोई तैयारी नहीं है। वेबसाइट का जायजा लेने लिए राज एक्सप्रेस लिंक पर क्लिक करें।

या फिर http://www.rajexpress.in/ पर विजिट करें।

कोटा के अनिल पत्रिका भोपाल में

दैनिक भास्कर कोटा राजस्थान के अनिल गुप्ता ने पत्रिका भोपाल ज्वाइन कर लिया है। अनिल जी मूलतः जबलपुर जिले के रहने वाले हैं।

Saturday, June 7, 2008

धीरेंद्र जी बिजनेस में

अमर उजाला गाजियाबाद की बिजनेस डेस्क में कार्यरत धीरेंद्र कुमार ने संस्थान से इस्तीफा देकर जी टीवी का बिजनेस चैनल जी बिजनेस ज्वाइन कर लिया है। वे चैनल को १० जून से अपनी सेवाएं देंगे।

Friday, June 6, 2008

सच्चाई का सामना करें

आपका पन्ना ब्लॉग के जरिए मैं लोगों का ध्यान एक खास चीज पर दिलाना चाहता हूं। भोपाल में इन दिनों अखबार-वार चल रहा है। कहने के लिए तो यह नए राज्य में एक अखबार की एंट्री है पर असलियत में यह वर्चस्व की लड़ाई है। राजस्थान का एक प्रतिष्ठित अखबार भोपाल में लोकप्रियता पाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहा है। कुछ ही दिनों पहले उसने भोपाल व इंदौर में एक परचा बंटवाया जिसमें एक स्थापित अखबार के बारे में टिप्पणियां की गई थीं। मैं भी झीलों की नगरी का ही बाशिंदा हूं और दोनों की अखबार पढ़ता हूं।

लेकिन ४ जून के 'जस्ट भोपाल' नाम के पुलआउट की कवर स्टोरी में मैंने एक ऐसी खबर देखी जो करीब २० दिनों पहले मैंने दिल्ली से निकलने वाले एक दोपहर के अंग्रेजी अखबार मेल टुडे में पढ़ा था। यह खबर मेट्रीमोनी वेबसाइटस के बारे में थी। खबर का आइडिया तो ठीक लेकिन यहां तो पूरा का पूरा लेआउट फोटो यहां तक की खबर भी चुरा ली गई। केवल वर्जन के स्थान पर भोपाली नाम डाल दिए गए।

बताइए गलत खबर पर बवाल मचाने वाले खुद खबर तक नहीं बना सकते। दूसरे अखबारों की मेहनत को चुराकर अपना बताना भला कहां की ईमानदारी है।क्योंकि मैं एक मीडिया सर्वे कंपनी में काम करता हूं तो मुझे इंदौर शहर की जानकारी मिली की वही खबर उस अखबार के इंदौर स्थित इवनिंगर में भी लगी थी। सुना है कि इंदौर संस्करण का नाम अंग्रेजी में है और वह मुंबई के एक अखबार से पावर लेता है। लेकिन कंटेंट में दूसरे अंग्रेजी अखबारों का पावर दिखाई देता है। बताइए कि ऐसे अखबार किन आधार पर पाठकों से विश्वास की अपेक्षा रखते हैं। मेरी आप सभी से गुजारिश है कि यदि किसी जागरुक पाठक के पास दिल्ली से निकलने वाले मेल टुडे की प्रति हो तो कृपया मुझे ईमेल करें या फिर भोपाल की आवाज बनने इस अखबार के दफ्तर तक पहुंचा दें। यह अखबार इंडिया टुडे ग्रुप का है।

(यह लेखक का अपना विचार है। आपका पन्ना सिर्फ प्लेटफार्म उपलब्ध करवाता है। किसी भी तरह की शिकायत के लिए कृपया लेखक से संपर्क करें।)

सच्चाई का सामना करें

आपका पन्ना ब्लॉग के जरिए मैं लोगों का ध्यान एक खास चीज पर दिलाना चाहता हूं। भोपाल में इन दिनों अखबार-वार चल रहा है। कहने के लिए तो यह नए राज्य में एक अखबार की एंट्री है पर असलियत में यह वर्चस्व की लड़ाई है। राजस्थान का एक प्रतिष्ठित अखबार भोपाल में लोकप्रियता पाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहा है। कुछ ही दिनों पहले उसने भोपाल व इंदौर में एक परचा बंटवाया जिसमें एक स्थापित अखबार के बारे में टिप्पणियां की गई थीं। मैं भी झीलों की नगरी का ही बाशिंदा हूं और दोनों की अखबार पढ़ता हूं।

लेकिन ४ जून के 'जस्ट भोपाल' नाम के पुलआउट की कवर स्टोरी में मैंने एक ऐसी खबर देखी जो करीब २० दिनों पहले मैंने दिल्ली से निकलने वाले एक दोपहर के अंग्रेजी अखबार मेल टुडे में पढ़ा था। यह खबर मेट्रीमोनी वेबसाइटस के बारे में थी। खबर का आइडिया तो ठीक लेकिन यहां तो पूरा का पूरा लेआउट फोटो यहां तक की खबर भी चुरा ली गई। केवल वर्जन के स्थान पर भोपाली नाम डाल दिए गए।

बताइए गलत खबर पर बवाल मचाने वाले खुद खबर तक नहीं बना सकते। दूसरे अखबारों की मेहनत को चुराकर अपना बताना भला कहां की ईमानदारी है।क्योंकि मैं एक मीडिया सर्वे कंपनी में काम करता हूं तो मुझे इंदौर शहर की जानकारी मिली की वही खबर उस अखबार के इंदौर स्थित इवनिंगर में भी लगी थी। सुना है कि इंदौर संस्करण का नाम अंग्रेजी में है और वह मुंबई के एक अखबार से पावर लेता है। लेकिन कंटेंट में दूसरे अंग्रेजी अखबारों का पावर दिखाई देता है। बताइए कि ऐसे अखबार किन आधार पर पाठकों से विश्वास की अपेक्षा रखते हैं। मेरी आप सभी से गुजारिश है कि यदि किसी जागरुक पाठक के पास दिल्ली से निकलने वाले मेल टुडे की प्रति हो तो कृपया मुझे ईमेल करें या फिर भोपाल की आवाज बनने इस अखबार के दफ्तर तक पहुंचा दें। यह अखबार इंडिया टुडे ग्रुप का है।

(यह लेखक का अपना विचार है। आपका पन्ना सिर्फ प्लेटफार्म उपलब्ध करवाता है। किसी भी तरह की शिकायत के लिए कृपया लेखक से संपर्क करें।)

Monday, June 2, 2008

प्यार की निशानियां बिकाऊ

एक नई वैबसाइट पर पूर्व प्रेमिकाएं और पत्नियां अपने पूर्व प्रेमियों से मिले गिफ्ट्स सुविधाजनक ढंग से बेच सकती हैं, जिन्हें अब वे कतई अपने पास नहीं रखना चाहतीं। द डेली टैलीग्राफ में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि exboyfriendjwelary.com पर महिलाएं रिंग्स, ब्रेसलैट, नैकलेस, ईयर रिंग्स और कलाई घड़ियां आदि सामान बेच रही हैं।

गिफ्ट्स में डायमंड रिंग भी : इस साइट पर बिकाऊ गिफ्ट्स में एक डायमंड रिंग भी है, जिसकी कीमत 1250 पाउंड रखी गई है। इसे बेचने वाली ने इसके विज्ञापन में लिखा है,‘हमारी शादी को तीन साल हो चुके थे। अचानक उसने सोचा कि अब वह शादीशुदा नहीं रहना चाहता।

फिर वह चला गया और मैंने कहा तू नहीं तो और सही। अब मैं एक बहुत ही प्यारे इंसान के साथ शादी करने वाली हूं। मुझे उम्मीद है कि इस रिंग को बेचकर मिलने वाली रकम से मजेदार हनीमून का खर्च आसानी से निकल आएगा।’ वेबसाइट की संस्थापक 30 वर्षीय मैगाहन पैरी नामक एक महिला है। वह लॉस एंजिलस में अभिनेत्री और लेखिका है। वेबसाइट की प्रेरणा उसे अपनी ही सास से मिली थी। जिसके बारे में वह अपने पूर्व पति के बारे में सलाह-मशविरा करते हुए बतिया रही थी।

www.bhaskar.com से साभार

प्यार की निशानियां बिकाऊ

एक नई वैबसाइट पर पूर्व प्रेमिकाएं और पत्नियां अपने पूर्व प्रेमियों से मिले गिफ्ट्स सुविधाजनक ढंग से बेच सकती हैं, जिन्हें अब वे कतई अपने पास नहीं रखना चाहतीं। द डेली टैलीग्राफ में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि exboyfriendjwelary.com पर महिलाएं रिंग्स, ब्रेसलैट, नैकलेस, ईयर रिंग्स और कलाई घड़ियां आदि सामान बेच रही हैं।

गिफ्ट्स में डायमंड रिंग भी : इस साइट पर बिकाऊ गिफ्ट्स में एक डायमंड रिंग भी है, जिसकी कीमत 1250 पाउंड रखी गई है। इसे बेचने वाली ने इसके विज्ञापन में लिखा है,‘हमारी शादी को तीन साल हो चुके थे। अचानक उसने सोचा कि अब वह शादीशुदा नहीं रहना चाहता।

फिर वह चला गया और मैंने कहा तू नहीं तो और सही। अब मैं एक बहुत ही प्यारे इंसान के साथ शादी करने वाली हूं। मुझे उम्मीद है कि इस रिंग को बेचकर मिलने वाली रकम से मजेदार हनीमून का खर्च आसानी से निकल आएगा।’ वेबसाइट की संस्थापक 30 वर्षीय मैगाहन पैरी नामक एक महिला है। वह लॉस एंजिलस में अभिनेत्री और लेखिका है। वेबसाइट की प्रेरणा उसे अपनी ही सास से मिली थी। जिसके बारे में वह अपने पूर्व पति के बारे में सलाह-मशविरा करते हुए बतिया रही थी।

www.bhaskar.com से साभार

पर्चा बांटना शुरु

राजस्थान पत्रिका ने इंदौर शहर में भी परचे बांटना शुरु कर दिया है। शहर के कई इलाकों में यह काम किया जा रहा है। दैनिक भास्कर ने पंजाब में लांचिंग से पहले 'पंजाब को चाहिए जवाब' कैंपेन चलाया था। पत्रिका का एमपी एड-कैंपेन काफी हद तक दैनिक भास्कर के पंजाब एड-कैंपेन की नकल लग रहा है। चाहे भोपाल हो या इंदौर दोनों ही शहरों में एक ही कैंपेन अपनाया जा रहा है। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि शहर में गेट पार्किंग एड और होर्डिंग लगाए जा चुके हैं।

वैसे परचों में संस्थान यह दावा कर रहा है कि कई देशों में ईपेपर के जरिए पत्रिका को देखा जा सकता है और उसका प्रिंट लिया जा सकता है जबकि पिछले कई दिनों से वेबसाइट पर ई-पेपर का सेक्शन काम ही नहीं कर रहा है। साथ ही पूरी वेबसाइट पर कहीं भी भोपाल संस्करण की खबरें देखने को नहीं मिल रही हैं और न ही भोपाल का लिंक ही दिया गया है।

Saturday, May 31, 2008

इंदौर में भी मांगा जा रहा है जवाब

राजस्थान पत्रिका समूह अपना अखबार पत्रिका जल्द ही इंदौर शहर से भी शुरु करने की योजना बना रहा है। ऐसी खबरे हैं कि जुलाई तक किसी भी हाल में संस्करण शुरु किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के चलते समूह के मैनेजिंग डायरेक्टर नीहार कोठारी इन दिनों इंदौर शहर के प्रवास पर हैं।

जल्द ही इंदौर संस्करण के लिए भी पत्रकारों की जोड़-तोड़ शुरु होने की उम्मीद है। हालांकि पत्रिका ने भोपाल की ही तरह यहां भी होर्डिंग्स लगाना शुरु कर दिया है। शहर के कई हिस्सों में तो घरों पर भी नो-पार्किंग के बैनर लगाए जा रहे हैं, जिनमें पत्रिका का नाम छपा है। उधर, पत्रिका के इंदौर संस्करण न्यूज टुडे के दफ्तर में भी देर रात तक काम चल रहा है। हालांकि इंदौर की टीम के ज्यादातर सदस्य अभी तक भोपाल में ही जमे हुए हैं।

Monday, May 26, 2008

epatrika.com नए रुप में

rajasthanpatrika.com जल्द ही रीलांच होने वाली है। इस सिलसिले में काम शुरु हो गया है। पत्रिका की ईपेपर साइट epatrika.com इसी वजह आजकल खुल नहीं रह रही है। साइट पर coming soon का मैसेज दिया जा रहा है। इसके अलावा मुख्य साइट भी जल्द ही रीलांच करने की तैयारी की जा रही है। इस बार वेबसाइट में समूह के दूसरे ब्रांडों डेली न्यूज, न्यूज टुडे, पत्रिका भोपाल और तड़का एफएम को भी जगह दी जाएगी।

बिजनेस भास्कर जल्द ही...

भास्कर समूह ने अपने जल्द शुरु होने वाले हिंदी बिजनेस अखबार का नाम 'बिजनेस भास्कर' रखा है। इसे जल्द ही शुरु किए जाने की उम्मीद है।

Sunday, May 25, 2008

शुरु हो गया DB स्टार

भास्कर ग्रुप का नया बच्चा अखबार 'DB स्टार' सोमवार से शुरु हो गया। इसकी शुरुआत भोपाल से की गई है और समूह की योजना इसे सभी संस्करणों से शुरु करने की है। टेबुलायड आकार के इस अखबार में १६ पेज हैं और कीमत एक रुपए रखी गई है। इसका प्रकाशन सप्ताह में छह दिन (सोमवार से शनिवार तक)होगा। फिलहाल इसे नियमित भास्कर के साथ मुफ्त दिया जा रहा है।

डीएनए मनी की तैयारी

* अमर उजाला गाजियाबाद के धर्मेंद्र सिंह भदौरिया ने लगभग तीन साल की सेवा के बाद संस्थान से इस्तीफा देकर दैनिक भास्कर समूह के नए शुरु हो रहे हिंदी बिजनेस अखबार डीएनए मनी को ज्वाइन कर लिया है। वे यहां बतौर सीनियर सब एडिटर पहुंचे हैं।

* जी बिजनेस चैनल के मंडी लाइव टीम के सदस्य शमशेर सिंह बघेल ने संस्थान से इस्तीफा देकर दैनिक भास्कर समूह के नए शुरु हो रहे हिंदी बिजनेस अखबार डीएनए मनी को ज्वाइन कर लिया है।

Thursday, May 15, 2008

कार्य प्रगति पर है...

* न्यूज टुडे इंदौर में सीनियर सब एडीटर रितु मिश्रा का स्थानांनतरण पत्रिका भोपाल के लिए कर दिया गया है। वो वहां फीचर सेक्शन देखेंगी।

* नईदुनिया ने ट्रेनी पत्रकारों की भर्ती का अभियान शुरु किया है। नए अखबारों की प्रदेश में रुचि देखते हुए यहां पत्रकारों की कमी महसूस की जाने लगी है। शायद यह इसी से निपटने का प्रयास है।

Wednesday, May 7, 2008

शेयर बाजार पर दुनिया का पहला हिंदी पोर्टल मोलतोल डॉट इन

बुधवार को शेयर बाजार और कारोबार जगत पर दुनिया की पहली हिंदी वेबसाइट मोलतोल डॉट इन www.moltol.in आ लांच की गई। देश में अब तक पूंजी बाजार और निवेश पर अंग्रेजी में अनेक वेबसाइट मौजूद हैं लेकिन देश के एक बड़े हिंदी भाषी निवेशक वर्ग को बरसों से हिंदी की वेबसाइट का इंतजार था जो अब खत्‍म हो गया है।

मोलतोल के कार्यकारी शुभम शर्मा का कहना है कि इस वेबसाइट पर शेयर बाजार के हर पहलू की ऐसी जानकारी है जिसे आम निवेशक जानना चाहता है। सूचनाओं और उनसे समृद्ध होने का खजाना है यहां। मोलतोल डॉट इन आम आदमी को ऐसी सूचनाएं देने का प्रयास है जिससे वह वित्तीय रुप से मजबूत बनने के साथ देश को भी आर्थिक महासत्ता बनाने में अपना योगदान दे सकता है। असल में इस वेबसाइट का उद्देश्‍य आम आदमी की आर्थिक ताकत बढ़ाना है।

मोलतोल डॉट इन में शेयर बाजार,बिजनेस जगत की ताजा खबरों से लेकर दिग्‍गज संस्‍थागत निवेशकों की राय, उनसे बातचीत, पब्लिक इश्‍यू, म्‍युचुअल फंड, पूंजी बाजार पर खास फीचर और आर्थिक व्‍यंग्‍य के साथ शेयर बाजार की हस्तियों के इंटरव्‍यू, निवेश से जुड़े सवाल-जवाब और कमोडिटी बाजार का हाल हैं। साथ में है रेडियो दलाल स्‍ट्रीट जिसमें है दलाल स्‍ट्रीट में चल रही कानाफूसी, बातें, खबरें, अफवाह और बाजार की मसालेदार भेलपुरी।

शेयर बाजार पर दुनिया का पहला हिंदी पोर्टल मोलतोल डॉट इन

बुधवार को शेयर बाजार और कारोबार जगत पर दुनिया की पहली हिंदी वेबसाइट मोलतोल डॉट इन www.moltol.in आ लांच की गई। देश में अब तक पूंजी बाजार और निवेश पर अंग्रेजी में अनेक वेबसाइट मौजूद हैं लेकिन देश के एक बड़े हिंदी भाषी निवेशक वर्ग को बरसों से हिंदी की वेबसाइट का इंतजार था जो अब खत्‍म हो गया है।

मोलतोल के कार्यकारी शुभम शर्मा का कहना है कि इस वेबसाइट पर शेयर बाजार के हर पहलू की ऐसी जानकारी है जिसे आम निवेशक जानना चाहता है। सूचनाओं और उनसे समृद्ध होने का खजाना है यहां। मोलतोल डॉट इन आम आदमी को ऐसी सूचनाएं देने का प्रयास है जिससे वह वित्तीय रुप से मजबूत बनने के साथ देश को भी आर्थिक महासत्ता बनाने में अपना योगदान दे सकता है। असल में इस वेबसाइट का उद्देश्‍य आम आदमी की आर्थिक ताकत बढ़ाना है।

मोलतोल डॉट इन में शेयर बाजार,बिजनेस जगत की ताजा खबरों से लेकर दिग्‍गज संस्‍थागत निवेशकों की राय, उनसे बातचीत, पब्लिक इश्‍यू, म्‍युचुअल फंड, पूंजी बाजार पर खास फीचर और आर्थिक व्‍यंग्‍य के साथ शेयर बाजार की हस्तियों के इंटरव्‍यू, निवेश से जुड़े सवाल-जवाब और कमोडिटी बाजार का हाल हैं। साथ में है रेडियो दलाल स्‍ट्रीट जिसमें है दलाल स्‍ट्रीट में चल रही कानाफूसी, बातें, खबरें, अफवाह और बाजार की मसालेदार भेलपुरी।

Monday, May 5, 2008

रानी पत्रिका में...

* दैनिक भास्कर भोपाल की रिपोर्टर रानी शर्मा ने भास्कर से इस्तीफा देकर पत्रिका भोपाल ज्वाइन कर लिया है।

* दैनिक जागरण, चंडीगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार केके कुलश्रेष्ठ ने दैनिक भास्कर के नए लांच होने वाले बिजनेस अखबार में डीएनई पद पर ज्वाइन किया है।

* दैनिक हिंदुस्तान,कानपुर के सीनियर कामर्स करेस्पांडेंट आलोक तिवारी अब दैनिक भास्कर के नए लांच होने वाले बिजनेस अखबार (डीएनए मनी, नई दिल्ली) में बतौर डिप्टी न्यूज एडीटर काम करेंगे। खबर है कि उनके साथ दैनिक जागरण, नोएडा से संजीव तिवारी, आईनेक्स्ट कानपुर से अनिरूद्ध यादव और पुलक भी यहां ज्वाइन कर रहे हैं।

सुनिए भोपाल की आवाज...

पत्रिका भोपाल इन दिनों ताबड़तोड़ मार्केटिंग अभियान में लगा हुआ है। इसी के तहत शहर में नए ग्राहक बनाने और उन्हें इनाम का लॉलीपॉप दिया जा रहा है। थोक के भाव में कांच की कटोरियों से ग्राहक बनाए जा रहे हैं। उधर नईदुनिया का अखबार नवदुनिया भी २० मई को भोपाल में मीटिंग करने जा रहा है। यह मीटिंग आगे की रणनीतिक पर केंद्रित हो सकती है।

Tuesday, April 29, 2008

ताजा-तरीन खबरें

डीएनए मनी हिंदी में
इकोनॉमिक टाइम्स और बिजनेस स्टैंडर्ड की तर्ज पर ही भास्कर समूह का अखबार डीएनए मनी भी हिंदी भाषा में निकालने की तैयारी की जा रही है। ऐसी खबरें हैं कि इसका प्रकाशन दिल्ली से होगा।

नईदुनिया यूपी बिहार की तैयारी में
ऐसी चर्चा है कि नईदुनिया जल्द ही उत्तरप्रदेश और बिहार सहित देशभर के १२ शहरों से अपने संस्करण शुरु करने जा रहा है।

बिजनेस अखबार फाइनेशियल टाइम्स के प्रकाशक पीयर्सन समूह ने भारतीय कारोबारी जगत में नेटवर्क 18 के साथ गठजोड़ कर अंग्रेजी में दैनिक बिजनेस अखबार शुरू करने की योजना बनाई है।

दैनिक भास्कर में कारपोरेट डेस्क पर उपसंपादक के रूप में कार्यरत प्रदीप कुमार पांडेय ने आईनेक्स्ट के साथ गलबहियां कर ली हैं। वे इसी पद पर आईनेक्स्ट, कानपुर में सेंट्रल डेस्क पर कार्य करेंगे।

Monday, April 28, 2008

भागमभाग एक्सप्रेस जारी है

खबर है कि अविनाश दीक्षित ने दैनिक भास्कर भोपाल से इस्तीफा देकर पत्रिका का दामन थाम लिया है। उनके अलावा ८ और लोग भास्कर छोड़ने का मन बना रहे हैं। फिलहाल तो उनके नाम जाहिर नहीं किए गए हैं। एक-दो दिन में यह खबर भी मिल जाएगी।

Saturday, April 26, 2008

यूं ही कभी

मेरी सुबह होती है यूं ही
आंगन बुहारते गोबर से लीपते
रोटी-भात बनाते
कपड़े धोते
गाय को चारा खिलाते
बच्चे को दूध पिलाते
हर दिन दुलत्ती खाते
यूं ही होती है सुबह।

कल जब पड़ोस में देखा
सुबह भी हंसती है उसके आंगन में
नहीं बुहारना-लीपना पड़ता उठकर भिनसरे
नहीं पड़ती उसको दुलत्ती कभी
उसकी कोठी में होती है सुबह यूं ही
मेरी सुबह भी बीत ही जाती है रोज यूं ही।

यूं ही कभी

मेरी सुबह होती है यूं ही
आंगन बुहारते गोबर से लीपते
रोटी-भात बनाते
कपड़े धोते
गाय को चारा खिलाते
बच्चे को दूध पिलाते
हर दिन दुलत्ती खाते
यूं ही होती है सुबह।

कल जब पड़ोस में देखा
सुबह भी हंसती है उसके आंगन में
नहीं बुहारना-लीपना पड़ता उठकर भिनसरे
नहीं पड़ती उसको दुलत्ती कभी
उसकी कोठी में होती है सुबह यूं ही
मेरी सुबह भी बीत ही जाती है रोज यूं ही।

Wednesday, April 23, 2008

जारी है अभी...

* बीटीवी भोपाल के रिपोर्टर पवन वर्मा ने पत्रिका भोपाल ज्वाइन कर लिया है।

* दैनिक जागरण रीवा के जनरल मैनेजर दशरथ झा हरिभूमि ज्वाइन कर लिया है। जागरण के पहले वे नवभारत सतना के यूनिट प्रभारी रह चुके हैं।

Monday, April 21, 2008

बदलाव की बयार

ऐसी खबर है कि हिंदुस्तान अखबार इसी सोमवार (21 अप्रैल 08) से अपनी स्टाइलशीट में बदलाव कर रहा है। इसके लिए काम जोरों से चल रहा है। एक विदेशी लेआउट डिजायनर हिंदुस्तान की नई स्टाइलशीट तैयार कर रहा है। हिंदुस्तान का प्रबंधन फिलहाल जिस एजेंडे पर चल रहा है उसमें इस अखबार को 2 साल के अंदर देश का नंबर दो अखबार बनाने का है। इससे पहले भी हिंदुस्तान समय समय पर अपने लेआउट व स्टाइलशीट में आमूलचूल बदलाव करता रहा है।

खेमेबाजी

नवदुनिया में खेमेबाजी
नवदुनिया अभी शुरु भी नहीं हुआ है कि अखबार में खेमेबाजी चरम पर पहुंच गइ है‌। भर्ती किए गए नए रिपोर्टरों और पहले से पदस्थ संपादकीय सहयोगियों में कार्य बंटवारे को लेकर रोजाना कुछ न कुछ विवाद हो रहा है‌। जो नए रिपोर्टर आए हैं उन्हें अभी तक कोइ जिमेदारी नहीं दी गई है।

पंकज पाठक ने नवभारत छोड़ा
ऎसी खबर है कि नवभारत के एसोसिएट एडीटर पंकज पाठक ने नवभारत को अलविदा कह दिया है।

डी श्रीनिवास राव ने भास्कर छोड़ा
लंबे समय तक भास्कर से जुड़े रहने वाले ग्राफिक्स आर्टिस्ट डी श्रीनिवास राव ने भास्कर छोड़ दिया है। उन्होंने हिंदुस्तान ज्वाइन कर लिया है।

दास्तान-ए-ट्रांसफर
अमर उजाला, कानपुर से तीन और लोगों का तबादला लखनऊ की नई यूनिट के लिए कर दिया गया है। अजय कश्यप सिटी डेस्क इंचार्ज, अक्षय प्रताप सिंह सीनियर सब एडीटर और संतोष सिंह रिपोर्टर वहां भेजे गए हैं। इनके अलावा कानपुर से ही चार लोगों का तबादला अमर उजाला, देहरादून किए जाने की खबर भी है। इनमें से तीन के नाम पता चले हैं जो इस प्रकार हैं.... आरके पांडेय, सागर पाटिल और रवि। सागर पाटिल माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्विविद्यालय के छात्र रह चुके हैं।

Saturday, April 19, 2008

भागमभाग

इन दिनों मध्यप्रदेश के मीडिया बाजार में भारी उथल-पुथल मची हुई है। रोजाना किसी न किसी पत्रकार के इस्तीफे और नई ज्वाइनिंग की खबरें आ रही हैं। जनवरी से शुरु हुई यह हलचल पिछले १०-१५ दिनों में और बढ़ गई है। आज हम आपको बताएंगे कि कौन कहां जा रहा है।

दैनिक भास्कर से पत्रिका वाले पत्रकार:
* पंकज श्रीवास्तव
* सुधीर निगम
* संजय दुबे
* ऋषि पांडे
* रुपेश राय
* राकेश मालवीय
* धनंजय प्रताप सिंह
* धर्मेन्द्र पैगवार
* राहुल शर्मा
* मनोज कुमार
* मनीष गीते।
* अबरार खान (फोटोग्राफर)
* गगन नायर (फोटोग्राफर)

भास्कर से नवदुनिया जाने वाले पत्रकार:
* रवीन्द्र भजनी
* जितेन्द्र चौरसिया
* अमित देशमुख
* पुनीत पाण्डेय

* राजस्थान पत्रिका जयपुर में उपसंपादक आलोक मिश्रा और प्रसून मिश्रा का ट्रांसफर भोपाल पत्रिका में कर दिया गया है।

* न्यूज टुडे इंदौर में कार्यरत नितिन त्रिपाठी का ट्रांसफर भोपाल पत्रिका के लिए कर दिया गया है।

मीडिया हालम-चालम

* ऐसी खबरें हैं कि लोकमत समूह के ग्रुप एडिटर श्रीगिरीश मिश्र जल्द ही भोपाल से प्रकाशित होने जा रहे भोपाल पत्रिका (राजस्थान पत्रिका का मध्य प्रदेश संस्करण) के संपादक बनने वाले हैं। बताया जा रहा है कि गिरीश मिश्र पत्रिका में एक मई को ज्‍वाइन करेंगे।

* दैनिक भास्कर कोटा संस्करण में रिपोर्टर प्रीति जोशी ने जयपुर में राजस्थान पत्रिका समूह का अखबार डेली न्यूज ज्वाइन कर लिया है। प्रीति भास्कर पत्रकारिता अकादमी भोपाल की छात्रा रह चुकी हैं।

* बेंगलूर राजस्‍थान पत्रिका में रिपोर्टर अभिनव सिन्‍हा ने इस्‍तीफा देकर चंडीगढ में हिंदुस्‍तान ज्‍वाइन किया है।

* मराठी अखबार देशोन्‍नति नागपुर से निकलने वाले हिंदी अखबारों को टक्कर देने के लिए अपना हिंदी संस्‍करण प्रारंभ करने की तैयारी की थी, जिसे अब टाल दिया गया है। बताया जा रहा है कि हिंदी संस्करण का प्रकाशन अब अक्तूबर तक हो सकेगा। खबर है कि देशोन्‍नति अपने हिंदी अखबार की लांचिंग लोकमत समाचार के पहले संपादक एसएन विनोद के नेतृत्व में करना चाहता है।

* राजेश शर्मा को न्‍यूज टुडे जयपुर का संपादकीय प्रभारी बनाया गया है। अब तक वहां कार्यरत हरेंद्र सिंह बगवाडा को राजस्‍थान पत्रिका जयपुर का चीफ रिपोर्टर बनाया गया है।

* राष्ट्रीय सहारा पटना संस्करण के स्थानीय संपादक ऒंकारेश्वर पांडेय ने सहारा से इस्तीफा देकर 'द संडे इंडियन' के हिंदी और भोजपुरी संस्करण में बतौर संपादक ज्वाइन किया है। द संडे इंडियन प्रोफेसर अरिंदम चौधरी की प्लानमैन मीडिया द्वारा प्रकाशित की जाती है।

* वर्षा पारीक ने दैनिक भास्कर जयपुर से इस्तीफा देकर राजस्‍थान पत्रिका का सिटी सप्‍लीमेंट जस्‍ट जयपुर ज्‍वाइन कर लिया है।

Saturday, April 12, 2008

इंतजार खत्म

* न्यूज टुडे इंदौर में उपसंपादक अनिल पांडेय ने दैनिक भास्कर इंदौर ज्वाइन कर लिया है।

* वेबदुनिया डॉट कॉम इंदौर में कार्यरत मिथिलेश कुमार ने भी दैनिक भास्कर ज्वाइन कर लिया है। वे फीचर डेस्क में उपसंपादक हो गए हैं।

* वेबदुनिया डॉट कॉम इंदौर में उपसंपादक अंकित श्रीवास्तव ने दैनिक भास्कर भोपाल ज्वाइन कर लिया है। वे वहां सुपर सेंट्रल डेस्क में काम करेंगे।

Wednesday, March 26, 2008

मीडिया से जुड़ी तीन खबरें

दीपक मेनन CNNIBN में
दीपक मेनन ने सीएनएनआईबीएन, दिल्‍ली में ज्‍वाइन कर लिया है। वो सीनियर कॉपी एडीटर के पद पर गए हैं। श्री मेनन आईएनएक्‍स न्‍यूज के अलावा ई टीवी न्‍यूज में भी अपनी सेवा दे चुके हैं।
नगेंद्र यादव बने स्‍थानीय संपादक
हिंदुस्‍तान, लखनऊ के एनई नगेंद्र यादव का तबादला भागलपुर कर दिया गया है। श्री यादव वहां स्‍थानीय संपादक की भूमिका निभाएंगे।
कुर्बान अली इंडिया न्‍यूज
कुर्बान अली जो डीडी न्‍यूज में कार्यरत थे, उन्‍होंने इंडिया न्‍यूज ज्‍वाइन कर लिया है।

Tuesday, March 25, 2008

एक उत्तर-भारतीय की भावनाएँ कविता के माध्यम से

पराये हैं,
ये तो मालूम था हमको
जो अब कह ही दिया तूने
तो आया सुकूं दिल को

शराफत के उन सारे कहकहों में
शोर था इतना
मेरी आवाज़ ही पहचान
में न आ रही मुझको

बिखेरे क्यों कोई अब
प्यार की खुशबू फिज़ाओं में
शक की चादरों में दिखती
हर शय यहाँ सबको

बढ़ाओं आग नफ़रत की
जगह भी और है यारों
दिलों की भट्टियों में
सियासत को ज़रा सेको

सड़क पे आ के अक्सर
चुप्पियाँ दम तोड़ देती हैं
बस इतनी खता पे
पत्थर तो न फेंकों

(एक ब्लॉगर मित्र की रचना जिसमें उन्होंने कविता के जरिए अपना मत रखा है। उम्मीद है आप भी इनसे इत्तेफाक रखेंगे।)
स्वप्रेम तिवारी
khabarchilal.blogspot.com

एक उत्तर-भारतीय की भावनाएँ कविता के माध्यम से

पराये हैं,
ये तो मालूम था हमको
जो अब कह ही दिया तूने
तो आया सुकूं दिल को

शराफत के उन सारे कहकहों में
शोर था इतना
मेरी आवाज़ ही पहचान
में न आ रही मुझको

बिखेरे क्यों कोई अब
प्यार की खुशबू फिज़ाओं में
शक की चादरों में दिखती
हर शय यहाँ सबको

बढ़ाओं आग नफ़रत की
जगह भी और है यारों
दिलों की भट्टियों में
सियासत को ज़रा सेको

सड़क पे आ के अक्सर
चुप्पियाँ दम तोड़ देती हैं
बस इतनी खता पे
पत्थर तो न फेंकों

(एक ब्लॉगर मित्र की रचना जिसमें उन्होंने कविता के जरिए अपना मत रखा है। उम्मीद है आप भी इनसे इत्तेफाक रखेंगे।)
स्वप्रेम तिवारी
khabarchilal.blogspot.com

Tuesday, March 18, 2008

मीडिया का बड़ा बाजार बनता मध्यप्रदेश


राज टीवी बनेगा सैटेलाइट चैनल


भोपाल से शुरु हुआ अखबार राज एक्सप्रेस इंदौर के बाद ४ जुलाई से ग्वालियर और जबलपुर संस्करण भी शुरु करने जा रहा है। ४ जुलाई को ही राज समूह का केबल टीवी चैनल राज टीवी सैटेलाइट चैनल के रूप में काम करना शुरू कर देगा।


उथल-पुथल भरा होगा महीना


अगले दो-तीन महीने भोपाल और मध्यप्रदेश के मीडिया बाजार में उथल-पुथल भरे रहेंगे। क्योंकि उसी समय नईदुनिया भोपाल संस्करण को रीलांच करेगा। इसके अलावा राजस्थान पत्रिका समूह का अखबार भी भोपाल से शुरू होगा। उधर जागरण समूह भी आईनेक्स्ट लाने की तैयारी युद्धस्तर पर कर रहा है।


यूके सामल राज के डायरेक्टर बने


सीनियर आईएएस के पद से रिटायर हुए यूके सामल ने राज एक्सप्रेस समूह को बतौर डायरेक्टर ज्वाइन किया है। सामल राज समूह का एविएशन प्रोजेक्ट भी देखेंगे।

मीडिया का बड़ा बाजार बनता मध्यप्रदेश


राज टीवी बनेगा सैटेलाइट चैनल


भोपाल से शुरु हुआ अखबार राज एक्सप्रेस इंदौर के बाद ४ जुलाई से ग्वालियर और जबलपुर संस्करण भी शुरु करने जा रहा है। ४ जुलाई को ही राज समूह का केबल टीवी चैनल राज टीवी सैटेलाइट चैनल के रूप में काम करना शुरू कर देगा।


उथल-पुथल भरा होगा महीना


अगले दो-तीन महीने भोपाल और मध्यप्रदेश के मीडिया बाजार में उथल-पुथल भरे रहेंगे। क्योंकि उसी समय नईदुनिया भोपाल संस्करण को रीलांच करेगा। इसके अलावा राजस्थान पत्रिका समूह का अखबार भी भोपाल से शुरू होगा। उधर जागरण समूह भी आईनेक्स्ट लाने की तैयारी युद्धस्तर पर कर रहा है।


यूके सामल राज के डायरेक्टर बने


सीनियर आईएएस के पद से रिटायर हुए यूके सामल ने राज एक्सप्रेस समूह को बतौर डायरेक्टर ज्वाइन किया है। सामल राज समूह का एविएशन प्रोजेक्ट भी देखेंगे।

Sunday, March 16, 2008

अमर उजाला भोपाल से


उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड का नामचीन अखबार अमर उजाला जल्द ही भोपाल से भी प्रकाशित होने की खबर है। इस बावत काम जारी है।

Saturday, March 1, 2008

बिजनेस स्टैंडर्ड जल्द इंदौर से

बिजनेस अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड जल्द ही इंदौर संस्करण लांच करने जा रहा है। इसके पहले उन्होंने भोपाल संस्करण शुरु किया था। इन दिनों शहर में अखबार के होर्डिंग्स हर कहीं देखे जा सकते हैं। गौरतलब है कि कंपनी ने कुछ दिनों पहले ही मुंबई से हिंदी अखबार के अलावा गुजराती भाषा में भी संस्करण शुरु किया है।

Wednesday, February 20, 2008

आवाजाही

संजीव श्रीवास्तव न्यूज इंडिया में
सहारा न्यूज चैनल के वरिष्ठ संवाददाता संजीव श्रीवास्तव ने आने वाला चैनल इंडिया न्यूज ज्वाईन कर लिया है।

सुनील शर्मा इंडिया न्यूज में
बीटीवी (भास्कर टीवी) भोपाल में कार्यरत सुनील शर्मा ने भी इंडिया न्यूज चैनल ज्वाईन कर लिया है।

आईनेक्स्ट भोपाल से
दैनिक जागरण (कानपुर) समूह का टैबुलाइड अखबार आईनेक्स्ट अब भोपाल समेत राज्य के दूसरे शहरों से भी शुरु होने जा रहा है। इसके लिए राजधानी भोपाल में समूह ने यूएनआई की बिल्डिंग किराये पर ली है। उम्मीद है कि अगले कुछ ही महीनों में आईनेक्स्ट और समूह का बिजनेस अखबार शुरु हो जाएगा।

गिरीश उपाध्याय नईदुनिया में

खबर है कि गिरीश उपाध्याय ने राजस्थान पत्रिका छोड़ने के बाद नईदुनिया भोपाल में बतौर स्थानीय संपादक ज्वाइन किया है।

Thursday, February 14, 2008

राजनीति का गंदा चेहरा


महाराष्ट्र में भाषा के आधार पर जो गंदा खेल खेला जा रहा है उसके लिए सिर्फ राज ठाकरे अकेले ही जिम्मेदार नहीं है। उनके साथ राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी और केंद्र सरकार भी बराबर की जिम्मेदार है। राज्य को क्षेत्रवाद की आग में जबरन झोंका जा रहा है और वो भी सिर्फ अपनी राजनीतिक भूख मिटाने के लिए। आखिरकार उन गरीब मजदूरों ने राज ठाकरे या फिर महाराष्ट्र का क्या बिगाड़ा है जो उन्हें पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। क्या अपनी जान की कुर्बानी देकर देश को आजादी दिलाने वालों ने कभी यह सोचा होगा कि कभी उनकी दिलाई आजादी का इस तरह से दुरुपयोग किया जाएगा। अंग्रेज जिन्होंने हम पर सालों शासन किया था उनमें और आज के खादीधारी नेताऒं में कोई अंतर नहीं रह गया है। देश को एकता के धागे में पिरोने के बजाय वो बोली और रहन-सहन के नाम पर बांट रहे हैं। राज ठाकरे भी अच्छी तरह से जानते हैं कि उनकी इस मुहिम का कोई भी राजनीतिक पार्टी खुलकर विरोध नहीं करेगी। क्योंकि सभी को इससे अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने का मौका जो मिल गया है।

केंद्र सरकार भी यह कहकर अपना पलड़ा झाड़ रही है कि राज्य में लॉ और अ।र्डर की स्थिति के लिए वो नहीं राज्य सरकार जिम्मेदार है। लेकिन यह मामला केंद्र या फिर राज्य का नहीं है बल्कि यह मामला है संविधान के उल्लंघन का। आखिर हमारे देश के न्यायविदों को क्या हो गया है जरा-जरा सी बात को कानून की आंच दिखाने वाले देश के नामी वकील यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी इस मुद्दे पर पूरी तरह से खामोश है। कई मामलों में खुद ब खुद संग्यान लेने वाली अदालतें खामोश हैं। राज ठाकरे भी थोड़ी बहुत सुगबुगाहट इसलिए दिखा रहे हैं क्योंकि राज की इस हरकत से उनका वोट बैंक भी प्रभावित हो रहा है।

प्रदेश सरकार भी इस मुद्दे पर राज से खौफ खाई हुई है। उन्हे यह डर है कि अगर राज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई तो मराठी मानुस नाराज न हो जाए। लेकिन उन गरीबों का क्या जिनकी रोजी-रोटी इन सबमें छिन गई। जिन्हे प्रदेश छोड़कर सिर्फ इसलिए जाना पड़ रहा है क्योंकि वे मराठी नहीं बोल सकते। राज की हिम्मत तो देखिए कि उन्होंने मीडिया को भी दो हिस्सों में बांट दिया है। हिंदी मीडिया को उन्होंने भैया मीडिया की उपमा दे दी है। शायद राज को यह जानकारी नहीं है कि राज्य की प्रगति में मराठियों से ज्यादा गैर-मराठियों का योगदान रहा है। टाटा बिरला अंबानी जिनके उद्योग पूरे देश के अलावा महाराष्ट्र में भी हैं वे मराठी तो नहीं है और न ही मराठी बोलते हैं।

राज के इस मराठी प्रेम को देश की बांटने की कोशिश कहा जाए तो गलत नहीं होगा। जिसकी छूट संविधान ने दे रखी है राज उसके खिलाफ काम कर रहे हैं जो कि देश के सर्वोच्च कानून को ठेंगा दिखाने जैसा है। उधर बेचारे हिंदी प्रदेश के नागरिकों की व्यथा यह है कि उनका कोई माई-बाप नहीं है। जिन्हें भी उनकी सुध आती है तो सिर्फ वोट के लिए। लालू यादव ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से शिकायत करके अपने काम की इतिश्री कर ली। दूसरे हिंदी नेताऒं के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। सबकुछ सामने होने के बावजूद वे अपने-अपने मुंह में दही जमाए बैठे हैं। एक्का-दुक्का नेता थोड़ी बहुत चूं कर भी देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी कोई सुनेगा नहीं और कर्तव्य भी पूरा हो जाएगा। इसमें कोई दो-राय नहीं है कि राज ठाकरे की लगाई यह आग पूरे देश में फैलेगी। मेरा तो मानना है कि राज देश को बंटवारे के कगार पर ले जा रहे है। अगर उन्हें रोका नहीं गया तो यह आग देश के हर उस राज्य को जला देगी जहां किसी भाषा विशेष समुदाय का बाहुल्य है। कहने का साफ मतलब है कि इसकी जद में दक्षिण के राज्यों के अलावा उत्तर भारत के कई राज्य भी आ सकते हैं।

राजनीति का गंदा चेहरा


महाराष्ट्र में भाषा के आधार पर जो गंदा खेल खेला जा रहा है उसके लिए सिर्फ राज ठाकरे अकेले ही जिम्मेदार नहीं है। उनके साथ राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी और केंद्र सरकार भी बराबर की जिम्मेदार है। राज्य को क्षेत्रवाद की आग में जबरन झोंका जा रहा है और वो भी सिर्फ अपनी राजनीतिक भूख मिटाने के लिए। आखिरकार उन गरीब मजदूरों ने राज ठाकरे या फिर महाराष्ट्र का क्या बिगाड़ा है जो उन्हें पलायन के लिए मजबूर किया जा रहा है। क्या अपनी जान की कुर्बानी देकर देश को आजादी दिलाने वालों ने कभी यह सोचा होगा कि कभी उनकी दिलाई आजादी का इस तरह से दुरुपयोग किया जाएगा। अंग्रेज जिन्होंने हम पर सालों शासन किया था उनमें और आज के खादीधारी नेताऒं में कोई अंतर नहीं रह गया है। देश को एकता के धागे में पिरोने के बजाय वो बोली और रहन-सहन के नाम पर बांट रहे हैं। राज ठाकरे भी अच्छी तरह से जानते हैं कि उनकी इस मुहिम का कोई भी राजनीतिक पार्टी खुलकर विरोध नहीं करेगी। क्योंकि सभी को इससे अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने का मौका जो मिल गया है।

केंद्र सरकार भी यह कहकर अपना पलड़ा झाड़ रही है कि राज्य में लॉ और अ।र्डर की स्थिति के लिए वो नहीं राज्य सरकार जिम्मेदार है। लेकिन यह मामला केंद्र या फिर राज्य का नहीं है बल्कि यह मामला है संविधान के उल्लंघन का। आखिर हमारे देश के न्यायविदों को क्या हो गया है जरा-जरा सी बात को कानून की आंच दिखाने वाले देश के नामी वकील यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट भी इस मुद्दे पर पूरी तरह से खामोश है। कई मामलों में खुद ब खुद संग्यान लेने वाली अदालतें खामोश हैं। राज ठाकरे भी थोड़ी बहुत सुगबुगाहट इसलिए दिखा रहे हैं क्योंकि राज की इस हरकत से उनका वोट बैंक भी प्रभावित हो रहा है।

प्रदेश सरकार भी इस मुद्दे पर राज से खौफ खाई हुई है। उन्हे यह डर है कि अगर राज के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई तो मराठी मानुस नाराज न हो जाए। लेकिन उन गरीबों का क्या जिनकी रोजी-रोटी इन सबमें छिन गई। जिन्हे प्रदेश छोड़कर सिर्फ इसलिए जाना पड़ रहा है क्योंकि वे मराठी नहीं बोल सकते। राज की हिम्मत तो देखिए कि उन्होंने मीडिया को भी दो हिस्सों में बांट दिया है। हिंदी मीडिया को उन्होंने भैया मीडिया की उपमा दे दी है। शायद राज को यह जानकारी नहीं है कि राज्य की प्रगति में मराठियों से ज्यादा गैर-मराठियों का योगदान रहा है। टाटा बिरला अंबानी जिनके उद्योग पूरे देश के अलावा महाराष्ट्र में भी हैं वे मराठी तो नहीं है और न ही मराठी बोलते हैं।

राज के इस मराठी प्रेम को देश की बांटने की कोशिश कहा जाए तो गलत नहीं होगा। जिसकी छूट संविधान ने दे रखी है राज उसके खिलाफ काम कर रहे हैं जो कि देश के सर्वोच्च कानून को ठेंगा दिखाने जैसा है। उधर बेचारे हिंदी प्रदेश के नागरिकों की व्यथा यह है कि उनका कोई माई-बाप नहीं है। जिन्हें भी उनकी सुध आती है तो सिर्फ वोट के लिए। लालू यादव ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से शिकायत करके अपने काम की इतिश्री कर ली। दूसरे हिंदी नेताऒं के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। सबकुछ सामने होने के बावजूद वे अपने-अपने मुंह में दही जमाए बैठे हैं। एक्का-दुक्का नेता थोड़ी बहुत चूं कर भी देते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उनकी कोई सुनेगा नहीं और कर्तव्य भी पूरा हो जाएगा। इसमें कोई दो-राय नहीं है कि राज ठाकरे की लगाई यह आग पूरे देश में फैलेगी। मेरा तो मानना है कि राज देश को बंटवारे के कगार पर ले जा रहे है। अगर उन्हें रोका नहीं गया तो यह आग देश के हर उस राज्य को जला देगी जहां किसी भाषा विशेष समुदाय का बाहुल्य है। कहने का साफ मतलब है कि इसकी जद में दक्षिण के राज्यों के अलावा उत्तर भारत के कई राज्य भी आ सकते हैं।

Thursday, February 7, 2008

आवाजाही

वीर संघवी वापस हिंदुस्‍तान टाइम्‍स में
आनेवाले न्यूज चैनल न्यूज एक्स के पूर्व सीइओ और इस ग्रुप के प्रमुख वीर संघवी ने अपना रुख फिर से हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर कर लिया है। आगे वे न्यूज एक्स की बजाय एचटी को अपनी सेवा देंगे। सूत्रों के मुताबिक सिंघवी एचटी टेली के लिए बतौर चीफ एडीटर के रुप में काम करेंगे। मजे की बात है कि एचटी ग्रुप ने भी न्यूज चैनल लांच करने की पहल की है जबकि सिंघवी साहब का कहना है कि मैंने हमेशा से एचटी के एडिटोरियल डायरेक्टर के तौर पर काम किया है और आगे भी इसमें कोई रद्दोबदल नहीं होगा। सिंघवी ने स्प।ट किया किया कि आइनेक्स से कॉन्ट्रैक्ट न्यूज चैनल को लेकर थी और ऐसा नहीं था कि मैंने एचटी छोड़ दिया था, वहां तभ भी मेरा चैम्बर था । इसलिए यह कहना कि मैं दोबारा एचटी ज्वाइन कर रहा हूं ठीक नहीं होगा।

भरत कपाडिया बिजनेस अखबार के मैनेजिंग एडिटर
भरत कपाडिया ने दैनिक जागरण और टीवी 18 समूह के बिजनेस अखबार के लिए बनाई गई कंपनी जागरण 18 पब्लिकेशन लि: के सीईओ और मैनेजिंग एडिटर के रूप में ज्‍वाइन किया है। वे पहले भास्‍कर समूह के एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर थे। भास्‍कर को वोट फॉर ताज कैंपन में उन्‍होंने तगडी भूमिका निभाई थी।

सत्‍येंद्र चौधरी अब बीटीवी जयपुर में
ईटीवी के सत्‍येंद्र चौधरी अब बीटीवी जयपुर में क्राइम रिपोर्टर होंगे। गौरतलब है कि बीटीवी भास्‍कर समूह का केबल चैनल है।

गिरीश उपाध्‍याय ने छोडा राजस्‍थान पत्रिका
राजस्‍थान पत्रिका समूह में डिप्‍टी एडिटर गिरीश उपाध्‍याय ने इस्‍तीफा दे दिया। अभी उनके कहीं ज्‍वाइन करने की कोई खबर नहीं है।

Monday, January 28, 2008

पत्रकारों की आवाजाही

राजीव तिवारी ने बतौर संपादक डेली न्‍यूज जयपुर ज्‍वॉइन किया है। इससे पहले वे अमर उजाला नोएडा, दैनिक भास्‍कर जयपुर और राजस्‍थान पत्रिका उदयपुर में काम कर चुके हैं।

दैनिक भास्‍कर, जयपुर में कार्यरत रघु आदित्य जल्‍दी ही अमर उजाला, देहरादून ज्‍वाइन कर सकते हैं।

हिंदुस्तान, इलाहाबाद के सीनियर रिपोर्टर संजय कुमार मिश्रा ने अब इलाहाबाद में ही अब अमर उजाला के नए बच्चा अखबार कॉम्पैक्ट का अपना नया साथी बना लिया है।

Wednesday, January 23, 2008

एन के सिंह एचटी भोपाल में

खबर है कि श्री नरेंद्र कुमार सिंह (एन. के. सिंह) जल्द ही हिंदुस्तान टाइम्स ज्वाइन कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक वे भोपाल संस्करण ज्वाइन करेंगे।

लोकमत भोपाल से
लोकमत समूह भोपाल से अपना संस्करण शुरु करने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। खबर है कि कोलार रोड स्थित माधव सप्रे पत्रकारिता संग्रहालय के पास ही अखबार का कार्यालय और प्रिटिंग यूनिट लगाई जाएगी।

पंकज शर्मा राज एक्सप्रेस के संपादकीय सलाहकार
लंबे समय तक नवभारत टाइम्स भोपाल के वरिष्ठ संवाददाता रहे पंकज शर्मा जल्द ही राज एक्सप्रेस में संपादकीय सलाहकार के रुप में ज्वाइन करने वाले हैं।

आशुतोष गुप्ता इकॉनॉमिक टाइम्स में
सिटी भास्कर भोपाल के आशुतोष गुप्ता ने इस्तीफा देकर इकॉनॉमिक टाइम्स ज्वाइन कर लिया है।

Monday, January 21, 2008

मीडिया हलचल

धनंजय न्यूज टुडे के ब्यूरो चीफ

भोपाल में बीटीवी के विशेष संवाददाता धनंजय प्रताप सिंह ने इस्तीफा देकर न्यूज टुडे ज्वाइन कर लिया है। वे भोपाल में न्यूज टुडे के ब्यूरो चीफ होंगे।

दीपेश अवस्थी टुडे में

खबर है कि राज एक्सप्रेस के प्रसाशनिक संवाददाता दीपेश अवस्थी भी न्यूज टुडे ज्वाइन कर रहे हैं।

Thursday, January 17, 2008

टाइम्स आफ इंडिया मप्र से



टाइम्स आफ इंडिया मप्र से
टाइम्स ग्रुप जल्द ही मप्र की राजधानी भोपाल और इंदौर से अपने संस्करण शुरु करने जा रहा है। इसके साथ मप्र का मीडिया बाजार और भी गरमा जाएगा। भोपाल के मिसरोद में टाइम्स आफ इंडिया की प्रिटिंग यूनिट लगा दी गई है और इंदौर में काम जारी है।

यशभारत भोपाल से
जबलपुर से प्रकाशित अखबार यशभारत जल्द ही भोपाल संस्करण शुरु कर रहा है। उम्मीद जताई जा रही है कि अप्रैल-मई तक इसका प्रकाशन शुरु हो जाएगा।

हरिभूमि मप्र में
छत्तीसगढ़ का अखबार हरिभूमि जल्दी ही जबलपुर संस्करण शुरु करने जा रहा है। इसके बाद भोपाल और ग्वालियर संस्करण शुरु किए जाएंगे।

रीलांच मार्च में
लंबे समय से नईदुनिया भोपाल की रीलांचिंग टल रही थी। पर अब फैसला लिया गया है कि मार्च महीने में इसे रीलांच किया जाएगा। इसके बाद भोपाल के पाठकों को राज्य की नईदुनिया नए रंग-ढंग में नजर आएगा।

डीएनए इंदौर से
भास्कर और जी समूह का अखबार डीएनए मुंबई अहमदाबाद और पुणे के बाद इंदौर से शुरु होने जा रहा है।

पंकज श्रीवास्तव ने पत्रिका समूह ज्वाइन किया
भोपाल दैनिक भास्कर में सिटी डेस्क इंजार्ज पंकज श्रीवास्तव ने राजस्थान पत्रिका समूह का अखबार डेली न्यूज ज्वाइन किया है। डेली न्यूज अगले कुछ महीनों में भोपाल से अपना संस्करण शुरु करने जा रहा है। पंकज श्रीवास्तव के अलावा कुछ और लोगों के भी डेली न्यूज ज्वाइन करने की खबर है।

फ्री-प्रेस भोपाल से
अभी तक राजधानी भोपाल से ब्यूरो संस्करण निकाल रहे इंदौर के अंग्रेजी अखबार फ्री-प्रेस ने भोपाल संस्करण शुरु करने का निर्णय किया है।

महेश दीक्षित भोपाल में
नईदुनिया इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार महेश दीक्षित का ट्रांसफर भोपाल कर दिया गया है।

Wednesday, January 2, 2008

ये हैं संस्कृति के रक्षक


भागो आ गए संस्कृति के रक्षक। आपका सिर फोड़ेंगे, कपड़े फाड़ेंगे, हुड़दंग मचाएंगे और तोड़फोड़ करेंगे। होटलों में जबरन घुसना और मौका मिलते ही अपने हिस्से की दारू लेना इनका काम है। भई, संस्कृति के रक्षक हैं, तो इतना तो हक बनता है न इनका।

आपको याद होगा कि ऐसे ही कुछ संस्कृति के ठेकेदारों ने पिछले साल मुंबई में एक लड़की के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। इस साल भी ऐसी ही घिनौनी हरकत दोहराई गई। इनसे भले तो वे बलात्कारी हैं जो संस्कृति को बचाने का दावा तो नहीं करते हैं। समाज सुधार के नाम पर अपनी मनमर्जी चलाना कहां की आजादी है। धर्म के नाम गुंडागर्दी चलाने वाले इन संस्कृति सुधारकों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। इनकी ऐसी हरकतों की तुलना तो तालिबानियों से की जाए तो गलत नहीं होगा।

एक तरफ तो हम कहते हैं कि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है और हर नागरिक को अपने फैसले लेने का हक है, तो फिर यह क्या था जो कल रात हुआ और पिछले साल भी हुआ था। क्या यह माना जाए कि लोकतंत्र इन तथाकथित संस्कृति के ठेकेदारों के इशारे पर चलता है। किसने इन्हे यह अधिकार दिया कि वे संस्कृति की रक्षा के नाम पर उसे नंगा करने का प्रयास करें।

देश के युवाऒं में इन्हें रोकने का माद्दा है और इस अन्याय के खिलाफ इन्हे ही आगे आना होगा। वरना ये ठेकेदार कब संस्कृति को तार-तार कर देंगे इसका पता भी नहीं चलेगा।

ग्राफिक्स : रवि लिहनकर

ये हैं संस्कृति के रक्षक


भागो आ गए संस्कृति के रक्षक। आपका सिर फोड़ेंगे, कपड़े फाड़ेंगे, हुड़दंग मचाएंगे और तोड़फोड़ करेंगे। होटलों में जबरन घुसना और मौका मिलते ही अपने हिस्से की दारू लेना इनका काम है। भई, संस्कृति के रक्षक हैं, तो इतना तो हक बनता है न इनका।

आपको याद होगा कि ऐसे ही कुछ संस्कृति के ठेकेदारों ने पिछले साल मुंबई में एक लड़की के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। इस साल भी ऐसी ही घिनौनी हरकत दोहराई गई। इनसे भले तो वे बलात्कारी हैं जो संस्कृति को बचाने का दावा तो नहीं करते हैं। समाज सुधार के नाम पर अपनी मनमर्जी चलाना कहां की आजादी है। धर्म के नाम गुंडागर्दी चलाने वाले इन संस्कृति सुधारकों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। इनकी ऐसी हरकतों की तुलना तो तालिबानियों से की जाए तो गलत नहीं होगा।

एक तरफ तो हम कहते हैं कि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है और हर नागरिक को अपने फैसले लेने का हक है, तो फिर यह क्या था जो कल रात हुआ और पिछले साल भी हुआ था। क्या यह माना जाए कि लोकतंत्र इन तथाकथित संस्कृति के ठेकेदारों के इशारे पर चलता है। किसने इन्हे यह अधिकार दिया कि वे संस्कृति की रक्षा के नाम पर उसे नंगा करने का प्रयास करें।

देश के युवाऒं में इन्हें रोकने का माद्दा है और इस अन्याय के खिलाफ इन्हे ही आगे आना होगा। वरना ये ठेकेदार कब संस्कृति को तार-तार कर देंगे इसका पता भी नहीं चलेगा।

ग्राफिक्स : रवि लिहनकर

Tuesday, January 1, 2008

आया नया साल

आया नया साल
नए साल के साथ नया एहसास
नई उम्मीद नया अरमान
चलें तुम और हम साथ
बीते कल के साथ बीत गए दुख-दर्द
नए साल पर नई खुशी हर पल
न बीते केवल पल-पल में यह साल
हर पल साकार होजैसे महीने और साल ।

आप सभी को नए साल की शुभकामनाएं

आया नया साल

आया नया साल
नए साल के साथ नया एहसास
नई उम्मीद नया अरमान
चलें तुम और हम साथ
बीते कल के साथ बीत गए दुख-दर्द
नए साल पर नई खुशी हर पल
न बीते केवल पल-पल में यह साल
हर पल साकार होजैसे महीने और साल ।

आप सभी को नए साल की शुभकामनाएं