Friday, June 6, 2008

सच्चाई का सामना करें

आपका पन्ना ब्लॉग के जरिए मैं लोगों का ध्यान एक खास चीज पर दिलाना चाहता हूं। भोपाल में इन दिनों अखबार-वार चल रहा है। कहने के लिए तो यह नए राज्य में एक अखबार की एंट्री है पर असलियत में यह वर्चस्व की लड़ाई है। राजस्थान का एक प्रतिष्ठित अखबार भोपाल में लोकप्रियता पाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहा है। कुछ ही दिनों पहले उसने भोपाल व इंदौर में एक परचा बंटवाया जिसमें एक स्थापित अखबार के बारे में टिप्पणियां की गई थीं। मैं भी झीलों की नगरी का ही बाशिंदा हूं और दोनों की अखबार पढ़ता हूं।

लेकिन ४ जून के 'जस्ट भोपाल' नाम के पुलआउट की कवर स्टोरी में मैंने एक ऐसी खबर देखी जो करीब २० दिनों पहले मैंने दिल्ली से निकलने वाले एक दोपहर के अंग्रेजी अखबार मेल टुडे में पढ़ा था। यह खबर मेट्रीमोनी वेबसाइटस के बारे में थी। खबर का आइडिया तो ठीक लेकिन यहां तो पूरा का पूरा लेआउट फोटो यहां तक की खबर भी चुरा ली गई। केवल वर्जन के स्थान पर भोपाली नाम डाल दिए गए।

बताइए गलत खबर पर बवाल मचाने वाले खुद खबर तक नहीं बना सकते। दूसरे अखबारों की मेहनत को चुराकर अपना बताना भला कहां की ईमानदारी है।क्योंकि मैं एक मीडिया सर्वे कंपनी में काम करता हूं तो मुझे इंदौर शहर की जानकारी मिली की वही खबर उस अखबार के इंदौर स्थित इवनिंगर में भी लगी थी। सुना है कि इंदौर संस्करण का नाम अंग्रेजी में है और वह मुंबई के एक अखबार से पावर लेता है। लेकिन कंटेंट में दूसरे अंग्रेजी अखबारों का पावर दिखाई देता है। बताइए कि ऐसे अखबार किन आधार पर पाठकों से विश्वास की अपेक्षा रखते हैं। मेरी आप सभी से गुजारिश है कि यदि किसी जागरुक पाठक के पास दिल्ली से निकलने वाले मेल टुडे की प्रति हो तो कृपया मुझे ईमेल करें या फिर भोपाल की आवाज बनने इस अखबार के दफ्तर तक पहुंचा दें। यह अखबार इंडिया टुडे ग्रुप का है।

(यह लेखक का अपना विचार है। आपका पन्ना सिर्फ प्लेटफार्म उपलब्ध करवाता है। किसी भी तरह की शिकायत के लिए कृपया लेखक से संपर्क करें।)

2 comments:

  1. आपकी पोस्ट पढ़कर लगता है आप बायस्ड हैं पत्रिका को लेकर क्या आपको मालूम है राजस्थान में भास्कर ने आगे बढ़ने के लिए क्या नहीं किया खैर छोड़ो ये पुरानी बात है। सच लिखना कौन सा बुरा है भास्कर ने पिछले दिनौं एक बंदे का मरा हुआ बताया पत्रिका पफोटो सहित जिंदा इसमें बुरा क्या है। खैर इस ब्लाग के माडरेटर भी कभी इंदौर में पत्रिका का हिस्सा रहे हैं। क्या उन्हें नहीं मालूम वो संस्था कैसी है। सर्वे कंपनी में काम करते हैं तो निष्पक्ष रहने की आदत डालिए। अपनी पोस्ट साफ नाम लेकर लिखा कीजिए अगर सच लिख रहे हैं तो डर कैसा हिम्मत तो झूठ बोलने में लगती है।

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  2. जानवी जी शायद यही नाम है आपका। जैसा कि पोस्ट देखने से लगता है। मैं बायस्ड नहीं हूं मैं मीडिया में आ रही गिरावट पर आपका ध्यान आकर्षित करा रहा हूं। रही बात मॉडरेटर की तो उन्होंने मुझे इसी शर्त पर ब्लॉग लिखने दिया कि किसी का प्रत्यक्ष रुप से नही लिया जाएगा। क्योंकि हमें कोई कांट्रोवर्सी तो खड़ी नहीं करनी है। हां अगर मैंने गलत लिखा हो तो आप मुझे आरोपित कर सकते हैं। क्या गलत है कि मेट्रीमोनी वाली खबर पूरी की पूरी मेलटुडे से ली गई है फोटो और लेआउट सहित। मेरा कहना है कि एक की गलती दिखाने से पहले खुद को तो देखिए।

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