Thursday, October 25, 2007

अजीब सा कुछ था उसकी आंखों में...लेकिन क्या ??

उससे मेरी पहली और अन्तिम मुलाकात उस समय हुई थी जब मैं कुछ दिनों पहले दिल्ली से जयपुर बस के माध्यम से जा रहा था. वो जयपुर जिले के कोटपुतली कस्बे से बस में आई थी. साथ में उसके सास ससुर भी थे. वो ठेठ राजस्थानी लहंगा चोली पहन कर बस में आई थी. उसके कपडे से मुझे अंदाजा हो गया था कि हो ना हो वो जरुर यादव ही होगी. उसका लंबा सा धुंधट उसका सबूत था. शुरुआत में मैंने उसपर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया लेकिन जब उसने अपना धुंधट एक हाथ से पकड़ा तो मैं उसे देखता ही रह गया, ज़िंदगी में मैंने पहली बार इतनी खूबसूरत औरत को देखा था, कोई मेकअप कोई बनावटी पन नहीं था उसमे. मुझे उसके सामने दुनिया भर की औरते पानी भरती नज़र आ रही थीं. नाक में कुछ उसने पहना हुआ था..लेकिन क्या मुझे नहीं पता.. मैं उसे बार बार देख रहा था और उसका ससुर मुझे. लेकिन दस मिनट बाद वो अपने ससुर और सास के संग मावटा पर उतर गई और मैं उसे बस जाते हुए देख रहा था,,,उसकी आंखों में एक अजीब सा कुछ था,,लेकिन क्या??

2 comments:

  1. अरे महाराज, ये क्या कर रहे हो..अभी ही तो कहीं और भी इसी पर टिपिया कर आये हैं.

    आते हुए देखो आप. एक हाथ से पकड़ा घुंघट देखो आप, यादों में खोने वाले आप. जाते हुए देखें आप और सजा मिले हमें कि तीन तीन बार पढ़ो...और टिपियाओ :)

    बड़ा मारक असर हुआ है आप पर. जल्द ही साधारण अवस्था में लौटें-ईश्वर से यही कामना है.

    (अन्यथा न लेना भाई, मजाक कर रहा हूँ :))

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  2. बस अब उसपर एक कवि हृदय की भावनाओं का इंतजार रहेगा… उर्वर भूमि तो तैयार खड़ी है…।

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