विश्वरूपम के एक दृश्य में कमल हासन |
तमिल राजनीति के इन तीनों महारथियों के बीच संतुलन न रख पाने का नुकसान कमल हासन को उठाना पड़ रहा है। जिस राजनीतिक खेल की ओर कमल हासन ने इशारा किया था वह यही है। विश्वरूपम पर लगे प्रतिबंधों के पीछे तमिलनाडु की थिएटर लॉबी और फिल्म के सैटेलाइट राइट्स भी एक वजह बताए जा रहे हैं।
'धोती वाला' प्रधानमंत्री बना पहली मुसीबत
कमल ने दरअसल दिसंबर के अंत में एक कार्यक्रम में किसी 'धोती वाले' के प्रधानमंत्री बनने की हिमायत की थी। धोती वाला ये तमिल राजनीतिज्ञ कोई और नहीं बल्कि पी. चिदंबरम हैं। इस कार्यक्रम में उन्होंने करुणानिधि की भी तारीफ की। चिदंबरम और करुणानिधि तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता के लिए दु:स्वप्न जैसे हैं। वे न जया के प्रतिद्वंद्वी हैं बल्कि विश्लेषकों के अनुसार वे उनके दुश्मन जैसे हैं।
जाहिर है कि एक साथ दो दुश्मनों की तारीफ कोई भी राजनीतिज्ञ पसंद नहीं करेगा। करुणानिधि और चिदंबरम से कमल हासन की नजदीकी जयललिता को नागवार गुजर रही है और ऐसे में बेबाक बयानी ने रहा-सहा खेल बिगाड़ दिया।
जया टीवी को नहीं मिले सैटेलाइट राइट्स
विश्वरूपम पर लगे प्रतिबंध के पीछे व्यावसयिक वजहें भी बताई जा रही हैं। दरअसल फिल्म की मुसीबतें उसी दिन शुरु हो गई थीं, जिस दिन कमल हासन ने इसे डीटीएच पर रिलीज करने का ऐलान किया था। इस ऐलान से पहले कमल की फिल्म के सैटेलाइट राइट्स का समझौता जया टीवी से कर चुके थे। जया टीवी का संबंध जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके से है। जया टीवी ने फिल्म का ऑडियो भी रिलीज किया था। लेकिन जैसे ही कमल हासन ने फिल्म के डीटीएच पर रिलीज की घोषणा की, जया टीवी ने सैटेलाइट टीवी के अधिकार खरीदने से मना कर दिया। नतीजतन कमल ने सैटेलाइट टीवी के राइट्स स्टार विजय को बेच दिए।
हालांकि डीएमके अध्यक्ष करुणानिधि का कहना है कि जया टीवी, विश्वरूपम के सैटेलाइट अधिकार औने-पौने दामों में खरीदना चाहता था, जो कमल के व्यावसायिक हित में नहीं था।
डीटीएच राइट्स से थिएटर लॉबी खफा
विश्वरूपम के डीटीएच पर रिलीज के मसले पर तमिलनाडु की थिएटर मालिकों की लॉबी भी कमल हासन के खिलाफ हो गई थी। उन्हें डर है कि कमल एक ऐसी परंपरा न शुरू कर दें जिससे भविष्य में उनका धंधा ही चौपट हो जाए। थिएटर लॉबी का दबाव भी इस फिल्म पर प्रतिबंध के पीछे एक वजह बताया जा रहा है।
क्रिएटिव अबॉर्शन
विश्वरूपम को लेकर विवाद और उस पर तमिलनाडु सरकार के बैन से दुखी दक्षिण के सुपर स्टार कमल हासन ने इस पूरे प्रकरण को 'क्रिएटिव अबॉर्शन' करार देते हुए कहा कि 'लग रहा है वे मेरे बच्चे को जन्म लेने से पहले ही मार देना चाहते हैं।' उन्होंने कहा है कि वे (तमिलनाडु सरकार) तब तक आराम से नहीं बैठेंगे जब तक फिल्म को खत्म न कर दें और मुझे वित्तीय रूप से बर्बाद न कर दें। मैं वित्तीय बर्बादी का सामना करने के लिए तैयार हूं, लेकिन दबाव में झुकूंगा नहीं। हासन ने कहा कि वे मुझे आर्थिक रूप से तोड़ सकते हैं लेकिन मेरी आत्मा को नहीं तोड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह फिल्म के तमिल वर्जन के प्रिंट को मुख्यमंत्री जयललिता के कार्यालय के सामने जलाएंगे।
इनटोलरेंट इंडिया
कमल हासन की फिल्म विश्वरूपम पर संकट के बादल छाए हुए हैं। तमिलनाडु सरकार ने फिल्म पर प्रतिबंध लगा दिया है। फिल्म रिलीज कराने के लिए कमल हासन न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं। बॉलीवुड में फिल्मों के साथ विवाद का एक गहरा नाता है। आजकल तो फिल्म हिट कराने में विवाद अहम भूमिका निभा रहे हैं। आपको बॉलीवुड की कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में बताते हैं, जिनके साथ विवाद साए की तरह जुड़े हैं:
चक्रव्यूह: नक्सली विषय पर बनी इस फिल्म का एक गाना काफी विवादित रहा। सलीम-सुलेमान ने बताया कि जिस गाने पर विवाद खड़ा हुआ है उसमें समाज की असमानता को गीत के जरिए बताया गया है। यह मामला भी अदालत तक पहुंचा था, लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने वैधानिक स्पष्टीकरण के साथ गाना दिखाने की अनुमति दे दी थी।
रॉकस्टार: फिल्म के एक गाने 'साडा हक' के दौरान फ्री तिब्बत लिखे झंडे फहराते हुए दिख रहे थे। सेंसर बोर्ड को इस पर आपत्ति हुई और उसने निर्देशक इम्तियाज अली को वह दृश्य हटाने के लिए कहा। आखिरकार फिल्म के गाने के दौरान उन झंडों को ब्लर करके दिखाया गया।
आरक्षण: साल 2011 में आरक्षण फिल्म को उत्तर प्रदेश और पंजाब में प्रतिबंधित किया गया था। फिल्म के संवाद को लेकर वर्ग विशेष में नाराजगी थी। फिल्म रिलीज होने से पहले तक अधिकतर लोगों को लगता था कि फिल्म आरक्षण में रिजर्वेशन के समर्थन और विरोध की कहानी होगी। फिल्म रिलीज होने के बाद कई लोगों की शंकाएं खत्म हुईं। लेकिन इस फिल्म के कुछ डायलॉग की वजह से यूपी और पंजाब में इस पर बैन लगा दिया गया।
माय नेम इज खान: माय नेम इज खान की रिलीज के दौरान भी ऐसी ही कुछ बातें कही गई थीं कि इस फिल्म में कुछ ऐसे नाम और दृश्य हैं जो एक समुदाय के विरोध में हैं। इतना ही नहीं शिवसेना ने मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में इस फिल्म के विरोध में काफी हंगामा किया। कई सिनेमा घरों में तोडफ़ोड़ की।
बिल्लू: फिल्म बिल्लू पर भी जातिसूचक शब्द का उपयोग करने की वजह से काफी हंगामा हुआ। अंत में सैलून और पार्लर एसोसिएशन के विरोध के बाद फिल्म के नाम से बार्बर शब्द हटाया गया।
वाटर: 2005 में आई फिल्म वाटर, विधवाओं की जिंदगी पर बनी थी। कुछ साल पहले वाराणसी में इसकी शूटिंग की कोशिश की गई थी। लेकिन वहां के पुजारियों ने इसका इतना विरोध किया कि प्रशासन भी यूनिट को सुरक्षा देने में असफल हो गई थी। बाद में इसकी स्टारकास्ट बदलकर श्रीलंका में इसकी शूटिंग की गई थी।
परजानिया: 2007 में राहुल ढोलकिया ने गुजरात दंगों पर परजानिया नाम की फिल्म बनाई थी। कई कट्टर हिंदू संगठनों ने इसका जमकर विरोध किया था। इसके बाद गुजरात में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगी।
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