आपमें से अधिकांश ने आतंकवादियों और लिट्टे के 'ह्यूमन बॉम्ब' के बारे में सुना होगा। लेकिन नक्सलियों ने पेट के अंदर बॉम्ब प्लांट कर सिक्योरिटी एजेंसीज से लेकर आम आदमी तक के होश उड़ा दिए हैं। अभी तक बारूदी सुरंगों के जरिए जवानों पर हमला करने वाले माओवादियों ने दहशत फैलाने की यह नया तरीका अपनाना शुरू किया है। ये वाकया झारखंड के लातेहार जिले में जारी माओवादी और सुरक्षा बलों के बीच एनकाउंटर के बाद सामने आया है। गौरतलब है कि अभी तक दुनिया में सिर्फ मानव बम जैसी घटनाएं भी सामने आईं थीं, जिसमें आतंकवादी अपने शरीर पर विस्फोटक बांधकर खुद को धमाके से उड़ा देता था।
सर्जरी से प्लांट किया था आईईडी
लातेहार के नक्सली हमले में शहीद सीआरपीएफ के जवान बाबूलाल पटेल के पेट में नक्सलियों ने 1.5 किलोग्राम की एक आईईडी सर्जरी करके प्लांट कर दी थी। रिम्स (रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) के पोस्टमार्टम हाऊस में जब डॉक्टर्स और स्टाफ ने उनकी बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए आपॅरेट किया तो सभी डर के साथ-साथ हैरान भी रह गए। डॉक्टर्स ने इसकी जानकारी सीआरपीएफ ऑफिसर्स को दी, तब जाकर मामला खुला। गुरुवार की सुबह हजारीबाग से आई बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वॉयड (बीडीडीएस) ने दोपहर दो बजे के करीब आईईडी को डिफ्यूज कर दिया। लातेहार जिले के बरवाडीह के कटिया जंगल में सात जनवरी से 'ऑपरेशन एनाकोंडा' के तहत नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चल रहा है।
ऐसे हुआ खुलासा
लातेहार में तीन दिनों से 'ऑपरेशन एनाकोंडा' के तहत शहीद पांच जवानों के शवों का पोस्टमार्टम नौ जनवरी की रात में डीसी विनय कुमार चौबे के निर्देश पर किया जा रहा था। टीम में शामिल डॉ. अजीत कुमार चौधरी, डॉ.विनय कुमार, पोस्टमार्टम हाऊस का कर्मचारी मोहन मलिक, राजू मलिक, टिंकू जवानों के शव का पोस्टमार्टम कर रहे थे। टीम ने दो जवान सुदेश कुमार और चम्पालाल मालवीय का शव का पोस्टमार्टम किया। उस समय बाबूलाल पटेल का शव भी मॉर्चरी में गया। जैसे ही टीम शव का पोस्टमार्टम करने की तैयारी करने लगी, उसी समय राजू चिल्लाया, सर इसका तो पहले ही पोस्टमार्टम हो चुका है। सभी ने जाकर देखा तो बाबूलाल पटेल का पेट 15 फीट लंबा चीरा हुआ था और उसे बोरा सिलने के स्टाइल में सील दिया था। जब डॉक्टर्स ने उसे छूकर देखा तो पेट के अंदर कड़ी चीज होने का अहसास हुआ। डॉक्टर्स ने तुरंत पोस्टमार्टम रोक दिया। बाहर आकर उन्होंने इसकी जानकारी रिम्स के डायरेक्टर डॉ तुलसी महतो और सीआरपीएफ के अधिकारियों को दी गई। फिर, बताया गया कि जवान के शरीर से पहले ही छेड़छाड़ की गई है। डॉक्टर्स को यह बताया गया कि घटनास्थल से ही जवान के शव को रिम्स भेजा गया है। इसके बाद सीआरपीएफ ऑफिसर्स ने जवान के शव को बाहर रखने के लिए कहा और बम निरोधक दस्ता को बुलाया गया। बम निरोधक दस्ता ने पेट के अंदर बम होने की पुष्टि की।
एक और जवान की सिलाई
रिम्स में आए एक जवान के शव का जब पोस्टमार्टम किया जा रहा था तो उस समय भी डॉक्टर्स ने पाया कि उसके शरीर का निचला हिस्सा पूरी तरह डैमेज हो गया था। उसके पेट पर भी सिलाई के निशान मिले थे।
पहला केस आया सामने
भारत में इस तरह से बम लगाने का यह पहला मामला है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह के मामले को उन्होंने कभी हैंडल नहीं किया था और यह उनका पहला अनुभव था। हालांकि, नक्सलियों द्वारा शरीर के अंग में सीरिज में बम लगाए गए थे, ताकि प्रेशर पडऩे पर बम में धमाका हो जाए और ज्यादा से ज्यादा कैजुअलटी हो। विशेषज्ञों ने बताया कि इस तरह की तकनीक को श्रीलंका में लिट्टे द्वारा उपयोग किया जाता रहा है।
लगाया था शव के नीचे बम
पुलिस को धोखा देने के लिए और ज्यादा से ज्यादा क्षति पहुंचाने की नीयत से शहीदों के शव के नीचे बम लगा रखा था। सभी शवों के नीचे लगाए गए बम को बॉम्ब स्क्वॉयड ने डिफ्यूज किया था। पर, इनमें से कुछ जवानों के शवों का पेट ऑपरेट कर उसमें बम फिट कर दिया गया था।
घटना का बैकग्राउंड
अभियान के पहले दिन नक्सलियों ने सीआरपीएफ, एसटीएफ के जवानों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसानीं शुरू कर दी। ताबड़तोड़ हमले में दस जवान शहीद हो गए और 20 जवान जख्मी हो गए थे।
डॉक्टर्स कमेंट
रिम्स के डॉ. अजीत कुमार चौधरी और लैब टेक्निशियन दयामय मुखर्जी ने बताया कि उन लोगों को पहले यह आशंका हुई कि आखिर इसका पोस्टमार्टम किसने किया है। चूंकि जिस ढंग से सिलाई की गई थी वह डॉक्टर की सिलाई नहीं लग रही थी। वह किसी पैरा मेडिकल के द्वारा सिलाई लग रही थी। फिर, शव को 15 इंच तक सिला गया था। अमूमन पेशेवर डॉक्टर किसी बॉडी को उतनी लंबाई तक नहीं सिलता। उसे बोरे की तरह सिल दिया गया था। फिर, इसकी जांच की गई कि यदि जवान का ऑपरेशन पहले ही हुआ होगा तो घाव लेकर वह 'ऑपरेशन एनाकोंडा' में भाग क्यों लेगा। इसलिए उन लोगों को शक हुआ और पोस्टमार्टम रोक दिया गया।
...तो उड़ जाता रिम्स
बीडीडीएस के अधिकारी का कहना था कि यदि सिलाई को तोड़ा जाता तो एक बड़ा ब्लास्ट भी हो सकता था। इस ब्लास्ट की चपेट में आकर रिम्स की मॉर्चरी बिल्डिंग को काफी नुकसान पहुंचता और कई लोग मारे जाते। इस तरह के बम को प्रेशर रिलीज डिवाइस बम कहा जाता है। इसमें चार-पांच लोगों के उडऩे की संभावना बनती है।
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