Saturday, July 3, 2010

अभी भी कहर ढा रहा है यूनियन कार्बाइड

यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के 346 टन रेडियोएक्टिव कचरे को ठिकाने लगाने का अभ्यास करते वक्त 6 कर्मचारियों की आंखों की रोशनी कुछ हद तक चली गई। यह हादसा इंदौर से 22 किमी दूर पीथमपुर में रैम्की एनवायरो इंजीनियर्स की फैक्ट्री में हुआ। यहीं पर यूनियन कार्बाइड के जहरीले मलबे को ठिकाने लगाए जाने की योजना है।

भोपाल में हजारों लोगों की जान लेने वाली यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का जहरीला मलबा अब भी ऐसे ही पड़ा हुआ है। हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस जगह से खतरनाक केमिकलों को हटाकर सफाई कराने की योजना को मंजूरी दी है।

इस कचरे को ठिकाने लगाने के लिए पीठमपुर में इन्सिनरेटर लगाया गया है। फिलहाल इसका ट्रायल चल रहा है। इसी दौरान शुक्रवार रात को इस टॉक्सिक कचरे के संपर्क में आने से 6 कर्मचारियों की आंखों की रोशनी पर असर पड़ा है। उनके शरीर के दूसरे अंगों पर भी असर पड़ा है। केंदीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने भी इस हादसे पर चुप्पी साध ली।

कुछ एनजीओ पीठमपुर में यूनियन कार्बाइड के टॉक्सिक कचरे को ठिकाने लगाने का विरोध कर रहे हैं। इस हादसे के बाद उनका कहना है कि वह अपना आंदोलन तेज करेंगे।

नवभारत टाइम्स से साभार

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