Tuesday, April 27, 2010

तो फिर बस

दूर हो जाएं आपसे कोई गम न हो बस चाहें इतना
कुछ कमी लगे जब हम न हों
हर एक खुशी में आपकी शामिल हों
ना हो सामने तो हमारी यादें हों
हमारे आपके रिश्ते की डोर इतनी पावन हो
जिसका गवाह प्रकृति और कण-कण हो
इस दोस्ती के अनमोल रिश्ते में न कोई विघ्न हो
न विषाद की रेखा न कोई दूरी हो
हो तो बस खुशियां ही खुशियां हो
हों खूबसूरत यादें और बातें हों,
जो आए कुछ भुलाने की नौबत कभी तो
तो फिर बस हम न हों।

** कवियत्रीः सपना गुरु, पेशे से विज्ञान शोधकर्ता हैं **

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