कुछ रास्ता है सीधा सा और कुछ है आसपास जाल भी
मुकद्दर ले जा रहा है जाने कहा और किस ओर है मंजिल
धुधली हैं राहें….दूर होता है साहिल…..
काश कोई संभाले कुछ देर को ही सही
इस वक्त और दूर जाते लम्हों की कहानी.....
दूरियां हैं साथ और कुछ मुश्किलें भी
राहों पे बिखरे शूलों की कुछ अटकलें भी
बेतहाशा भाग रहे हैं किस शमा की चाह में
अब तो चाहूं साथ इस अजनबी राह में
काश कोई आए और संभाले सही
जीवन की डोर और बीतते वक्त की कहानी.....
कवियत्रीः सपना गुरु, पेशे से विज्ञान शोधकर्ता हैं।
NICE
ReplyDeleteGOOD
अब तो चाहूं साथ इस अजनबी राह में
ReplyDeleteकाश कोई आए और संभाले सही
जीवन की डोर और बीतते वक्त की कहानी.....
BAHUT KHUB
thanx
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