लेख्नकः नीहारिका झा पांडेय
मीडिया का भविष्य और युवाऒं की भूमिका
मीडिया का भविष्य युवा ही तय करेंगे। समय की मांग युवा शक्ति है। जिस क्षेत्र में युवा काम करते हैं उसकी तरक्की देखकर आप मेरे तर्क को जान सकते हैं। इंजीनियरिंग आईटी और मैजेजमेंट तीनों की क्षेत्रों में युवा शक्ति ही काम कर रही है। उनसे काम लेने का सबसे बड़ा फायदा है ऊर्जा। कहने का मतलब यह कि युवा तेजी से काम करते हैं। इसका मतलब यह भी नहीं है कि उम्रदराज लोगों की क्षमताऒं को नकारा जा रहा है। उनका उपयोग अनुभवी के रूप में लिया जा सकता है। मसलन आप मीडिया में नजर डालें तो टीवी मीडिया तो युवा शक्ति पर ही टिका है। अधिकांश रिपोर्टर युवा हैं और ३०-३५ की उम्र के हैं। मीडिया जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है उसके पीछे युवाऒं का हाथ ही है। चाहे वो संपादकीय विभाग के हों या फिर प्रबंधन से जुड़े हुए हों।
करियर
मैंने मीडिया को सिर्फ एक पेशा मानती हूं। समय की मांग भी यही है कि बजाय किसी मिशन की बात करने के अगर हम अपने काम को ईमानदारी से अंजाम दें तो ज्यादा अच्छा होगा। मीडिया में काम करने का मेरा उद्देश्य अच्छा करियर बनाना है। इस पेशे से मैं अपनी जीविकोपार्जन करती हूं। साथ ही अपने काम को पूरी ईमानदारी से पूरा करना मेरी पहली प्राथमिकता हमेशा से रही है। चाहे कोई भी संस्थान हो। करियर को ध्यान में रखते हुए ही मैंने एक महीने पहले अपनी जॉब चेंज की है। यहां मेरे पास ज्यादा जिम्मेदारियां हैं।
मीडिया में अंतर
जब मैंने मीडिया को एक पेशे के रुप में चुना था उस वक्त कहा जाता था कि इस फील्ड में पैसे नहीं मिलते हैं। परिवार के लिए वक्त नहीं मिलता है। हालांकि शुरु के डेढ़ साल तो मैंने भी ऐसे ही काटे थे जब तनख्वाह आज के मुकाबले आधे से भी काफी कम थी। पर आज परिदृश्य काफी बदल गया है। अब इस क्षेत्र में पैसे बढ़ गए हैं। तकनीक में भी बदलाव आए हैं।
ब्लॉगिंग का भविष्य
ब्लागिंग अपनी भावनाऒं को जताने और मुद्दों पर चर्चा करने का सबसे अच्छा जरिया साबित हो रहा है। इसका भविष्य किसी पोर्टल और अखबार से ज्यादा उज्जवल है। यहां से लोग कम से कम बिना किसी डर के अपनी बात रख सकते हैं। मीडिय कहने को तो अभिव्यक्ति जताने का माध्यम है पर यहां मालिक की मर्जी और कंपनी की पॉलिसी के इतर काम करना यानि नौकरी से हाथ धोना। ऐसे में ब्लॉग वह जरिया है जिससे अपनी मन की बात और उन मुद्दों पर भी चर्चा और बहस की जा सकती है जो प्रोफेशनली नहीं की जा सकती है।
जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही हर चीज के दो पक्ष होते हैं एक तो पॉजिटिव और दूसरा नेगेटिव। ऐसा ही ब्लॉगिंग के साथ भी है। लोग इसका सदुपयोग करने के साथ ही दुरुपयोग भी करते हैं। मसलन दूसरों पर कीचड़ उछालना और अभद्र शब्दों का प्रयोग करना। अभिव्क्ति के इस माध्यम को ऐसी गंदगी से बचाना चाहिए। इस बातचीत के अंत में मैं एक बात कहना चाहूंगी कि कुछ लोग ब्लॉगिंग को अपनी ख्याति बढ़ाने के लिए उपयोग कर रहे हैं। हालांकि यह उनकी अपनी रुचि है कि वो अपने ब्लॉग पर क्या लिखें पर कम से कम इससे मानवता के मुद्दो को रोमांटीसाइज न किया जाए तो भी अच्छी तरह से ब्लॉगिंग की जा सकती है। मसलन आजकल स्त्री मुद्दों पर बड़ी शिद्दत के साथ लिखा जाता है कमेंट भी काबिले तारीफ आते हैं। पर कितने लोग ऐसे हैं जो वाकई वैसे ही हैं जैसा वो अपने आपको प्रोजेक्ट करते हैं।
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