शेर पर भौंकता हुआ कुत्ता। गूगल खोज से साभार |
अमेरिका जैसा देश अपने फायदे के लिए गधे को भी बाप मानने वालों में से है। यह वही देश है, जिसने ओसामा बिन लादेन जैसे आतंकवादियों को तैयार किया था, जो बाद में उसके लिए ही भस्मासुर साबित हुआ था। अब जबकि ओसामा का किस्सा ही खत्म हो चुका है, तब अमेरिका ने पाकिस्तान को यह समझाना शुरू कर दिया है कि वह भारत से दोस्ती बढ़ाए। उधर पाकिस्तान ने अपनी नीतियों में बदलाव करते हुए अपनी निष्ठा को चीन की तरफ दंडवत कर दिया है।
चीन ने भी कह दिया है कि पाकिस्तान के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई को वो बर्दाश्त नहीं करेगा। चीन का इशारा अमेरिकी सैन्य कार्रवाईयों एवं भारत की ओर से संभावित कार्रवाई है। हालांकि चीन भी यह जानता है कि भारत कभी भी हमले की पहल नहीं करेगा। यहां पर भारत और पाकिस्तान की स्थिति को महाभारत काल से भी जोड़ा जा सकता है। महाभारत में श्रीकृष्ण ने शिशुपाल की मां को यह वचन दिया था कि वो शिशुपाल की सौ गलतियों को माफ कर देंगे। लेकिन 101वीं पर वो उसका वध करने के लिए मजबूर होंगे। यहां पर पाकिस्तान की स्थिति को शिशुपाल से जोड़ा तो जा सकता है, पर भारत को श्रीकृष्ण मानना हमारी भूल हो सकती है।
यदि कारगिल के बाद से लेकर अब तक की स्थितियों पर नजर दौड़ाएं तो आपको पता चलेगा कि हमारे देश का बूढ़ा नेतृत्व कितना मजबूर और इच्छाशक्ति विहीन है। कारगिल की घटना को गंभीरता से न लेने के चलते ही हमारी सेना को बड़ी संख्या में हानि उठानी पड़ी थी। उचित रणनीति के अभाव ने कई सैनिकों को जबरन काल के गाल में ढकेल दिया और उस पर भी घोटाले हुए सो अलग। देश के लोकतांत्रिक मंदिर संसद भवन पर पाकिस्तानी आतंकवादियों का हमला हुआ, तो ऐसा लगा मानो इस बार तो आरपार की लड़ाई होगी, लेकिन जो हुआ, उसे क्या संज्ञा दी जाए, समझ नहीं आता।
मुंबई में हमला हुआ तो हम पाकिस्तान से चिट्टी चिट्टी का खेल खेलने में लग गए। भारत उसे मना रहा है कि वो हमले में अपना हाथ होना कबूल कर ले। क्या चोर कभी कहेगा कि उसने चोरी की है। इतना ही नहीं, हद तो इस पर है कि अफजल गुरू नाम के षड्यंत्रकारी को, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुना रखी है, उसे भी हमारा देश दामाद की तरह पाल रहा है। यही हाल मुंबई हमले में पकड़े गए आमिर अजमल कसाब का भी है। उस पर मुकदमा करके उससे कबूल करवाने का प्रयत्न किया जा रहा है, ताकि वह 26/11 के हमले में अपना हाथ होना कबूल ले। इससे ज्यादा हास्यास्पद क्या होगा।
रही सही कसर आज 25 मई को पूरी हो गई, जब पाकिस्तान ने भारत द्वारा दी गई 50 मोस्ट वांटेड आतंकवादियों की सूची को यह कहते हुए लौटा दिया कि पहले भारत यह जांच ले कि इनमें से कितने लोग भारत में रह रहे हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सरकार, नौकरशाह या फिर दोनों। अकर्मण्यता और आपसी समन्वय की कमी के चलते देश की नाक कहीं न कहीं कट ही जाती है। फिर चाहे वो अंतरराष्ट्रीय मंच पर किसी दूसरे देश का भाषण पढ़ देना हो या फिर इस तरह की सूची बनाना हो, जिसमें दिए गए नाम हमारे ही मोहल्ले में रह रहे हों।
बताइए, हम एक ऐसे विकासशील, मजबूत अर्थव्यवस्था एवं तेजी उभरती हुई महाशक्ति हैं, जिनकी मजबूती में दीमक लगी हुई है। भ्रष्टाचार की दीमक और कामचोरी की दीमक। देश में नौकरशाही अपनी ढपली बजाता है और नेता अपना राग आलापते हैं। कहीं कोई सुरताल नहीं, जिसे जो मर्जी वो कर रहा है। एक दो भ्रष्टाचारी हों तो गिनाएं भी जाएं। यहां इनकी संख्या इतनी ज्यादा है कि दो तीन भ्रष्टाचार नगर बसाए जा सकते हैं।
वैसे यह कभी न खत्म होने वाला विषय है। आप और हम इस पर लाखों पन्नों का महाकाव्य भी लिख सकते हैं। हालांकि यह किस्सा शायद तब भी खत्म न हो।