Wednesday, April 27, 2011

जेब-जंतु


गूगल खोज से साभार
आप सबको रामायण का वह वाकया तो याद होगा जिसमें हनुमान जी चालीस योजन समुद्र लांघकर लंका की ओर जा रहे थे और उनका सामना सुरसा से हुआ था। जी हां, वही सुरसा जो हनुमान जी के कद के बराबर अपना मुंह खोल रही थी। खैर यह तो बात एक असुर की थी, जो अपने शिकार के हिसाब से अपना मुंह बड़ा कर रही थी, लेकिन हमारे देश के नेताओं की भूख या कहें कि उनकी जेब कभी भर ही नहीं सकती है। उसने पूरी दुनिया का पैसा भर दें तब भी उनका लालच खत्म नहीं होगा।

अब उदाहरणों की बात करें, तो हमारे देश का हाल ऐसा है कि एक खोजेंगे तो हजार मिलेंगे। लेकिन अपन तो मध्यप्रदेश की बात करते हैं। लगता है यहां के मंत्रियों को मिलने वाले "अदृश्य भत्ते" कम लगने लगे हैं। यही वजह है कि राज्य शासन ने उनके दैनिक भत्ते बढ़ाने का फैसला लिया है। यह हाल तब है जबकि राज्य में पहले से ही माननीय जनप्रतिनिधियों के लिए पहले से ही काफी व्यवस्थाएं मौजूद हैं।

खास बात यह है कि राज्य के मंत्रियों को अभी मिलने वाला दैनिक भत्ता भी कमतर नहीं कहा जा सकता है। फिलहाल माननीयों को प्रदेश में रहने पर 750 रोजाना और प्रदेश के बाहर रहने पर 900 रुपए दैनिक के हिसाब से भत्ता मिलता है। माननीय विधायकों का भत्ता भी पिछले साल बढ़ चुका है।

विधायकों को राज्य में 600 रुपए और राज्य के बाहर 750 रुपए दैनिक भत्ता मिल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को 800 रुपए दैनिक भत्ता मिलता है।

इतना ही नहीं इन माननीयों के विदेश दौरे के भत्ते भी रिवाइज़ किए जा रहे हैं। नए तय किए गए विदेश भत्ते में मंत्रियों को 19 डॉलर (845 रुपए) और विधायकों को 16 डॉलर (712 रुपए) दैनिक मिलेगा।

आइए अब आपको बताएं कि मध्यप्रदेश में माननीयों पर किस तरह से सरकार मेहरबान है। सबसे पहले बात करते हैं मंत्रियों कीः
  • सभी मंत्रियों को 62000 रुपए वेतन के अलावा, वाहन, बंगला, स्टाफ, मुफ्त रेल यात्रा, हवाई यात्रा, फोन, फर्नीचर, मुफ्त बिजली, लैपटॉप इत्यादि। पद में न रहने पर भी उन्हें मुफ्त रेल यात्रा तथा मेडिकल सुविधा आजीवन उपलबध रहती है।
  • ऐसी ही व्यवस्था विधायकों के लिए भी है। उन्हें भी मुफ्त आवास, रेल यात्रा, गैस कनेक्शन, वाटर प्यूरीफायर, टीवी, केबल कनेक्शन, फर्नीचर, बिजली, अलमारियां, टेलीफोन कनेक्शन और लैपटॉप इत्यादि दिया जाता है। विधायक न रहने पर भी उन्हें मुफ्त रेल यात्रा तथा मेडिकल सुविधा आजीवन दी जाती है।
सबसे ऊपर यह है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक और व्यवस्था कर दी थी, जिसके मुताबिक कोई भी मुख्यमंत्री जब पद में नहीं रहेगा तथा केवल विधायक रहेगा तब भी उसे सरकारी बंगला एवं लालबत्ती वाली गाड़ी की सुविधा मिली रहेगी। ऐसी ही सुविधा पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के लिए भी है।

भत्तो सहित वेतन पर एक नजरः
  • मुख्यमंत्री: 65 हजार रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अलावा प्रदेश में 750 और बाहर 900 रुपए दैनिक भत्ता
  • मंत्री: 62 हजार वेतन एवं अन्य भत्ते, प्रदेश में 750 और बाहर 900 रुपए प्रतिदिन भत्ता।
  • राज्य मंत्री: 60 हजार रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अलावा प्रदेश में 750 और बाहर 900 रुपए दैनिक भत्ता
  • विधायक: 50,252 रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते, प्रदेश में 600 और बाहर 750 रुपए दैनिक भत्ता
  • विधान सभा अध्यक्ष: 62 हजार वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अलावा 800 रुपए दैनिक भत्ता
  • नेता प्रतिपक्ष: 62 हजार वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अतिरिक्त 800 रुपए प्रतिदिन भत्ता। कुल 86 हजार
  • विधान सभा उपाध्यक्ष: 60 हजार रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अलावा 800 रुपए दैनिक भत्ता। कुल 84 हजार रुपए।

जेब-जंतु


गूगल खोज से साभार
आप सबको रामायण का वह वाकया तो याद होगा जिसमें हनुमान जी चालीस योजन समुद्र लांघकर लंका की ओर जा रहे थे और उनका सामना सुरसा से हुआ था। जी हां, वही सुरसा जो हनुमान जी के कद के बराबर अपना मुंह खोल रही थी। खैर यह तो बात एक असुर की थी, जो अपने शिकार के हिसाब से अपना मुंह बड़ा कर रही थी, लेकिन हमारे देश के नेताओं की भूख या कहें कि उनकी जेब कभी भर ही नहीं सकती है। उसने पूरी दुनिया का पैसा भर दें तब भी उनका लालच खत्म नहीं होगा।

अब उदाहरणों की बात करें, तो हमारे देश का हाल ऐसा है कि एक खोजेंगे तो हजार मिलेंगे। लेकिन अपन तो मध्यप्रदेश की बात करते हैं। लगता है यहां के मंत्रियों को मिलने वाले "अदृश्य भत्ते" कम लगने लगे हैं। यही वजह है कि राज्य शासन ने उनके दैनिक भत्ते बढ़ाने का फैसला लिया है। यह हाल तब है जबकि राज्य में पहले से ही माननीय जनप्रतिनिधियों के लिए पहले से ही काफी व्यवस्थाएं मौजूद हैं।

खास बात यह है कि राज्य के मंत्रियों को अभी मिलने वाला दैनिक भत्ता भी कमतर नहीं कहा जा सकता है। फिलहाल माननीयों को प्रदेश में रहने पर 750 रोजाना और प्रदेश के बाहर रहने पर 900 रुपए दैनिक के हिसाब से भत्ता मिलता है। माननीय विधायकों का भत्ता भी पिछले साल बढ़ चुका है।

विधायकों को राज्य में 600 रुपए और राज्य के बाहर 750 रुपए दैनिक भत्ता मिल रहा है। विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को 800 रुपए दैनिक भत्ता मिलता है।

इतना ही नहीं इन माननीयों के विदेश दौरे के भत्ते भी रिवाइज़ किए जा रहे हैं। नए तय किए गए विदेश भत्ते में मंत्रियों को 19 डॉलर (845 रुपए) और विधायकों को 16 डॉलर (712 रुपए) दैनिक मिलेगा।

आइए अब आपको बताएं कि मध्यप्रदेश में माननीयों पर किस तरह से सरकार मेहरबान है। सबसे पहले बात करते हैं मंत्रियों कीः
  • सभी मंत्रियों को 62000 रुपए वेतन के अलावा, वाहन, बंगला, स्टाफ, मुफ्त रेल यात्रा, हवाई यात्रा, फोन, फर्नीचर, मुफ्त बिजली, लैपटॉप इत्यादि। पद में न रहने पर भी उन्हें मुफ्त रेल यात्रा तथा मेडिकल सुविधा आजीवन उपलबध रहती है।
  • ऐसी ही व्यवस्था विधायकों के लिए भी है। उन्हें भी मुफ्त आवास, रेल यात्रा, गैस कनेक्शन, वाटर प्यूरीफायर, टीवी, केबल कनेक्शन, फर्नीचर, बिजली, अलमारियां, टेलीफोन कनेक्शन और लैपटॉप इत्यादि दिया जाता है। विधायक न रहने पर भी उन्हें मुफ्त रेल यात्रा तथा मेडिकल सुविधा आजीवन दी जाती है।
सबसे ऊपर यह है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक और व्यवस्था कर दी थी, जिसके मुताबिक कोई भी मुख्यमंत्री जब पद में नहीं रहेगा तथा केवल विधायक रहेगा तब भी उसे सरकारी बंगला एवं लालबत्ती वाली गाड़ी की सुविधा मिली रहेगी। ऐसी ही सुविधा पूर्व विधानसभा अध्यक्षों के लिए भी है।

भत्तो सहित वेतन पर एक नजरः
  • मुख्यमंत्री: 65 हजार रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अलावा प्रदेश में 750 और बाहर 900 रुपए दैनिक भत्ता
  • मंत्री: 62 हजार वेतन एवं अन्य भत्ते, प्रदेश में 750 और बाहर 900 रुपए प्रतिदिन भत्ता।
  • राज्य मंत्री: 60 हजार रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अलावा प्रदेश में 750 और बाहर 900 रुपए दैनिक भत्ता
  • विधायक: 50,252 रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते, प्रदेश में 600 और बाहर 750 रुपए दैनिक भत्ता
  • विधान सभा अध्यक्ष: 62 हजार वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अलावा 800 रुपए दैनिक भत्ता
  • नेता प्रतिपक्ष: 62 हजार वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अतिरिक्त 800 रुपए प्रतिदिन भत्ता। कुल 86 हजार
  • विधान सभा उपाध्यक्ष: 60 हजार रुपए वेतन एवं अन्य भत्ते। इसके अलावा 800 रुपए दैनिक भत्ता। कुल 84 हजार रुपए।

Tuesday, April 5, 2011

विश्वकप और हिन्दी अखबारों के प्रथम पृष्ठ

विश्व कप के अगले दिन यानी रविवार को देश के प्रमुख अखबारों के प्रथम पेज कुछ तरह से सजे हुए थे। सभी ने हेडिंग एवं फोटो के साथ कई प्रयोग किए थे। हालांकि तस्वीरें लगभग एक जैसी ही थीं, बस अंतर था तो उनके प्रस्तुतिकरण का।
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विश्व कप के अगले दिन यानी रविवार को देश के प्रमुख अखबारों के प्रथम पेज कुछ तरह से सजे हुए थे। सभी ने हेडिंग एवं फोटो के साथ कई प्रयोग किए थे। हालांकि तस्वीरें लगभग एक जैसी ही थीं, बस अंतर था तो उनके प्रस्तुतिकरण का।
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