Sunday, June 29, 2008
ग्वालियर और इंदौर पहुंचेगा मेगामार्ट
भविष्य की योजनाओं के बार में बताते हुए मेगामार्ट के सीओओ केई वैंकटाचलापथी ने कहा कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर और इंदौर जैसे शहर व्यवसायिक गतिविधियांे के बड़े कंेद्र बन रहे हैं और उच्च `ालिटी प्रोड्क्ट्स और सेवाओं की काफी मांग है। मेगामार्ट के नए स्टोर न सिर्फ मुनासिब दाम में बेहतर उत्पाद देंगे बल्कि स्टोर का इंटीरियर और ग्राहक सेवाएं भी लोगों का बेहतर अनुभव देंगी। मेगामार्ट के नए ब्रांड को लंदन के महशूर डिजाइन हाउस जेएचपी ने तैयार किया है। इस साल मार्च में स्टोर और ब्रांड कम्यूनिकेशन के नए डिजायन तय करने के बाद अब इसे लागू करने का दौर चल रहा है।
मेगामार्ट ने विस्तार के लिए करीब 400 करोड़ रुपये की योजना बनाई है। बड़े शहरों में मौजूदगी बनाने के बाद कंपनी दक्षिण भारत के विजयवाड़ा, मैसूर, गुंटूर, सलेम जैसे शहरों का रूख करेगी। फिलहाल मेगामार्ट के देश के 33 शहरों में 89 स्टोर हैं। 1700 से 4000 वर्गफीट जगह वाले मेगामार्ट के दिल्ली में भी तीन स्टोर खुल चुके हैं। इसके अलावा गाजियाबाद में कंपनी का फैक्ट्री आउटलेट भी है।
निर्यात पर निर्भर रहने वाली टेक्सटाइल कंपनियां अन्तर्राष्ट्रीय मंदी के दौर में घरलू रिटेल बाजार पर दांव खेल रही हैं। अरविंद मिल, आलोक इंडस्ट्रीज और वेल्सपन जैसी कंपनियांे ने देश भर में अपने रिटेल स्टोर की तादाद बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
कुल करोबार के करीब 50 फीसदी तक निर्यात के जरिए कमाने वाली कंपनी जैसे अरविंद मिल्स इस साल के आखिर तक देश भर में 40 से ज्यादा रिटेल स्टोर खोलेगी। आलोक इंडस्ट्रीज भी 40 करोड़ के निवेश से 100 और रिटेल स्टोर खोलने जा रही है। इसी तरह वेल्सपन भी इस वित्तीय वर्ष के आखिर तक देश भर अपने 400 से च्यादा रिटेल स्टोर लाने की तैयारी में है।
(बिजनेस भास्कर से साभार)
बिजनेस भास्कर जल्द ही इंदौर से
Thursday, June 19, 2008
जुलाई के पहले हफ्ते में
सागर घर पहुंचे
Tuesday, June 17, 2008
हलचल शुरु
Friday, June 13, 2008
धोनी बने दैनिक भास्कर के ब्रांड एंबेसेडर
Monday, June 9, 2008
राज एक्सप्रेस की वेबसाइट
राज एक्सप्रेस अखबार भी जल्दी ही अपनी वेबसाइट लांच करने की तैयारी में है। साइट का निर्माण पूरा हो चुका है और पिछले तीन महीनों से उसकी टेस्टिंग चल रही है। हालांकि इस बीच साइट को रेगुलर अपडेट नहीं किया जा रहा है। वेबसाइट पर इस समय सिर्फ भोपाल और इंदौर के संस्करण का लिंक दिया गया है साथ ही इन्हीं संस्करणों के पेजों की पीडीएफ भी उपलब्ध कराई गई है। पुराने अंक देखने की सुविधा भी पाठकों को उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है।एक बात काबिले गौर है कि साइट किसी भी एंगल से आकर्षक नहीं है। हालांकि साइट की लांचिंग की फिलहाल कोई तैयारी नहीं है। वेबसाइट का जायजा लेने लिए राज एक्सप्रेस लिंक पर क्लिक करें।
या फिर http://www.rajexpress.in/ पर विजिट करें।
कोटा के अनिल पत्रिका भोपाल में
Saturday, June 7, 2008
धीरेंद्र जी बिजनेस में
Friday, June 6, 2008
सच्चाई का सामना करें
आपका पन्ना ब्लॉग के जरिए मैं लोगों का ध्यान एक खास चीज पर दिलाना चाहता हूं। भोपाल में इन दिनों अखबार-वार चल रहा है। कहने के लिए तो यह नए राज्य में एक अखबार की एंट्री है पर असलियत में यह वर्चस्व की लड़ाई है। राजस्थान का एक प्रतिष्ठित अखबार भोपाल में लोकप्रियता पाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहा है। कुछ ही दिनों पहले उसने भोपाल व इंदौर में एक परचा बंटवाया जिसमें एक स्थापित अखबार के बारे में टिप्पणियां की गई थीं। मैं भी झीलों की नगरी का ही बाशिंदा हूं और दोनों की अखबार पढ़ता हूं।
लेकिन ४ जून के 'जस्ट भोपाल' नाम के पुलआउट की कवर स्टोरी में मैंने एक ऐसी खबर देखी जो करीब २० दिनों पहले मैंने दिल्ली से निकलने वाले एक दोपहर के अंग्रेजी अखबार मेल टुडे में पढ़ा था। यह खबर मेट्रीमोनी वेबसाइटस के बारे में थी। खबर का आइडिया तो ठीक लेकिन यहां तो पूरा का पूरा लेआउट फोटो यहां तक की खबर भी चुरा ली गई। केवल वर्जन के स्थान पर भोपाली नाम डाल दिए गए।
बताइए गलत खबर पर बवाल मचाने वाले खुद खबर तक नहीं बना सकते। दूसरे अखबारों की मेहनत को चुराकर अपना बताना भला कहां की ईमानदारी है।क्योंकि मैं एक मीडिया सर्वे कंपनी में काम करता हूं तो मुझे इंदौर शहर की जानकारी मिली की वही खबर उस अखबार के इंदौर स्थित इवनिंगर में भी लगी थी। सुना है कि इंदौर संस्करण का नाम अंग्रेजी में है और वह मुंबई के एक अखबार से पावर लेता है। लेकिन कंटेंट में दूसरे अंग्रेजी अखबारों का पावर दिखाई देता है। बताइए कि ऐसे अखबार किन आधार पर पाठकों से विश्वास की अपेक्षा रखते हैं। मेरी आप सभी से गुजारिश है कि यदि किसी जागरुक पाठक के पास दिल्ली से निकलने वाले मेल टुडे की प्रति हो तो कृपया मुझे ईमेल करें या फिर भोपाल की आवाज बनने इस अखबार के दफ्तर तक पहुंचा दें। यह अखबार इंडिया टुडे ग्रुप का है।
(यह लेखक का अपना विचार है। आपका पन्ना सिर्फ प्लेटफार्म उपलब्ध करवाता है। किसी भी तरह की शिकायत के लिए कृपया लेखक से संपर्क करें।)
सच्चाई का सामना करें
आपका पन्ना ब्लॉग के जरिए मैं लोगों का ध्यान एक खास चीज पर दिलाना चाहता हूं। भोपाल में इन दिनों अखबार-वार चल रहा है। कहने के लिए तो यह नए राज्य में एक अखबार की एंट्री है पर असलियत में यह वर्चस्व की लड़ाई है। राजस्थान का एक प्रतिष्ठित अखबार भोपाल में लोकप्रियता पाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रहा है। कुछ ही दिनों पहले उसने भोपाल व इंदौर में एक परचा बंटवाया जिसमें एक स्थापित अखबार के बारे में टिप्पणियां की गई थीं। मैं भी झीलों की नगरी का ही बाशिंदा हूं और दोनों की अखबार पढ़ता हूं।
लेकिन ४ जून के 'जस्ट भोपाल' नाम के पुलआउट की कवर स्टोरी में मैंने एक ऐसी खबर देखी जो करीब २० दिनों पहले मैंने दिल्ली से निकलने वाले एक दोपहर के अंग्रेजी अखबार मेल टुडे में पढ़ा था। यह खबर मेट्रीमोनी वेबसाइटस के बारे में थी। खबर का आइडिया तो ठीक लेकिन यहां तो पूरा का पूरा लेआउट फोटो यहां तक की खबर भी चुरा ली गई। केवल वर्जन के स्थान पर भोपाली नाम डाल दिए गए।
बताइए गलत खबर पर बवाल मचाने वाले खुद खबर तक नहीं बना सकते। दूसरे अखबारों की मेहनत को चुराकर अपना बताना भला कहां की ईमानदारी है।क्योंकि मैं एक मीडिया सर्वे कंपनी में काम करता हूं तो मुझे इंदौर शहर की जानकारी मिली की वही खबर उस अखबार के इंदौर स्थित इवनिंगर में भी लगी थी। सुना है कि इंदौर संस्करण का नाम अंग्रेजी में है और वह मुंबई के एक अखबार से पावर लेता है। लेकिन कंटेंट में दूसरे अंग्रेजी अखबारों का पावर दिखाई देता है। बताइए कि ऐसे अखबार किन आधार पर पाठकों से विश्वास की अपेक्षा रखते हैं। मेरी आप सभी से गुजारिश है कि यदि किसी जागरुक पाठक के पास दिल्ली से निकलने वाले मेल टुडे की प्रति हो तो कृपया मुझे ईमेल करें या फिर भोपाल की आवाज बनने इस अखबार के दफ्तर तक पहुंचा दें। यह अखबार इंडिया टुडे ग्रुप का है।
(यह लेखक का अपना विचार है। आपका पन्ना सिर्फ प्लेटफार्म उपलब्ध करवाता है। किसी भी तरह की शिकायत के लिए कृपया लेखक से संपर्क करें।)
Monday, June 2, 2008
प्यार की निशानियां बिकाऊ
गिफ्ट्स में डायमंड रिंग भी : इस साइट पर बिकाऊ गिफ्ट्स में एक डायमंड रिंग भी है, जिसकी कीमत 1250 पाउंड रखी गई है। इसे बेचने वाली ने इसके विज्ञापन में लिखा है,‘हमारी शादी को तीन साल हो चुके थे। अचानक उसने सोचा कि अब वह शादीशुदा नहीं रहना चाहता।
फिर वह चला गया और मैंने कहा तू नहीं तो और सही। अब मैं एक बहुत ही प्यारे इंसान के साथ शादी करने वाली हूं। मुझे उम्मीद है कि इस रिंग को बेचकर मिलने वाली रकम से मजेदार हनीमून का खर्च आसानी से निकल आएगा।’ वेबसाइट की संस्थापक 30 वर्षीय मैगाहन पैरी नामक एक महिला है। वह लॉस एंजिलस में अभिनेत्री और लेखिका है। वेबसाइट की प्रेरणा उसे अपनी ही सास से मिली थी। जिसके बारे में वह अपने पूर्व पति के बारे में सलाह-मशविरा करते हुए बतिया रही थी।
www.bhaskar.com से साभार
प्यार की निशानियां बिकाऊ
गिफ्ट्स में डायमंड रिंग भी : इस साइट पर बिकाऊ गिफ्ट्स में एक डायमंड रिंग भी है, जिसकी कीमत 1250 पाउंड रखी गई है। इसे बेचने वाली ने इसके विज्ञापन में लिखा है,‘हमारी शादी को तीन साल हो चुके थे। अचानक उसने सोचा कि अब वह शादीशुदा नहीं रहना चाहता।
फिर वह चला गया और मैंने कहा तू नहीं तो और सही। अब मैं एक बहुत ही प्यारे इंसान के साथ शादी करने वाली हूं। मुझे उम्मीद है कि इस रिंग को बेचकर मिलने वाली रकम से मजेदार हनीमून का खर्च आसानी से निकल आएगा।’ वेबसाइट की संस्थापक 30 वर्षीय मैगाहन पैरी नामक एक महिला है। वह लॉस एंजिलस में अभिनेत्री और लेखिका है। वेबसाइट की प्रेरणा उसे अपनी ही सास से मिली थी। जिसके बारे में वह अपने पूर्व पति के बारे में सलाह-मशविरा करते हुए बतिया रही थी।
www.bhaskar.com से साभार
पर्चा बांटना शुरु
वैसे परचों में संस्थान यह दावा कर रहा है कि कई देशों में ईपेपर के जरिए पत्रिका को देखा जा सकता है और उसका प्रिंट लिया जा सकता है जबकि पिछले कई दिनों से वेबसाइट पर ई-पेपर का सेक्शन काम ही नहीं कर रहा है। साथ ही पूरी वेबसाइट पर कहीं भी भोपाल संस्करण की खबरें देखने को नहीं मिल रही हैं और न ही भोपाल का लिंक ही दिया गया है।