tag:blogger.com,1999:blog-4099408027686202289.post7255594523498006336..comments2023-09-11T03:19:04.664-07:00Comments on आपका पन्ना: यह भी सच हैअनिल पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/08537581524466402579noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4099408027686202289.post-67967490662613616242007-10-01T23:50:00.000-07:002007-10-01T23:50:00.000-07:00भाई संयुक्तराष्ट्र संघ को जुबान हिलाने में कुछ नही...भाई संयुक्तराष्ट्र संघ को जुबान हिलाने में कुछ नहीं लगता। एक अरब लोग स्लम में रह रहे हैं तो इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार कौन है। ये राष्ट्रसंघ सिर्फ दबे कुचले देशों को ही आंख दिखाता है। अमेरिका कितने लोगों के मुंह से निवाला छिन रहा है यह उसे नहीं दिखता? किसी भी देश में जिन क्षेत्रों में विकास होता है पापुलेशन इमीगऱेशन होता ही है। ऐसे में भरत जैसे देश में मुंबई, दिल्ली,चेन्नई, पूना, बैंगलोर जैसे शहरों में गरीब इलाकों के लोग रोजगार की तलाश में आते ही हैं। जब तक गांवों में रोजगार उपलब्ध नहीं होगा तब तक यह स्थिति बनी रहेगी। जो लोग उड़ीसा, महाराष्ट्र के रिमोट एरिया से आते हैं वो इन स्लम एरिया में बेहतर जीवन जीते हैं। अगर उनका जीवन स्तर उन गांवों में देखा जाए तो इससे भी बत्तर है। शहर के स्लम एरियाज में उन्हें दो वक्त की रोटी तो मिलती है, कम से कम रोजगार तो मिलता है लेकिन इससे उलट उनके गांवों में तो आत्महत्या को मजबूर होना पड़ता है। गांवों में जब तक रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं होंगे तब तक इन समस्याओं से निपटना मुश्किल होगा।manish joshihttp://www.blogger.com/profile/15204678102509498042noreply@blogger.com