tag:blogger.com,1999:blog-4099408027686202289.post1768547682295446071..comments2023-09-11T03:19:04.664-07:00Comments on आपका पन्ना: सपनों के टूटे कांच चुभते हैं दिल मेंअनिल पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/08537581524466402579noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4099408027686202289.post-41365587295732408952007-09-24T07:52:00.000-07:002007-09-24T07:52:00.000-07:00यह सच है कि कविताओ का कोई सुर-ताल नहीं होता। वह पा...यह सच है कि कविताओ का कोई सुर-ताल नहीं होता। वह पानी की तरह होती है, जिसमें भी डाल दो वही आकार ग्रहण कर लेती है, लेकिन आशीष तुम्हें कविताओ को और अलंकृत करना चाहिए, ताकि जो भयावह दौर चल पड़ा है, भाषा की दुर्गत का तुम उसका हिस्सा बनने से बच सको।नीहारिकाhttp://www.blogger.com/profile/02368289175699712816noreply@blogger.com